Haryana News: कैथल शहर में डेयरी शिफ्टिंग नहीं होने से बढ़ी समस्या, गोबर से चोक हुए नाले; लोगों के सेहत पर भी खतरा
कैथल शहर में डेयरी शिफ्टिंग की समस्या वर्षों से लंबित है जिससे शहरवासियों को बढ़ती समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। डेयरियों के कारण शहर के विभिन्न हिस्सों में सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम चोक हो जाते हैं जिससे गंदगी फैलती है और जलजमाव हो जाती है। समस्या के समाधान के लिए डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी जो पूरी नहीं हो पाई।
लोगों की सेहत पर खतरा पर बन रही हैं डेयरी
शहर की रिहायशी कालोनियों में डेयरियों के संचालन से हालात बदतर हैं। इन इलाकों में पानी की निकासी की व्यवस्था ठीक से नहीं होने के कारण बरसात के दिनों में पानी जमा हो जाता है और आसपास के लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है।शहर से बाहर शिफ्ट करने में आ रही है परेशानी
हालांकि, प्रशासन ने डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने की योजना बनाई थी, लेकिन इसे लागू करने में आ रही बाधाओं के कारण यह संभव नहीं हो पाया। डेयरी संचालक भी इसके खिलाफ हैं, क्योंकि उनका कहना है कि शहर के बाहर जाने से उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा।इन मोहल्लों में चल रही बिना परमिशन के डेयरी
कैथल शहर के विभिन्न मोहल्लों में बिना परमिशन के डेयरियां चल रही हैं। इनमें से कई डेयरियों का कोई पंजीकरण नहीं है और न ही इनके पास संचालन की अनुमति है। मुख्यतः अमरगढ़ कालोनी, अर्जुन नगर, ऋषि नगर, पटेल नगर, बलराज नगर, जनकपुरी कालोनी, मायापुरी, डिफेंस कालोनी जैसे इलाकों में ऐसे डेयरी संचालक सक्रिय हैं।ये लोग बिना किसी नियम और कानून के डेयरियां चला रहे हैं, जिससे आस-पास के लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नगर परिषद की ओर से कोई सख्त कदम न उठाए जाने के कारण ये डेयरियां अवैध रूप से चल रही हैं, जिससे शहर में स्वच्छता और स्वास्थ्य की स्थिति बदतर होती जा रही है।डेयरी शहर की रिहायशी कालोनियों में होने से दिक्कत
रिहायशी कालोनियों में डेयरियों के होने से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्या है गंदगी और बदबू, जो इन डेयरियों से आती है। पशुओं के गोबर और मूत्र के कारण आसपास के इलाकों में बदबू फैल जाती है, जिससे वहां रहना मुश्किल हो जाता है।इसके अलावा, पानी की निकासी की व्यवस्था भी ठीक से न होने के कारण बरसात के दिनों में जलजमाव की समस्या और बढ़ जाती है। यह स्थिति खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक साबित हो रही है, क्योंकि इससे वे बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। डेयरियों के चलते मक्खियों और अन्य कीड़ों का भी प्रकोप बढ़ जाता है, जो संक्रामक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए जरूरी है कि डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट किया जाए ताकि रिहायशी इलाकों में सफाई और स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके।यह भी पढ़ें- Haryana Election: कांग्रेस में मची टिकट पाने की होड़, दौड़ में सबसे आगे नीरज और भड़ाना; देखिए दावेदारों की लिस्टडेयरियों के कारण नालियां गोबर से अटी हुई हैं। इस कारण लोगों को दिक्कत आती है।गलियों में ही भैंस बांधी जाती हैं, इससे लोगों को दिक्कत आती है। डेयरियों को शहर से शिफ्टिंग को लेकर नगर परिषद की तरफ से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
- लीलू सैनी निवासी चंदाना गेट
बदबू और गंदगी से बीमारियां फैलने का खतरा
डेयरियों से फैलने वाली बदबू और गंदगी के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इनमें सबसे अधिक खतरा है जल-जनित बीमारियों का, जो कि दूषित पानी और गंदगी के कारण होती हैं। इसके अलावा, मलेरिया, डेंगू, और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, क्योंकि जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ता है। गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियां भी फैलने की आशंका रहती है, जोखासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए घातक साबित हो सकती हैं। यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी नुकसानदेह है। बीमारियों के फैलने के कारण लोग अपने कार्यों में जाने में असमर्थ हो जाते हैं, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होती है।एक्सपर्ट की राय
यह भी पढ़ें- 'तीसरी बार सरकार बनाने के लिए समर्थन देगी जनता', रोहतक में बोले CM सैनी; नेकां-कांग्रेस गठबंधन पर भी कसा तंजडेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करना जरूरी है ताकि रिहायशी इलाकों में सफाई और स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर बनाया जा सके। डेयरियों से फैलने वाली बदबू और गंदगी के कारण विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा जल-जमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता है, जो डायरिकया, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। रिहायशी इलाकों में सफाई की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े।
-डॉ. नीरज मंगला, नोडल अधिकारी मलेरिया, स्वास्थ्य विभाग