हरियाणा की मंजू नैन 10 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाने वाली देश की पहली महिला सैनिक बनी
खुला आस्मां.. सेना ने हरियाणा में जब पहली बार से महिला सैनिकों की भर्ती शुरू की तो वर्ष 2019 के उस बैच में सात लड़कियां थीं उनमें से एक जींद जिला के गांव धमटन साहिब की रहने वाली मंजू नैन भी थीं।
By Jagran NewsEdited By: Sanjay PokhriyalUpdated: Sun, 27 Nov 2022 11:37 AM (IST)
धर्मवीर निडाना/महासिंह श्योरान, जींद, नरवाना। जन्म से ही कई सारी खूबियां हर इंसान में आ जाती हैं, अगर पनपने के लिए सही वातावरण मिले, तो वह गुणी व मेधावी बन जाता है। इस बात को सार्थक कर दिखाया है, नरवाना के गांव धमतान साहिब की मंजू नैन ने। उन्होंने 10 हजार फीट की ऊंचाई से स्काई डाइविंग करके वह कारनामा कर दिखाया है, जिसको करने के लिए साहसी लोगों की भी धड़कन थम जाती हैं। सेना में लांसनायक के पद पर गुहावटी में तैनात मंजू नैन बचपन से ही साहसी रही है। वह इतने बड़ा साहसिक कदम उठाएगी, ऐसे उसके माता-पिता व गांव के लोगों ने भी नहीं सोचा था।
मंजू नैन के पिता हरिकेश व मां संतोष ने बताया कि मंजू नैन बचपन से ही हिम्मत वाली लड़की रही है। उसका बड़ा भाई दलबारा कबड्डी खेलता था, तो वह भी उसके साथ कबड्डी खेलने जाती थी। वह हर रोज लगभग 10 किलोमीटर दौड़ लगाती थी। जिससे वह कबड्डी के खेल में पारंगत हो गई थी और वह स्कूली खेलकूद प्रतियोगिता में कई मेडल जीतकर लाई थी। गांव के ही सरस्वती वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से दसवीं करने के बाद उसने निडानी गांव स्थित भाई सुरेंद्र सिंह मैमोरिलयल खेल स्कूल में दाखिला ले लिया था। जहां उसने कबड्डी की बारीकियां सीखी और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर मेडल भी जीते। उन्होंने बताया कि साढ़े 17 वर्ष की उम्र में अंबाला में पूर्वी कमान में सेना पुलिस के लिए महिलाओं की पहली भर्ती में भाग लिया और पहली बार में ही चयनित होकर सेना में भर्ती हो गई। वहां भी सर्वश्रेष्ठ कैडेट के तौर पर सम्मानित किया गया था।
मन ही मन लिया था ऊंचाई को हराने का संकल्प - लांस नायक मंजू नैन।
पारिवारिक स्थिति को सुधारने के लिए सेना पुलिस में गई मंजू
मंजू नैन के पिता केवल दो कनाल की ही खेती करते हैं और वे पट्टे पर खेती कर घर का गुजारा करते हैं। जिसको मंजू बचपन से ही देखती आ रही थी। इसलिए उसने कबड्डी खेल के माध्यम से ही अपने घर की स्थिति को सुधारना चाहा। जहां निडानी खेल प्रशिक्षण के दौरान उसने साढ़े 17 वर्ष की उम्र में ही पढ़ाई के दौरान महिलाओं की पहली भर्ती में जाने का निश्चय कर लिया था। जहां उसने भर्ती होने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और ट्रेनिंग के दौरान ही सेना में कदमताल बेहतर तरीके से करने लग गई थी। मंजू नैन अपनी तीन साल की नौकरी के दौरान एक बार भी घर नहीं आई थी।ऊंचे झूलों पर झूलने का रहा शौक
