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Kaithal News: बिना चले ऑक्सीजन प्लांट की सर्विस में आएगा लाखों का खर्च, विभागीय अधिकारियों की बढ़ी चिंताएं

कैथल में स्थित जिला नागरिक अस्पताल (Civil Hospital) में ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen ) विभाग के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है। बिना चले भी ऑक्सीजन प्लांट का खर्च लाखों रुपये में आ रहा है। अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट से सीधे आईसीयू में सप्लाई की जाती है। वहीं इंजीनियर ने ऑक्सीजन प्लांट में 8 से 10 लाख का खर्चा बताया है।

By Surender KumarEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Sun, 29 Oct 2023 02:23 PM (IST)
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बिना चले ऑक्सीजन प्लांट की सर्विस में आएगा लाखों का खर्च।

जागरण संवाददाता, कैथल। जिला नागरिक अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट विभाग के लिए सिर दर्द बना हुआ है। बिना चले ही आठ से दस लाख रुपये का खर्च ऑक्सीजन प्लांट पर आ रहा है। दो दिन पहले प्लांट की सर्विस को लेकर इंजीनियर की टीम ने अस्पताल का दौरा किया था। करीब 10 लाख रुपये का खर्च मरम्मत पर बताया है। साल 2021 में जब सर्विस करवाई गई थी उस दौरान भी 10 लाख रुपये का खर्च आया था।

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऑक्सीजन प्लांट से सीधे ही आईसीयू रूप में ऑक्सीजन की सप्लाई होती है, लेकिन ऑक्सीजन की खपत अब बहुत कम है, इसलिए प्लांट को नहीं चलाया जा रहा है। ऑक्सीजन सिलेंडर से ही मरीजों को दी जाती है। सिलेंडर प्लांट से नहीं भरे जाते।

ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट अगर चलाते हैं तो लाखों रुपये का खर्च आता है। ऐसे में ऑक्सीजन प्लांट को चलाने की बजाए बंद किया हुआ है। वर्ष 2021 में जब सर्विस करवाई थी तो उस समय भी करीब दस लाख रुपये का खर्च आया था और अब फिर से दस लाख का खर्च बताया जा रहा है।

कोरोना महामारी में शुरू किया था ऑक्सीजन प्लांट

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन प्लांट लगाया गया था। कोविड के समय ही प्लांट से ऑक्सीजन की सप्लाई होती थी, इसके बाद जब ऑक्सीजन की खपत कम हो गई थी तो इसे बंद कर दिया गया। वर्ष 2021 के बाद से ऑक्सीजन प्लांट से सप्लाई नहीं ली गई है। तीन साल से बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट से फायदा कम खर्च ज्यादा हो रहा है। प्लांट चलने के बाद बिजली का खर्च भी काफी ज्यादा रहता है।

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नहीं शुरू हो रहा है आईसीयू, डॉक्टरों की कमी

अस्पताल में आईसीयू तो बनकर तैयार हो चुका है, लेकिन विशेषज्ञ स्टाफ और डॉक्टरों की कमी के चलते इसे शुरू नहीं किया जा रहा है। इस कारण लोगों को इलाज के लिए दूसरे जिला या प्राइवेट अस्पतालों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अस्पताल में बेहोशी का एक डाक्टर है, दिल की बीमारी का कोई चिकित्सक नहीं है। वहीं, फिजिशियन, हड्डी रोग, गायिनी, नेत्र रोग, त्वचा रोग विशेषज्ञ एक-एक है। इससे मरीजों को इलाज के लिए काफी इंतजार करना पड़ रहा है। m

अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी

विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी के चलते मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बता दें कि अस्पताल बेड का है। 1500 से ज्यादा ओपीडी अस्पताल में रहती है। यही हाल सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है। जिले में छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 22 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। कई पीएचसी तो बिना डाक्टरों के ही चल रही है।

नागरिक अस्पताल के पीएमओ डॉ. सचिन मांडले ने बताया कि अस्पताल में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन प्लांट लगाया था। अब ऑक्सीजन की खपत कम है, इसलिए प्लांट को बंद किया गया है। सर्विस के लिए इंजीनियर आए थे, उन्होंने दस लाख का खर्च बताया है। सर्विस के लिए एस्टीमेट बनाकर भेजा जाएगा। ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर काफी खर्च आ रहा है।

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