विधानसभा का घेराव करने चंडीगढ़ जा रही आशा वर्करों को क्योड़क के पास रोका, हाईवे पर सरकार के खिलाफ की नारेबाजी
विधानसभा का घेराव करने चंडीगढ़ जा रही आशा वर्करों को पुलिस ने गांव क्योड़क के नजदीक रोक लिया। जिस वाहनों में आशा वर्कर घेराव करने के लिए जा रही थी उन वाहनों को पुलिस ने कब्जे में ले लिया। इसके बाद आशा वर्करों को वाहनों में डालकर बस स्टैंड के नजदीक छोड़ दिया गया। इस दौरान आशा वर्करों ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ रोष जताया।
By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Mon, 28 Aug 2023 04:22 PM (IST)
कैथल, जागरण संवाददाता। चंडीगढ़ में विधानसभा का घेराव (Asha Worker Going to Siege Assembly in Chandigarh) करने जा रही आशा वर्करों को पुलिस ने गांव क्योड़क के नजदीक रोक लिया। जिस वाहनों में आशा वर्कर घेराव करने के लिए जा रही थी, उन वाहनों को पुलिस ने कब्जे में ले लिया। इसके बाद आशा वर्करों को वाहनों में डालकर बस स्टैंड के नजदीक छोड़ दिया गया। इस दौरान आशा वर्करों ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ रोष जताया।
जायज मांगों को लेकर आवाज उठा रही आसा वर्कर
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने दो दिन से यूनियन की नेताओं को घर में ही नजरबंद कर रखा है। यह तानाशाही है। वह सिर्फ अपनी जायज मांगों के लिए आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सरकार बल का प्रयोग करके उसे दबाने का काम कर रही है।
लघु सचिवालय में मांगों को लेकर धरना दे रही आशा वर्कर
बता दें कि पिछले कई दिनों से आशा वर्कर लघु सचिवालय में मांगों को लेकर धरना दे रही हैं। 28 अगस्त को आशा वर्करों ने विधानसभा का घेराव करने की बात कही थी। इससे पहले ही रविवार रात को ही आशा वर्कर यूनियन से जुड़े पदाधिकारियों को घर पर ही नजरबंद कर दिया गया। सोमवार सुबह जो आशा वर्कर वाहनों में सवार होते हुए घेराव करने के लिए पहुंची तो उन्हें गांव क्योड़क के नजदीक रोक दिया गया। इस दौरान आशा वर्करों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।चार हजार रुपये में 24 घंटे काम करने को मजबूर आशा वर्कर
यूनियन की प्रधान सुषमा जड़ाैला ने कहा कि सरकार उनकी मांगों को लेकर अनदेखी कर रही है। महंगाई लगातार बढ़ रही है, लेकिन आशा वर्करों का मानदेय नहीं बढ़ाया गया है। आशा वर्कर को मात्र चार हजार रुपये मिलते हैं। वहीं इन्सेंटिव भी लंबे समय से नहीं बढ़ाया गया है। आशा वर्कर सरकार की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने का काम कर रही है। 24 घंटे काम करती हैं, लेकिन इसके बावजूद सरकार उनकी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है।