मंजू की मां संतोष ने बताया कि मंजू पांच वर्ष की थी, तो वह झूले से गिर गई थी और उसके नाक से भी खून बह गया था, लेकिन उसके मन में वह बात कभी आई ही नहीं। उन्होंने बताया कि मंजू सुबह ही अकेली दौड़ लगाने के लिए निकल जाती थी। चचेरी बहन अमन ने बताया कि उसको बचपन से ही ऊंचे झूलों पर झूलने का शौक था। जब भी गांव या आसपास ऊंचे झूले आते थे, तो वह मुझे साथ लेकर झूला झूलने निकल जाती थी। झूला झूलने के दौरान वह कभी भी नहीं घबराई। मुझे लगता है कि वही साहस उसके काम आया। 10 हजार फीट की ऊंचाई से स्काई डाइविंग करने का साहस शुरू से ही उसके अंदर था।
सेना में ऊंचे पद पर जाकर करना चाहती है देश सेवा मंजू नैन के पिता ने बताया कि उसके प्रेरणा स्त्रोत उसका भाई दलबारा ही रहा है। क्योंकि उसके भाई ने ही उसको निडानी खेल प्रशिक्षण केंद्र में दाखिल करवाया था। उसका भाई ही उसको आगे बढ़ने का हौंसला देता रहता था। उन्होंने बताया कि वह अभी सेना पुलिस में ऊंचे पद पर जाकर देश सेवा करना चाहती है। उन्होंने बताया कि स्काई डाइविंग करने से उसको यह फायदा मिलेगा कि उसको नौकरी मेंे पदोन्नति मिलेगी। मंजू नैन के इस कारनामे से अवश्य ही उसको देश के वीरता पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा सकता है।
मंजू नैन को ब्रांड एंबेडसर बनाने की मांग गांव धमतान साहिब के पूर्व सरपंच जयपाल नैन ने कहा कि उनके गांव की बेटी ने उनके गांव का नाम देशभर में ऊंचा कर दिया है। इसलिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ संदेश को बढ़ावा देते हुए मंजू नैन को ब्रांड एंबेडसर बनाया जाये। देश की सेवा करने वाली बेटियां ही असली ब्रांड एंबेडसर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उसको ब्रांड एंबेडसर बना दिया जाए, तो वह अन्य बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा बनेगी। ...ताऊ कपूर सिंह नैन के साथ मंजू स्काई डाइविंग के लिए सिर्फ मंजू ने ही उठाया था हाथ मंजू नैन के पिता हरिकेश ने बताया कि उनकी ट्रेनिंग के दौरान पूछा गया था कि हेलीकाप्टर से 10 हजार फीट ऊंचाई से कौन-कौन स्काई डाइविंग करना चाहता है। जिस पर मंजू नैन ने ही अकेले ही हाथ उठाया था। जिस पर सभी ने उसके साहस की तारीफ की थी। मंजू नैन को स्काई डाइविंग के लिए तैयार करने के लिए बेंगलुरु में एक साल का प्रशिक्षण दिया गया था। ट्रेनिंग के दौरान मंजू नैन कभी भी नहीं घबराई। उसके पिता ने बताया कि स्काई डाइविंग करने से पहले मंजू के अंदर कोई चिंता नहीं थी। यही कारण है कि वो इतना बड़ा साहसिक कदम उठा सकी।
बेटी गांव आएगी तो ग्रामीण करेंगे भव्य स्वागत गांव वालों का कहना है यह उपलब्धि सिर्फ मंजू की ही नहीं है, गांव और हरियाणा की हर लड़की है। एक समय था जब राज्य में लड़का-लड़की के बीच काफी भेदभाव किया जाता था, लेकिन अब तस्वीर बदलने लगी है। इसमें मंजू जैसी लड़कियों का काफी योगदान है। अब उसके भाई-बहन में साहस आ गया और वे भी सेना में जाने का सपना देखने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव को सुर्खियों में ला दिया है। वे बेटी के गांव आने पर उसका भव्य स्वागत करेंगे।
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