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Haryana News: सीएम सैनी को अपने गुरु मनोहर लाल की सीट पर जीत दर्ज करना क्यों बनी चुनौती? जानें विपक्ष का गेम प्लान

हरियाणा में वैसे तो लोकसभा चुनाव के लिए 25 मई को वोटिंग होनी है लेकिन यहां पर लोकसभा की कोई सीट हॉट ना बनकर करनाल में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की सीट पर सबकी नजर टिक सी गई है। यहां पर इसी दिन मतदान होना है। यह वही सीट है जहां से पूर्व सीएम मनोहर लाल विधायक थे। अब सीएम सैनी इसी सीट से मैदान में हैं।

By Monu Kumar Jha Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Mon, 22 Apr 2024 12:52 PM (IST)
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Haryana Politics: सीएम सैनी पर अपने गुरु की सीट पर जीत का परचम लहराने की भारी चुनौती। फाइल फोटो
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। (Karnal Assembly By-Election 2024 Hindi News) करनाल में होने वाले विधानसभा उपचुनाव पर सभी दलों की निगाह है। करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) ने मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के लिए करनाल विधानसभा सीट खाली की है। नायब सिंह सैनी पर अपने राजनीतिक गुरु मनोहर लाल की सीट पर जीत का सिलसिला बरकरार रखने की जबरदस्त चुनौती और भारी दबाव है।

करनाल विधानसभा सीट पर भी 25 मई को उपचुनाव

राज्य की 10 लोकसभा सीटों (Haryana Lok Sabha Election 2024) की तरह करनाल विधानसभा सीट पर भी 25 मई को उपचुनाव होना है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जहां हरियाणा और राजस्थान में लगातार भाजपा की रैलियां कर रहे हैं। वहीं अपने विधानसभा क्षेत्र करनाल में भी उन्होंने व्यापक प्रचार अभियान छेड़ा हुआ है। करनाल में मनोहर लाल को लोकसभा और नायब सिंह सैनी को विधानसभा चुनाव जितवाने के लिए उनकी टीमों ने डेरा डाला हुआ है।

कांग्रेस-जजपा-इनेलो ने अभी तक नहीं उतारे अपना कोई उम्मीदवार

नायब सिंह सैनी ( CM Nayab Singh Saini) के सामने अभी तक कांग्रेस, जजपा (JJP News), आप (AAP News) और इनेलो (INLD News) ने अभी तक अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री नायब सैनी के सामने चुनाव लड़वाने के लिए विपक्षी दलों के पास मजबूत उम्मीदवार नहीं है। चर्चा है कि एक सोची समझी रणनीति के तहत विपक्षी दल करनाल विधानसभा के उपचुनाव में कमजोर प्रत्याशी उतार सकते हैं।

सैनी कुरुक्षेत्र के सांसद रहते हुए हरियाणा के बने मुख्यमंत्री

जबकि इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला (Abhay Singh Chautala) ने विपक्षी दलों का संयुक्त प्रत्याशी उतारने का प्रस्ताव रखा है। कांग्रेस, आप और जजपा ने अभी तक अभय सिंह चौटाला के इस प्रस्ताव पर कोई गौर नहीं किया है। नायब सिंह सैनी कुरुक्षेत्र (Kurukshetra News) के सांसद रहते हुए हरियाणा (Haryana News) के मुख्यमंत्री बने हैं। मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए नायब सैनी को छह माह के भीतर करनाल विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतना जरूरी था।

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तिरलोचन को नायब सैनी के सामने माना जा रहा मजबूत प्रत्याशी

इस उपचुनाव को टालने के लिए कुछ लोगों ने हाई कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की लेकिन हाई कोर्ट ने उपचुनाव कराने पर कोई रोक नहीं लगाई। सबसे अधिक चुनौती यहां कांग्रेस के लिए बनी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को साल 2019 के विधानसभा चुनाव में चुनौती देने वाले कांग्रेस नेता सरदार तिरलोचन सिंह के नाम पर कांग्रेस इस बार असमंजस में है। हालांकि तिरलोचन सिंह को नायब सैनी के सामने मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है।

पिछले दिनों भाजपा छोड़कर किसी नये दल की तलाश कर रहे मनोज वधवा की इच्छा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की है लेकिन उनकी राजनीतिक निष्ठा पर संदेह किया जा रहा है। मनोज वधवा पहले इनेलो में थे और फिर कांग्रेस में कुछ दिन रहने के बाद भाजपा में शामिल हुए और अब उन्होंने भाजपा भी छोड़ दी है।

कांग्रेस में हुड्डा गुट वधवा के खिलाफ तो एसआरके समर्थन में

कांग्रेस (Haryana Congress) में हुड्डा गुट (Bhupinder Singh Hooda) मनोज वधवा के हक में नहीं है जबकि सैलजा-रणदीप-किरण (एसआरके) गुट मनोज वधवा को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाने के पक्ष में है। हुड्डा खेमे से तिरलोचन सिंह के साथ-साथ करनाल की पूर्व विधायक सुमिता सिंह का नाम भी सामने आ रहा है लेकिन हुड्डा गुट यहां इंद्री के पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री भीमसेन मेहता को चुनावी रण में उतारने का लगभग मन बना चुका है। इनेलो अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता बृज शर्मा का नाम आगे कर चल रहा है।

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