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हरियाणा: कैथल की 4 में से 3 सीटों पर हुड्डा का दबदबा, सुरजेवाला के हिस्से आई बेटे की सीट, सैलजा की कितनी चली?

कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जलवा कैथल में भी देखने को मिला। जिले की चार में से तीन सीटों पर हुड्डा खेमे के दावेदारों को टिकट मिला है। वहीं रणदीप सुरजेवाला खेमे के समर्थकों ने बगावत कर निर्दलीय नामांकन दाखिल किए हैं। विकास सहारण को कलायत सुल्तान जड़ौला को पूंडरी और देवेंद्र हंस को गुहला (आरक्षित) से टिकट मिला है।

By Pankaj Kumar Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 12 Sep 2024 04:39 PM (IST)
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Haryana Election 2024: कैथल की 4 में से 3 सीटों पर हुड्डा का दबदबा, सुरजेवाला को मिली बेटे की सीट।

पंकज आत्रेय, कैथल। कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का टिकट वितरण को लेकर जलवा कैथल में भी देखने को मिला। भले ही इस बेल्ट को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला के प्रभाव वाली माना जाता हो, लेकिन जिले की चार में से तीन सीटों पर हुड्डा की चली।

उनके खेमे के दावेदारों को ही प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा गया है। सुरजेवाला के हिस्से एकमात्र कैथल विधानसभा सीट ही आई, जिस पर उनकी जगह इस बार उनके बेटे आदित्य सुरजेवाला चुनाव लड़ रहे हैं। सुरजेवाला परिवार की तीसरी पीढ़ी पहली बार चुनावी राजनीति में उतरी है।जिले में उनके समर्थक दावेदारों ने टिकट की घोषणा के बाद बगावत करके निर्दलीय नामांकन-पत्र दाखिल किए हैं।

विकास सहारण हैं जयप्रकाश जेपी के बेटे

दूसरी तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे से कलायत में विकास सहारण, पूंडरी में सुल्तान जड़ौला और गुहला (आरक्षित) में देवेंद्र हंस को टिकट मिला है। विकास सहारण हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी के बेटे हैं तो सुल्तान जड़ौला पूंडरी से वर्ष 2009 में निर्दलीय चुनाव जीत कर हुड्डा सरकार में संसदीय सचिव बने थे। भाजपा के बागी देवेंद्र हंस ने पिछला चुनाव गुहला से निर्दलीय लड़ा था, लेकिन बात नहीं बनी।

दीपेंद्र के खाते से हंस को मिला टिकट

इसके बाद वह रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। दीपेंद्र के खाते से हंस को टिकट मिला है। यहां टिकट के मामले में दीपेंद्र हुड्डा पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से इक्कीस निकले। दिल्लू राम बाजीगर दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला। बावजूद इसके कि उन्होंने बुधवार को खुद को कांग्रेस प्रत्याशी बता कर नामांकन-पत्र दाखिल कर दिया था।

दावेदार हुए बागी, निर्दलीय ताल ठोकी

कांग्रेस के टिकट आवंटन का लंबा इंतजार करने के बाद भी जब सूची में नाम नहीं आया तो कलायत, पूंडरी और गुहला में कई दावेदार बागी हो गए।पूंडरी में हुड्डा खेमे के पूर्व संसदीय सचिव सुल्तान जड़ौला को टिकट मिलते ही रणदीप सुरजेवाला खेमे के सतबीर भाणा ने बगावत कर दी। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन-पत्र दाखिल किया।

हुड्डा से नहीं मांगा कभी टिकट

पूंडरी के निवर्तमान विधायक रणधीर गोलन ने इस बार फिर निर्दलीय पर्चा भरा है। हालांकि लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा सरकार से संबंध विच्छेद करके पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को समर्थन दे दिया था। हालांकि उनका कहना है कि उन्होंने कभी हुड्डा से टिकट नहीं मांगा। यहीं से कांग्रेस नेत्री सुनीता बतान भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन-पत्र जमा कराया है।

सुरजेवाला के नेतृत्व में घर वापसी

कलायत में कांग्रेस से बागी होकर महिला विंग की प्रदेश सचिव अनिता ढुल बढ़सीकरी और दो बार के पूर्व विधायक सतविंद्र राणा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया। अनिता ढुल रणदीप सुरजेवाला व कुमारी सैलजा के खेमे से आती हैं तो सतविंद्र राणा ने भी जजपा छोड़ कर सुरजेवाला के नेतृत्व में ही घर वापसी की थी। कलायत में ही भाजपा से बगावत करके विनोद निर्मल ने नामांकन-पत्र दाखिल किया है।

जींद में पिता कांग्रेस प्रत्याशी, कैथल में बेटी भाजपा से रहीं दावेदार

कैथल नगर परिषद की चेयरपर्सन सुरभि गर्ग भारतीय जनता पार्टी की महिला विंग की प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। वह खुद विधानसभा सीट से टिकट की प्रबल दावेदार रही, लेकिन पार्टी ने वर्तमान विधायक लीला राम को दोबारा मैदान में उतारा।उनके ससुर सुरेश गर्ग भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य हैं।

दूसरी तरफ, सुरभि गर्ग के पिता महावीर गुप्ता को कांग्रेस ने जींद विधानसभा सीट से टिकट दिया है। बेटी यहां भाजपा के लिए वोट मांगेंगी तो पिता वहां खुद कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं।

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