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'मेरी आवाज सुनो रैली': पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह बोले- भाजपा-जजपा समझौता चला तो मैं BJP में नहीं रहुंगा

Jind News जींद में आज पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की मेरी आवाज सुनो रैली की। बीरेंद्र सिंह ने कहा था कि इस रैली के मंच से बड़ा फैसला लिया। उन्‍होंने कहा कि भाजपा को गलतफहमी हैं कि जजपा उनको वोट दिला देगी। बीरेंद्र सिंह को ट्रेजडी किंग के नाम से जाना जाता है। कांग्रेस में रहते वे संगठन व सरकार दोनों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।

By Dharmbir SharmaEdited By: Himani SharmaUpdated: Mon, 02 Oct 2023 04:13 PM (IST)
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पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की 'मेरी आवाज सुनो रैली' आज

जागरण संवाददाता, जींद: पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह आज जींद के एकलव्य स्टेडियम में मेरी आवाज सुनो रैली की। रैली के मंच से उन्‍होंने नई राजनीतिक पारी की शुरूआत की। हालांकि बीरेंद्र सिंह ने मंच से बड़ी घोषणा भी की। उनके इस फैसले का असर प्रदेश की राजनीति पर पड़ेगा और नए समीकरण बनेंगे।

बीरेंद्र सिंह का एलान

पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा-जजपा समझौता चलेगा तो बीरेंद्र सिंह भाजपा में नहीं रहेगा। भाजपा को गलतफहमी हैं कि जजपा उनको वोट दिला देगी। जजपा को खुद ही वोट नहीं मिलने, वह भाजपा को क्या वोट दिलाएगी।

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला पर निशाना साधते हुए बीरेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में जजपा ने भ्रष्टाचार को फैलाया हुआ है। अगर किसी टेंडर में सीधे चला जाता है तो उससे आठ प्रतिशत कमीशन लिया जाता है, अगर किसी के माध्यम से जाता है तो उससे दस प्रतिशत कमीशन लिया जा रहा हैं।

बीरेंद्र सिंह को जाना जाता है ट्रेजडी किंग के नाम से

बीरेंद्र सिंह को ट्रेजडी किंग के नाम से जाना जाता है। कांग्रेस में रहते वे संगठन व सरकार दोनों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। फिलहाल बीरेंद्र सिंह के पुत्र बृजेंद्र सिंह हिसार से भाजपा के सांसद हैं, और उनकी पत्नी उचाना कलां से भाजपा की विधायक रही हैं। रैली के मंच से होने वाले फैसले पर लोगों की नजरें लगी हुई हैं।

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तीन बार लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव

बीरेंद्र सिंह तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें दो बार उन्हें हार मिली। 1984 में बीरेंद्र सिंह ने कांग्रेस पार्टी के टिकट हिसार लोकसभा से चुनाव लड़ते हुए ओमप्रकाश चौटला को 51206 मतों से हरा दिया था। हालांकि इसके बाद वे लोकसभा में दोबारा नहीं पहुंच पाए।

अगले ही चुनाव में जयप्रकाश ने लोकदल की हार का बदला लेते हुए बीरेंद्र सिंह को 44679 मतों से हरा दिया। फिर 1999 में बीरेंद्र सिंह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और उन्हें इनेलो के उम्मीदवार सुरेंद्र बरवाला ने 160452 मतों से हरा दिया।

विधानसभा में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा

बेशक लोकसभा में बीरेंद्र सिंह का ट्रैक रिकॉर्ड सही नहीं रहा, लेकिन विधानसभा में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा है। 1977 में बीरेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव लड़ा। इससे पहले वे ब्लाक समिति का चुनाव जीत चुके थे। उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र से बीरेंद्र सिंह ने कुल सात चुनाव लड़े और इसमें पांच चुनाव जीते। उन्होंने 1977, 1982, 1991 व 2005 का चुनाव जीता।

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वहीं 2000 व 2009 का चुनाव वे लोकदल के उम्मीदवारों से हार गए। 2009 के चुनाव में बीरेंद्र सिंह का मुकाबला इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला से हुआ। इस मुकाबले में बीरेंद्र सिंह महज 621 मतों से हार गए। इसके बाद बीरेंद्र सिंह केंद्र की राजनीति में रहे। अब फिर से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो रहे हैं।

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