Haryana News: पांच लाख की आबादी वाले शहर में शतक लगा चुका डेंगू का डंक, स्वच्छता अभियानों में व्यस्त अधिकारी
Haryana News हरियाणा के करनाल में पांच लाख की आबादी वाले शहर में डेंगू का डंक का शतक लगा चुका है। डेंगू रोकथाम के अब तक के उपाय कोरम पूरा करने वाले साबित हुए हैं। निगम व स्वास्थ्य विभाग की बैठकों का नेतृत्व करने वाले उपायुक्त की सख्ती भी बेअसर है। कहा जा सकता है कि डेंगू के मरीजों का इजाफा अधिकारियों की लचरता का परिणाम है।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Fri, 08 Sep 2023 07:45 PM (IST)
करनाल, जागरण संवाददाता: सीएम सिटी में आमजन के लिए इन दिनों डेंगू चिंता का विषय बना है। मरीजों की संख्या का शतक लगने के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर हुई बैठकों का असर धरातल पर देखने को नहीं मिला है। शहर की आबादी के मुकाबले संसाधनों व कर्मचारियों की संख्या का मिलान करें तो अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
डेंगू रोकथाम के अब तक के उपाय कोरम पूरा करने वाले साबित हुए हैं। निगम व स्वास्थ्य विभाग की बैठकों का नेतृत्व करने वाले उपायुक्त की सख्ती भी बेअसर है। शहर में खुले मेनहाल, नालियों व जलभराव के क्षेत्रों में डेंगू का लार्वा पनप रहा है और मरीज रोगग्रस्त होने को मजबूर हैं। कहा जा सकता है कि डेंगू के मरीजों का इजाफा अधिकारियों की लचरता का परिणाम है।
किस काम की फोगिंग
सेक्टर चार के सुखबीर त्यागी ने बताया कि दो माह से नाले-नालियों के अलावा जलभराव और गंदगी वाले क्षेत्रों में मच्छरों का पनपना जारी है। फागिंग करने वाले आधे-अधूरे क्षेत्र में धुआं उड़ाकर निकल लेते हैं और स्वास्थ्य विभाग के इक्का-दुक्का कर्मी रजिस्टर भरकर रुटीन उपस्थिति दर्ज करने में व्यस्त हैं।करीब पांच लाख की आबादी वाले शहर में स्वच्छता की पहरेदारी के नाम पर रोजाना डेंगू को भगाने के लिए लाखों रुपये का धुआं उड़ाया जाता है। इसके बावजूद शहर का बड़ा हिस्सा डेंगू की चपेट में है।
एंटी लार्वा का छिड़काव नहीं
डेंगू का मच्छर फागिंग से नहीं मरता। इसके लिए एंटी लार्वा का छिड़काव समय पर नहीं किया गया। फागिंग से डेंगू का मच्छर कुछ देर अचेत हो जाता है लेकिन पूरी तरह मरता नहीं है। धुएं का असर सिर्फ सामान्य या मलेरिया के कारक क्यूलेक्स मच्छर पर होता है। एडीज मादा से मुकाबला करने के लिए लेटेक्स, मेनेथाल और बारिक एसिड का उपयोग जरूरी है जो समय रहते शहर के प्रभावित इलाकों में जरूरत के अनुसार नहीं किया गया।तगड़ा बजट, विशेषज्ञ का टोटा
शहर में साफ-सफाई के लिए निगम कई अभियान चला रहा है लेकिन वर्षा के बाद मच्छरों की भरमार पर रोक नहीं लगाई जा सकी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 273 करोड़ 8763 रूपये का प्रस्तावित बजट पास हुआ। समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में खर्च के बाद ओपनिंग बैलेंस 49 करोड़ 97 लाख 48763 रुपये रहा था।इतना कुछ होने पर भी निगम में किसी मेडिकल एक्सपर्ट की तैनाती नहीं है। बजट सत्र में मच्छरों की रोकथाम के लिए 15 फागिंग मशीन खरीदने की बात सामने आई और आठ मशीनों को वार्डों में तैनात किया गया। लेकिन इसे चार माह बीतने को हैं और लाखों रुपये बजट वाले अभियानों के बाद भी शहरवासियों को मच्छरजनित रोगों से बचाया नहीं जा सका है।
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