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Karnal News: मरीजों से ज्यादा बीमार हैं एबुंलेंस, भगवान भरोसे करनाल का स्वास्थ्य महकमा

मरीजों को अस्पताल पहुंचाने वाली एंबुलेंस खुद बीमार हैं। करनाल में स्वास्थ्य महकमें के पास 29 एंबुलेंस है जिसमे से 19 एंबुलेंस तीन लाख से ज्यादा चल चुकी हैं। जर्जर हो चुकी इन्हीं एंबुलेंसों से मरीजों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। चालकों के 91 में 28 और टेक्निशियन के 54 में से 17 पद चल रहे रिक्त चल रहे हैं।

By Narender kumar Edited By: Rajiv Mishra Published: Mon, 01 Jul 2024 12:41 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2024 12:41 PM (IST)
मरीजों को अस्पताल एंबुलेंस की हालात जर्जर

नरेंद्र पंडित, करनाल। स्वास्थ्य महकमे की 29 एंबुलेंस में 19 खुद बीमारी से ग्रस्त हो चुकी हैं और परिचालन की दृष्टि से सही हालत में नहीं हैं। ये अपनी सांसें लगभग पूरी कर चुकी हैं लेकिन महकमा उनका संचालन कर रहा है।

गंभीर अवस्था में मरीजों को अस्पताल पहुंचाकर पालनहार का काम करने वाली ये एंबुलेंस खुद बड़े खतरे से कम नहीं हैं। ऐसे में जिम्मेदारों के मूक दर्शक बनने से मरीजों की जिंदगी दांव पर है। ये 19 एंबुलेंस तीन लाख किमी से अधिक चल चुकी हैं लेकिन अपनी आयु पूरी करने के बाद भी मरीजों को ढोने में प्रयोग हो रही हैं।

रेफर होने वाले मरीजों को हायर सेंटर पहुंचाने के लिए भी एंबुलेंस की सहायता ली जाती है। मरीज व उनके तीमारदारों को जानकारी नहीं होती कि जिस एंबुलेंस में सवार हैं, उसकी आयु पूरी हो चुकी है या नहीं। ये खुद भगवान भरोसे चल रहीं हैं। कब कहां किस स्थिति में धोखा दे जाएं, कुछ नहीं कहा जा सकता।

रिपेयरिंग और ब्रेक डाउन की दिक्कत

विशेषज्ञों की मानें तो वाहन पांच साल या तीन लाख किमी तक उपयोग में लाया जा सकता है। उसके बाद परिचालन क्षमता क्षीण हो जाती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार 18 एंबुलेंस तीन लाख किमी से अधिक चल चुकी हैं। एक एंबुलेंस तीन लाख किमी के स्तर पर पहुंच चुकी है।

इसके बावजूद सभी एंबुलेंस सड़कों पर दौड़ रही हैं। गाड़ियां पुरानी हो चुकी हैं, जिससे अक्सर खराबी आती है और ब्रेक डाउन होता है। ऐसे में कहीं हादसा हो जाए तो उसकी जिम्मेदारी लेने वाला शायद कोई न होगा। समस्या यह भी है कि रिपेयरिंग के लिए भेजे जाने पर आसानी से सामान नहीं मिलता माडल पुराने हो चुके हैं।

समय पर कैसे पहुंचे वाहन, चालक ही नहीं

हाल में एंबुलेंस को लेकर मिल रही शिकायतों को लेकर सीएम फ्लाइंग की ओर से स्वास्थ्य विभाग में छापेमारी की गई थी। एंबुलेंस संबंधित सारा रिकॉर्ड कब्जे में लिया गया था।

सीएम तक शिकायतें पहुंची थीं कि एंबुलेंस उचित समय पर मरीज के पास नहीं पहुंचती लेकिन पहुंचे भी कैसे, जब एंबुलेंस चालकों के पद ही खाली हैं। जिले में एंबुलेंस चालक के कुल 91 पद हैं। 28 पद खाली हैं।

वहीं इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन के 54 पद स्वीकृत हैं लेकिन 17 रिक्त है। स्टाफ की कमी से एंबुलेंस समय पर तय स्थान पर नहीं पहुंच पाती।

ऐसे समझें व्यवस्था

  • जिले में कुल 29 एंबुलेंस हैं
  • इनमें 18 का क्षमता से अधिक संचालन होने के साथ समय हो चुका पूरा
  • एंबुलेंस 24 पीएचसी, तीन नागरिक अस्पताल, पांच सीएचसी व एक सब डिवीजन अस्पताल में तैनात
  • सभी गाडियां डायल 112 से जुड़ीं
  • इनके लिए हर माह करीब तीन हजार काल आती हैं

एंबुलेंस गाड़ियों की स्थिति

  • 10 गाड़ियां 2018 माडल
  • नौ गाड़ियां 2019 माडल
  • सात गाड़ियां 2021 माडल
  • एक गाड़ी 2023 माडल
  • दो गाड़ी 2024 माडलनोट

नोट- वर्ष 2018 व 2019 माडल की एंबुलेंस तीन लाख किलोमीटर से अधिक चल चुकी हैं।

क्या कहते अधिकारी

सिविल सर्जन डा. कृष्ण कुमार का कहना है कि जिले में मरीजों को सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से एंबुलेंस संचालित हैं। सभी एंबुलेंस सही स्थिति में हैं। किसी प्रकार की छोटी-मोटी दिक्कत आती है तो तुरंत रिपेयरिंग करा ली जाती है। सरकार की ओर से नई एंबुलेंस भी मिलनी हैं, जिसकी मांग भेजी हुई है।

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