रानी तालाब बन सकता है बेहतर पर्यटन स्थल, गंभीर नहीं प्रशासन
जिले की भौगोलिक स्थिति पर्यटन स्थल के लिहाज से बेहद मुफीद है। लेकिन सरकारों व प्रशासन इस दिशा में गंभीर हैं।
By JagranEdited By: Updated: Tue, 24 Sep 2019 09:00 AM (IST)
जागरण संवाददाता, जींद : जिले की भौगोलिक स्थिति पर्यटन स्थल के लिहाज से बेहद मुफीद है। लेकिन सरकारों व प्रशासन इस दिशा में गंभीर हैं। जींद शहर के बीच में स्थित रानी तालाब से लेकर आसपास के गांवों में कई ऐतिहासिक धार्मिक स्थल हैं। इन जगहों पर सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तो यहां पर्यटकों को खींचा जा सकता है।
जींद शहर के रानी तालाब की ही बात करें तो दो साल पहले किश्तियां शुरू होने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ी है, लेकिन संख्या बहुत कम है। अभी भी यहां काफी सुविधाओं की कमी है। तालाब के आसपास बच्चों के खेलने के लिए कुछ भी नहीं है। जबकि किश्तियां शुरू करते समय प्रशासन ने कहा था कि एसडी स्कूल की तरफ बुलबुल होटल के सामने पार्क में बच्चों के लिए झूले लगाए जाएंगे। रानी तालाब देखने के लिए आने वाले लोगों के लिए खाने-पीने की दुकानें नहीं हैं। एसडी स्कूल की तरफ, राजा के किले की तरफ और शिव चौक की तरफ इस तरह की दुकानें बनाई जा सकती हैं। यही नहीं, जब लोग किश्ती के इंतजार में रहते हैं तो उनके बैठने के लिए कोई जगह नहीं बनाई गई है। रानी तालाब के आसपास ऐसा कोई इंतजाम नहीं है कि लोग बच्चों के साथ एक घंटा यहां गुजार दें। शहर के लोगों का कहना है कि प्रशासन इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराए तो रानी तालाब को बेहतर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है। --------- बंदरों से भी लोग परेशान
रानी तालाब के आसपास बंदरों का बहुत ज्यादा आतंक है। बुलबुल होटल के सामने पार्क में तो सारा दिन बंदरों का कब्जा रहता है। पुराने किले की तरफ भी खूब बंदर घूमते रहते हैं। बंदरों के डर के कारण काफी लोग यहां आने से कतराते हैं। प्रशासन बंदरों का स्थायी समाधान करे तो यहां लोगों का आवागमन बढ़ाया जा सकता है। कई बार बंदरों ने यहां लोगों को काटा भी है। इतिहास: कभी बॉलीवुड का गीत फिल्माया था, रानी करती थी स्नान
जींद शहर की शान रानी तालाब को जींद रियासत के महाराजा रघुबीर सिंह ने 1859 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर बनवाया था। तालाब के बीच में कैलाशपति (शंकर) का मंदिर होने के कारण लोग इसे भूतेश्वर मंदिर या रानी तालाब मंदिर कहते हैं। इसका सही नाम श्री हरिकैलाश मंदिर है। 1970 में बनी निर्माता-निर्देशक राजेंद्र भाटिया के निर्देशन में बनी फिल्म Xह्नह्वश्रह्ल;पवित्र पापी'का गाना Xह्नह्वश्रह्ल;तेरी दुनिया से होके मजबूर चला'रानी तालाब पर ही फिल्माया गया था। इतिहासकार गुलशन भारद्वाज बताते हैं कि जींद रियासत पर 1864 से 1880 तक राज करने वाले फुलकियां वंश के राजा रघुबीर सिंह ने तालाब के बीच में मंदिर का निर्माण कराया था। राजा रघुबीर ने अपने महल से तालाब तक सुरंग भी बनवाई थी। महारानी अपने महल से इस तालाब में सुरंग के रास्ते से नहाने और पूजा करने आती थी। म्यूजिकल फाउंटेन लगाने में हो रही देरी रानी तालाब मंदिर को पर्यटन स्थल के रूप में उभारने के लिए दो साल पहले तत्कालीन डीसी अमित खत्री ने प्रयास शुरू किए। उन्होंने यहां किश्तियां शुरू करवाईं। शहर में आने वाले अतिथियों को भी सम्मान स्वरूप रानी तालाब की तस्वीर भेंट करते थे। तीन रंगीन फव्वारे भी शुरू करवाए। उनके निर्देश पर म्यूजिकल फाउंटेन भी लगने थे। बीएंडआर के पास इसकी राशि भी आ चुकी है, लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू नहीं हो सका है। ये म्यूजिकल फाउंटेंन संगीत की धुनों पर चलेंगे। वर्जन रानी तालाब तो जींद की शान है। प्रशासन व सरकार इसे पर्यटन स्थल के रूप में उभारने के लिए गंभीरता से काम करें तो यहां काफी से लोग आ सकते हैं। शिव चौक के पास, बुलबुल होटल के सामने पार्क का सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। लोगों के उठने-बैठने के लिए जगह नहीं है। बच्चों के खाने-पीने की दुकानें व झूले नहीं हैं। -राजीव सैनी, एडवोकेट, जींद
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