रणदीप सुरजेवाला ने अपने राजनीतिक जीवन के बाद की योजनाओं का खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि वह राजनीति से संन्यास लेने के बाद एक कोचिंग सेंटर या कॉलेज खोलेंगे और 36 बिरादरी के बच्चों को प्रशिक्षण देंगे। साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को आरक्षण देंगे। उनका सपना गांव सिसला में एक मंदिर बनाने का भी है।
जागरण संवाददाता, कैथल। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला कैथल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे या उनके बेटे आदित्य सुरजेवाला। इसका संशय खत्म करने के लिए पूरे विधानसभा में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इन पर अकेले रणदीप की फोटो है आदित्य की नहीं।
एक तरफ दूसरी पार्टी के नेता जहां टिकट के लिए दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं, वहीं सुरजेवाला ने नगर पार्षदों में सेंधमारी तेज कर दी है। अभी तक दो पार्षदों को उन्होंने कांग्रेस में ज्वाइंनिंग करवाई तो एक जिला परिषद के सदस्य को पार्टी में शामिल कराया।
क्या है रणदीप सुरजेवाला का प्लान
सोमवार को उन्होंने वार्ड नंबर 22 के पार्षद राजेश सिसौदिया को कांग्रेस में शामिल किया।
पिछले चुनावों की तुलना में इस बार उनकी भाषण शैली एकदम अलग है। पहले जहां वह आक्रामक होते थे, वहीं इस बार कभी खुद को मिस्त्री तो कभी लाइनमैन बता रहे हैं। सोमवार को उन्होंने एक कार्यक्रम में राजनीति से रिटायरमेंट का अपना प्लान भी साझा कर दिया।
36 बिरादरी के बच्चों को देंगे ट्रेनिंग
गुर्जर समाज में बड़ा नाम रखने वाले भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य राव सुरेंद्र सिंह के पोते राव गौतम को उन्होंने कांग्रेस में शामिल कराया।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जब तक राजनीति करेंगे साथ करेंगे। उसके बाद शहर में एक कोचिंग सेंटर या कॉलेज खोल कर 36 बिरादरी के बच्चों को ट्रेनिंग देंगे और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को आरक्षण देंगे।
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करवाएंगे, लेकिन विदेश भेजने के लिए नहीं पढ़ाएंगे। साथ ही गांव सिसला में एक मंदिर बनाना उनका सपना है।
मुझे मेरी नौकरी वापस दे दो
रविवार देर शाम आयोजित अग्रवाल सम्मेलन के मंच पर रणदीप सुरजेवाला ने खुद को शहर का मिस्त्री बताया। उन्होंने कहा कि वह जानते हैं किस घर में बिजली कहां से आ रही है। सीवरेज कहां से निकाला गया है, क्योंकि उन्होंने खुद यह काम करवाए हैं। एक मिस्त्री ही यह सब बता सकता है।
उन्हाेंने कहा कि भाजपा के दस साल के शासनकाल में उन कामों को आगे बढ़ाना तो दूर, खत्म करते चले गए। इसलिए वह मिस्त्री वाली अपनी पुरानी नौकरी मांगने आए हैं।
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