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Haryana News: FIR में जाति-धर्म के जिक्र पर पुलिस के जवाब से असंतुष्ट हाई कोर्ट, डीजीपी ने दायर किया हलफनामा

पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के डीजीपी के द्वारा दायर किए गए हलफनामे पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की है। एफआइआर में जाति-धर्म का जिक्र रोकने के पुलिस के जवाब से उच्च न्यायालय संतुष्ट नहीं नजर आया है। इसके बाद राज्य की पुलिस ने अपने स्टाफ से कहा कि वे कुछ विशिष्ट आपराधिक मामलों को छोड़कर एफआइआर/पुलिस कार्यवाही में संदिग्ध/आरोपित/सूचना देने वाले व्यक्ति के धर्म का उल्लेख ना करें।

By Pankaj KumarEdited By: Shoyeb AhmedUpdated: Thu, 05 Oct 2023 01:02 PM (IST)
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FIR में जाति-धर्म के जिक्र पर पुलिस के जवाब से असंतुष्ट हाई कोर्ट (फाइल फोटो)

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। Punjab Haryana Highcourt On State Police हाई कोर्ट की असंतुष्टी के बाद हरियाणा पुलिस (Haryana Police) ने राज्य में अपने फील्ड स्टाफ से कहा है कि वे कुछ विशिष्ट आपराधिक मामलों को छोड़कर एफआइआर/पुलिस कार्यवाही में संदिग्ध/आरोपित/सूचना देने वाले व्यक्ति के धर्म का उल्लेख ना करें।

जिन मामलों में राज्य पुलिस धर्म का उल्लेख करना जारी रखेगी, उनमें वह मामले भी शामिल होंगे कि जब मुखबिर/शिकायतकर्ता से सूचना/शिकायत प्राप्त करने के बाद एफआइआर दर्ज की जाती है। यदि सूचना/शिकायत में संदिग्ध/अभियुक्त या किसी अन्य व्यक्ति के धर्म का उल्लेख किया गया है, तो एफआइआर की सामग्री में उसका उल्लेख करना आवश्यक है।

इसी तरह राज्य पुलिस उन मामलों में धर्म का उल्लेख करना जारी रखेगी, जो दंगों तथा धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित हैं। पुलिस के अनुसार किसी धार्मिक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या उनके पूजा स्थलों को अपवित्र करने के मामलों में, सूचना देने वाले/शिकायतकर्ता या पीड़ितों और उन संदिग्ध आरोपित व्यक्तियों के धर्म का धारा 295 के तहत एफआइआर दर्ज करते समय उल्लेख किया जाना आवश्यक है।

किसी संदिग्ध/अभियुक्त के धर्म का उल्लेख करना उन्हें पकड़ने के उद्देश्य से विशेष रूप से सहायक होता है। इस प्रकार पुलिस कार्यवाही करते समय ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं, जहां सही पहचान स्थापित करने और किसी भी निर्दोष की गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपित या संदिग्ध के धर्म का उल्लेख करना अनिवार्य हो जाता है।

डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने हाईकोर्ट में दायर किया हलफनामा

एक याचिका के जवाब में डीजपी शत्रुजीत कपूर ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह जानकारी दी है। कोर्ट ने इस बात पर संज्ञान लिया था कि हरियाणा पुलिस एफआइआर और अन्य पुलिस कार्यवाही में आरोपित के धर्म का उल्लेख कर रही है। 29 अगस्त को हाई कोर्ट ने राज्य के डीजीपी को एफआइआर में धर्म का उल्लेख करने की ऐसी प्रथा को रोकने का निर्देश दिया था व हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।

कोर्ट हलफनामे से संतुष्ट नजर नहीं आई

बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान जब सरकार की तरफ से यह हलफनामा कोर्ट में पेश किया गया तो कोर्ट हलफनामे से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुई और राज्य को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। डीजीपी के हलफनामे में यह भी बताया गया कि अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क तथा सिस्टम (सीसीटीएनएस) पर कोर एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर माड्यूल में सात एकीकृत जांच फार्म प्रदान किए गए हैं।

इनमें से पांच फार्म यानी अपराध विवरण कैप्चर फार्म, गिरफ्तारी और अदालत आत्मसमर्पण फार्म, संपत्ति जब्ती ज्ञापन और अंतिम हैं। एफआइआर दर्ज होने की स्थिति से लेकर अंतिम रिपोर्ट जमा होने तक पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट भरनी होती है। यह भी कहा गया है कि अपराध विवरण प्रपत्र (आइआइएफ-एए) में पीड़ित के धर्म का उल्लेख अनिवार्य है और सॉफ्टवेयर इस अनिवार्य कॉलम पीड़ित के धर्म को पूरा किए बिना आगे रिपोर्ट प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देता है।

कई मामलों में जाति-धर्म का उल्लेख है जरूरी- डीजीपी

हाई कोर्ट ने बेहतर हलफनामा दायर करने का सरकार को दिया आदेश, डीजीपी ने कहा कि कई मामलों में एफआइआर में जाति-धर्म का उल्लेख करना जरूरी है।

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