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प्रदूषण से जूझ रहा करनाल, दीवाली के बाद बढ़ा AQI; अधिकारियों ने कहा- लोगों में जागरूकता की कमी

करनाल में दीवाली के बाद वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। आतिशबाजी और पराली जलाने से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 261 दर्ज किया गया है। यह पिछले साल के मुकाबले कम है लेकिन फिर भी खराब श्रेणी में है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की टीम प्रदूषण को कम करने के लिए सक्रिय है लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है।

By vishal kaushik Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 02 Nov 2024 08:27 AM (IST)
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261 पर पहुंचा करनाल का एक्यूआई (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, करनाल। जिले में छोटी और दीपावली को जमकर आतिशबाजी हुई। तमाम पाबंदियों को धत्ता बताते हुए शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक मानकों के विपरीत व्यापक प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का प्रयोग किया गया। साथ ही खेतों में पराली भी जलाई गई। इससे प्रदूषण स्तर बढ़ गया।

हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इसमें कमी दर्ज की गई है। शुक्रवार को जिले में औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स स्तर 261 रिकॉर्ड किया गया। जबकि गत वर्ष एक नवंबर को जिले का एक्यूआई स्तर 287 पर पहुंच गया था। जिले भर में वायु प्रदूषण स्तर बढ़ने का सिलसिला कायम है।

1 हफ्ते में 9 पराली के मामले

शुक्रवार शाम चार बजे शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 261 के औसत स्तर पर दर्ज किया गया। वहीं सात दिन में जिले भर में अलग अलग जगह पराली जलाने के नौ मामले सामने आए हैं, जिनमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व कृषि विभाग की टीम नियमानुसार कार्रवाई करेगी।

हालांकि बोर्ड की सख्ती से प्रदूषण नियंत्रण में कुछ सफलता भी मिली है। पिछले साल 26 अक्टूबर को एक्यूआई स्तर 197 दर्ज किया गया था तो इस साल 26 अक्टूबर को एक्यूआई स्तर 233 रहा।

पिछले साल कम हुआ प्रदूषण

पिछले साल 30 अक्टूबर को 307, 31 अक्टूबर को 310 व एक नवंबर को 287 एक्यूआई दर्ज किया गया, लेकिन इस साल 30 अक्टूबर को एक्यूआई 112, 31 को 158 रिकॉर्ड किया गया। दीपावली पर जमकर आतिशबाजी होने व पराली जलाने की घटनाओं के चलते एक नवंबर को एक्यूआई स्तर 261 दर्ज किया गया।

इधर, बोर्ड की टीम ने तीन सरकारी निर्माण कार्यों के मामलों व ढाबा संचालकों को पिछले दिनों नियमों का पालन न करने को लेकर नोटिस जारी किया था। 31 अक्टूबर को खेतों में पराली जलाने वालों की जांच की गई। इन सभी कार्यों का सीधा असर आबोहवा और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, हालांकि इस साल एक्यूआई गत वर्ष के मुकाबले कम रहा है।

इन चीजों पर लगा प्रतिबंध

बोर्ड ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए जिले में लकड़ी, कोयला, कोयले की अंगीठी आदि पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदार को बार-बार पानी छिड़काव की सलाह दी गई थी। बिना ड्यूल फ्यूल किट संचालित जेनरेटरों पर भी रोक लगाई गई। ताकि वायु प्रदूषण स्तर नहीं बढ़े।

ग्रैप में कई प्रतिबंध का प्रावधान

जब भी वायु प्रदूषण बढता है तो ग्रैप प्रक्रिया लागू कर दी जाती है। इसका पहला चरण एक्यूआई 201 से 300, दूसरा एक्यूआई 301 से 400 और तीसरा एक्यूआई 401 से 450 तक रहता है। 450 से ज्यादा स्तर पर ग्रैप-चार लागू हो जाता है। इसके तहत कई प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

यह होता वायु गुणवत्ता सूचकांक

  • 0 से 50 तक अच्छा
  • 51 से 100 तक संतोषजनक
  • 101 से 200 तक मॉडरेट
  • 201 से 300 तक खराब
  • 301 से 400 तक ज्यादा खराब
  • 400 से ज्यादा होने पर बेहद खराब

करनाल में वायु प्रदूषण स्तर

तिथि एक्यूआई
26 अक्टूबर 233
27 अक्टूबर 214
28 अक्टूबर 134
29 अक्टूबर 111
30 अक्टूबर 112
31 अक्टूबर 158
01 नवंबर 261

पिछले साल अक्टूबर से नवंबर का वायु प्रदूषण स्तर

तिथि एक्यूआई
26 अक्टूबर 197
27 अक्टूबर 261
28 अक्टूबर 117
29 अक्टूबर 111
30 अक्टूबर 307
31 अक्टूबर 310
01 नवंबर 287

पोर्टल पर पंजीकरण से काम पर नजर

बोर्ड अधिकारियों के अनुसार सरकारी व प्राइवेट एजेंसियां काम करवाने से पहले डस्ट पोर्टल पर पंजीकरण करा लें तो काम पर ऑनलाइन नजर रखी जा सकती है। इससे काफी हद तक वायु प्रदूषण रोका जा सकता है। लेकिन एजेंसियां कई बार बोर्ड के नियमों की अनदेखी करती हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। ऐसे में बोर्ड की टीम नोटिस देने के साथ सख्त कार्रवाई करती है।

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लोग समझें अपनी जिम्मेदारी

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शैलेंद्र अरोड़ा ने बताया कि वायु प्रदूषण बढ़ने से रोकने के लिए बोर्ड व जिला प्रशासन की टीम सक्रिय है। लेकिन ज्यादातर लोगों में जागरूकता की कमी है। वे थोड़े लालच के चलते खेतों में पराली जलाते हैं और एजेंसियां नियमों का उल्लंघन कर निर्माण करती हैं। इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

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