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रोजाना 15 घंटे ड्यूटी कर रहे डीएफएससी, 20 दिनों से घर नहीं गए

जिला खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के नियंत्रक वरिद्र सिंह पिछले 20 दिनों से अपने घर नहीं जा पाए हैं। रोजाना 14 से 15 घंटे तक ड्यूटी कर रहे हैं। जहां पहले दिनभर 20 से 22 कॉल ही रहती थी वहीं अब 250 कॉल रोजाना सुन रहे हैं।

By JagranEdited By: Updated: Wed, 15 Apr 2020 09:50 AM (IST)
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रोजाना 15 घंटे ड्यूटी कर रहे डीएफएससी, 20 दिनों से घर नहीं गए

सुरेंद्र सैनी, कैथल : जिला खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के नियंत्रक वरिद्र सिंह पिछले 20 दिनों से अपने घर नहीं जा पाए हैं। रोजाना 14 से 15 घंटे तक ड्यूटी कर रहे हैं। जहां पहले दिनभर 20 से 22 कॉल ही रहती थी, वहीं अब 250 कॉल रोजाना सुन रहे हैं। किसी के यहां राशन नहीं पहुंचा रहा है तो किसी को राशन मिलने में दिक्कत आ रही है। इस तरह की कॉल सुनने के बाद उनका सही ढंग से समाधान करवाते हुए लोगों को सरकार की राशन वितरण योजना का लाभ पहुंचाने में लगे हैं।

इसी प्रकार खाद्य पदार्थों को लेकर निर्धारित किए गए रेटों में कोई गोलमाल न हो, इसे लेकर भी गठित की गई टीमों से रिपोर्ट लेकर सीनियर अधिकारियों तक पहुंचा रहे हैं। डीएफएससी बताते हैं कि सुबह नौ बजे ड्यूटी पर आने के बाद स्टाफ के साथ मीटिग होती है। डीसी सुजान सिंह द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करते हुए फिल्ड में जाने वाले कर्मचारियों से संपर्क रहता है। रात को करीब आठ बजे कामकाज निपटाने के बाद फिर मोबाइल पर कर्मचारियों से संपर्क रहता है। रात को भी कई कॉल आती हैं, जिन्हें नोट करने के बाद सुबह कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर उनका समाधान करवाया जाता है।

अब तक 56 हजार क्विटल गेहूं का हो चुका है वितरण

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान सरकार की तरफ से जारी किए गए आदेशों के अनुसार राशन का वितरण हो रहा है। अब तक 56 हजार क्विटल गेहूं बांटी जा चुकी है। चीनी और तेल का भी वितरण किया जा रहा है। सभी डिपो होल्डर को निर्देश दिए गए हैं कि घर-घर जाकर राशन का वितरण करेंगे। सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखें। अगर किसी को राशन मिलने में दिक्कत आ रही है या राशन नहीं मिला है तो वे विभाग की तरफ से जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। अखबारों में भी रोजाना नंबर प्रकाशित हो रहे हैं।

बच्चों और माता-पिता से होती रहती है बात

डीएफएससी ने बताया कि लॉकडाउन के बाद काम इतना बढ़ गया है कि न दिन का पता लगता है और ही रात का। बच्चों और माता-पिता के भी फोन आते रहते हैं, लेकिन जब कुछ टाइम मिल जाता है तो बातचीत हो पाती है। एक दिन तो बच्चों से बातचीत हो रही थी तो सब्जी खत्म हो गई है और गली में कोई सब्जी वाला भी नहीं आ रहा है तो उन्होंने माता-पिता से बातचीत कर बच्चों को घर से बाहर न जाने की बात कही। अगले दिन गली में सब्जी वाला आया तो सब्जी खरीद ली। परिवार के सभी सदस्य बातचीत में कहते हैं वे पूरी तरह से लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। ड्यूटी के द्वारा उन्हें भी मास्क लगाने और सैनिटाइजर का प्रयोग करने की बात कहते पूरा ध्यान रखने के लिए कहते रहते हैं।

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