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Haryana Politics: करनाल उप चुनाव में फंसा पेंच, महाराष्ट्र की तर्ज पर रद्द होगा इलेक्शन! हाई कोर्ट में दी गई ये दलील

हरियाणा में मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने करनाल विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद यह सीट खाली हो गई थी। नियम भी यही कहता है कि जो मुख्यमंत्री बना है उसे छह महीने के अंदर उस राज्य की विधानसभा का सदस्य होना जरूरी है लेकिन अब एक याचिका दायर की गई है। जिसके तहत चुनाव न कराने की बात कही गई है।

By Dayanand Sharma Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 28 Mar 2024 05:51 PM (IST)
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Haryana News: करनाल उप चुनाव में फंसा पेंच, महाराष्ट्र की तर्ज पर रद होगा चुनाव!
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा करनाल विधानसभा सीट (Karnal Assembly Seat) पर 25 मई को कराया जाने वाले उपचुनाव (Karnal By-Election) कानूनी पचड़े में फंस गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इस बाबत दायर एक याचिका में कानून का हवाला देकर कहा गया है कि आयोग उप चुनाव नहीं करा सकता, क्योंकि हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है। यह मामला पंचकूला निवासी रविंदर सिंह ढुल द्वारा दायर एक जनहित याचिका के मद्देनजर हाई कोर्ट के समक्ष पहुंचा है।

याचिका में भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) को करनाल विधानसभा क्षेत्र के लिए जारी चुनाव कार्यक्रम को रद करने का निर्देश देने की मांग की गई है। करनाल विधानसभा सीट 13 मार्च को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Manohar Lal) के इस्तीफे के कारण खाली हुई थी। मनोहर लाल ने नवगठित नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में बहुमत परीक्षण पास करने के तुरंत बाद अपना इस्तीफा दे दिया था। हरियाणा में विधानसभा के आम चुनाव इस साल अक्टूबर में होने हैं।

याचिकाकर्ता द्वारा चुनाव आयोग तथा हरियाणा सरकार को दी गई याचिका की अग्रिम प्रतियों के अनुसार, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151ए के प्रविधान (ए) के अवलोकन से पता चलता है कि यदि विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम है तो चुनाव आयोग के पास उप चुनाव कराने का कोई अधिकार नहीं है।

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याचिका में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि महाराष्ट्र के अकोला निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित उप चुनाव के बारे में चुनाव आयोग ने 15 मार्च को चुनाव कार्यक्रम घोषित किया था। इस बाबत 28 मार्च को अधिसूचना जारी होनी थी और 26 अप्रैल को चुनाव होना था।

चुनाव आयोग के इस फैसले को बाम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में चुनौती दी गई थी। हालांकि, बाम्बे हाई कोर्ट ने चुनाव अधिसूचना को इस आधार पर रद कर दिया कि विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने में एक वर्ष से भी कम समय बचा है। बाम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के इस आदेश के बाद भारतीय चुनाव आयोग ने 27 मार्च को अकोला निर्वाचन क्षेत्र के संबंधित उपचुनाव को रोक दिया।

याचिका में कोर्ट को बताया गया कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151-ए की व्याख्या बहुत सरल और स्पष्ट है और इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है। यह स्पष्ट है कि जब विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम हो तो कोई चुनाव नहीं हो सकता है। याचिका में कहा गया है, चूंकि बाम्बे हाई कोर्ट के फैसले का चुनाव आयोग द्वारा अनुपालन किया गया है।

इसलिए यह स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में भी यही रास्ता अपनाने की आवश्यकता थी, क्योंकि 21-करनाल के साथ-साथ 30-अकोला पश्चिम (महाराष्ट्र) में उप चुनाव कराने का निर्णय चुनाव आयोग ने एक ही आदेश में लिया था। हाई कोर्ट से मांग की गई कि वह चुनाव आयोग को करनाल उप चुनाव को रद करने का आदेश दे। यह याचिका अभी हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में दायर की गई है और संभवत इस पर अगले सप्ताह सुनवाई हो।

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