Karnal News: इस बार डेंगू के साथ प्रदूषण की भी मार, संक्रमित मरीजाें के फीके त्योहार; स्वास्थ्य विभाग की टीम कर रहीं जागरूक
जिले में पिछले साल की तरह इस बार भी नवंबर महीने में डेंगू के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। इस बार भी विभाग डेंगू मामलों में कमी लाने में असफल साबित हुआ है। वहीं तापमान में गिरावट के बावजूद भी डेंगू और प्रदूषण के बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों में भर्ती मरीजों के आंकड़े चिंताजनक हैं। बीमार मरीजों के त्योहारों का रंग भी फीका पड़ रहा है।
जागरण संवाददाता, करनाल। Dengue And Pollution In Karnal: हल्की ठंड बढ़ जाने के बाद भी पिछले वर्ष की तरह अब की बार भी नवंबर माह में डेंगू के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं। एक वर्ष बीत जाने पर भी विभाग डेंगू मामलों में कमी लाने में असफल साबित हुआ है।
डेंगू की चपट में आने से बीमार मरीज के त्योहारों का रंग भी फीका पड़ने की आशंका है। तापमान में गिरावट के बावजूद भी डेंगू के बढ़ते मामले और अस्पतालों में भर्ती मरीजों के आंकड़े चिंताजनक हैं।
जिले में डेंगू के मरीज का आंकड़ा 430 के पार
जिले में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा 430 पर पहुंच चुका है। स्वास्थ्य विभाग के डेंगू से निपटने की पूर्ण तैयारी के दावों के बीच डेंगू की बढ़ती रफ्तार दावों को खोखला साबित कर रही है। चिकित्सकों का मानना है कि बीते कुछ वर्षों में क्लाइमेट चेंज, तापमान में देर से गिरावट होने, अनियमित बारिश की वजह से डेंगू के संक्रमण काल की अवधि की समय अवधि में भी फर्क पड़ा है।
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स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर लोगों को कर रहीं जागरूक
हालांकि डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. अनु शर्मा का कहना है कि विभाग की 160 टीमें लोगों को घर-घर जाकर जागरूक कर रही हैं। लार्वा मिलने पर भू-स्वामियों को नोटिस भी जारी किए जा रहे हैं। मरीजों के लिए आठ वार्डों में 54 बेड भी रिजर्व किए गए हैं।
डेंगू के साथ प्रदूषण की मार
डेंगू के बढ़ते मामलों के साथ दूषित वातावरण भी लोगों की चिंता बढ़ा रहा है। इस पर डॉ. प्रदीप ने बताया कि पीएम पार्टिकल के महीन कण लंग्स से निकलकर ब्लड में चले जाते हैं। पहले से डेंगू जैसे खतरनाक बीमारी से ग्रसित मरीज कोमार्बिड कंडीशन में चला जाता है। जहां से रिकवरी करना मरीज के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। उन्होंने बताया कि डेंगू से बचने का सबसे आसान तरीका है कि मच्छर से खुद को कैसै बचाया जाए।
उन्होंने कहा कि खासतौर पर फूल स्लीव कपडे का उपयोग किया जाए। रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। घरों में पानी को जमा नहीं होने दिया जाए।
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