श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र महाभारतकालीन नीमसर व मिश्रक तीर्थ, जानें क्या है मान्यता
हरियाणा के करनाल में महाभारतकालीन तीर्थ स्थान है। करनाल के निसिंग कस्बे में नीमसर और मिश्रक तीर्थ है। यहां करीब 20 फीट गहरा सरोवर है। इस सरोवर में स्नान करने का महत्व है। तीर्थ के बीच में महर्षि वेदव्यास की विशाल प्रतिमा है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag ShuklaUpdated: Sat, 26 Nov 2022 11:16 AM (IST)
निसिंग (करनाल), [अनिल भार्गव]। श्री सनातनधर्म शिव मदिर के उत्तर में महाभारत कालीन नीमसर एवं मिश्रक तीर्थ है। इस स्थान के प्रति श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। मान्यता है कि यहां स्नान-ध्यान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन भारी संख्या में महिला व पुरूष तीर्थ में स्नान करते हैं। अब यहां गीता महोत्सव के अवसर पर दीपदान किया जाएगा। इसे लेकर तीर्थ की देखरेख करने वाली कमेटी की ओर से तैयारियां की जा रही हैं।
इस तीर्थ का सरोवर करीब 20 फीट गहरा है, जिसमें स्नान करने जाने के लिए सीढिय़ां बनी हैं। तीर्थ के बीच में महर्षि वेदव्यास की विशाल प्रतिमा बनी है, जो तीर्थ में कई तीर्थों के जल का मिश्रण करते दिखते हैं। करीब दो एकड़ में फैले तीर्थ के एक किनारे पर महिलाओं के स्नान के लिए अलग स्नानघर है। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के दसवें दिन तीर्थ में शुद्ध स्नान किया जाता है। इसमें मछली पालन भी किया गया है। माता मनसा मंदिर व शिव मंदिर में माथा टेकने के बाद श्रद्धालु मछलियों को आटा व अन्य खाद्य पदार्थ डालकर पुण्य का लाभ लेते हैं।
चार वर्ष पूर्व पहुंचे थे सीएम
इस प्राचीन तीर्थ को वर्षों से अपने जीर्णोद्धा की आस है। दरअसल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 28 सितंबर 2018 को तीर्थ का दौरा करके गहन निरीक्षण किया था। तब सीमए ने एक करोड चार लाख रुपये की राशि से इस तीर्थ के जीर्णोद्धार की घोषणा की थी। तब उनके साथ कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव भी थे। मुख्यमंत्री ने तीर्थ पर वातानुकूलित हाल, पक्का ग्राउंड बनवाने के साथ ही 40 फुट चौड़े तीर्थ गेट के निर्माण व तीर्थ के पानी की निकासी का प्रबंध करवाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक इन कार्यों में ग्राउंड ही पक्का हो पाया है।
सुबह-शाम परिक्रमा करते श्रद्धालु
प्रतिदिन सुबह व शाम के समय अनेक श्रद्धालु मंदिर में सैर के लिए आते हैं। इनमें प्रतिदिन सैकडों लोग नीमसर तीर्थ के चारों तरफ परिक्रमा करते हैं। इससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य के साथ ही परिक्रमा का पुण्य फल भी मिलता है। लेकिन परिक्रमा के लिए बना पक्का रास्ता अब जर्जर होकर टूट चुका है। इसे दोबारा बनाए जाने की मांग लंबे समय से उठ रही है, जिसे न मंदिर कमेटी ने बनाया और न ही कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने। प्रधान लाला रोशन लाल गोयल के अनुसार विकास बोर्ड की ओर से तीर्थ के जीर्णोद्धार का काम जब शुरू होगा, उसी समय परिक्रमा के लिए टूटे रास्ते का भी नवीनीकरण करवाया जाएगा।
इस प्रकार पड़ा था तीर्थ का नामनीमसर एव मिश्रक तीर्थ पर शौनक आदि ऋषियों ने तपस्या की थी। उस समय ऋषियों ने महर्षि वेदव्यास से कहा था कि प्रभु कोई ऐसी युक्ति बताईये, जिससे अल्प समय में ही एक साथ सभी तीर्थों के स्नान का पुण्य प्राप्त हो सके। तब महर्षि ने सभी तीर्थों के जल को एकत्रित करके नीमसर तीर्थ के जल में मिश्रण किया था। तभी से इसका नाम नीमसर एवं मिश्रक तीर्थ पडा था। अब कुरुक्षेत्र के 48 कोसी क्षेत्र में होने के कारण गीता महोत्सव पर इस तीर्थ में भी प्रतिवर्ष दीप दान किया जाता है।
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