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जिले में 850 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचे तूड़े के भाव, गोशालाओं को दी गई 54 लाख की राशि बनेगी संजीवनी

जागरण संवाददाता करनाल इस बार तूड़े के भाव आसमान छूती महंगाई की श्रेणी में शामिल हो

By JagranEdited By: Updated: Wed, 20 Apr 2022 11:49 PM (IST)
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जिले में 850 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचे तूड़े के भाव, गोशालाओं को दी गई 54 लाख की राशि बनेगी संजीवनी

जागरण संवाददाता, करनाल : इस बार तूड़े के भाव आसमान छूती महंगाई की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। पिछले साल जहां तूड़े का भाव 400 रुपये प्रति क्विटल था,वहीं इस बार वह दोगुने से भी ज्यादा 850 रुपये प्रति क्विटल तक जा पहुंचा है। तूड़ा भी बाजार में जरूरत के हिसाब से उपलब्ध नहीं हो पा रही। मार्केट से जुड़े लोगों का कहना है कि अबकी बार सीधे व्यापारी ने किसान से सौदा किया है, वे खुद कटाई करते हुए तूड़ा को आगे बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। व्यापारी खेतों से तूड़ी निकलवाकर बेच रहा है। जबकि, पहले गौशाला को कटाई के दाम पर वह फ्री में मिल जाता था। ऐसे में सबसे ज्यादा संकट गोशाला संचालकों के समक्ष पशुधन के आहार की समस्या खड़ी हो गई है। हालांकि करनाल जिले की 24 गोशालाओं को प्रदेश सरकार की ओर से मार्च में जारी की गई करीब 54 लाख रुपये की राशि संजीवनी का काम कर सकती है। क्योंकि गोशालाओं को निशुल्क तूड़ा मिल नहीं रहा है, अब गोवंश के भरण-पोषण के लिए उन्हें तूड़ा खरीदना पड़ेगा। एक पशु का एक दिन का खर्च कम से कम 100 रुपये

महंगाई इस कदर है कि एक पशु के रख-रखाव के लिए करीब 100 रुपये कम से कम एक दिन के लगते हैं। एक गाय को एक समय में करीब 10 किलो तूड़ा भोजन के रूप में जरूरत पड़ती है। हरा चारा, खल व आटा आदि की भी जरूरत होती है। गोशालाएं करीब 10 से 11 माह तक के तूड़ी की व्यवस्था इन दिनों में कर लेती थी। जबकि, फिलहाल, दो माह तक का ही पशुचारा स्टाक हो पाया है। मजबूरी के चलते उन्हें अन्य विकल्पों की तरफ उन्हें आगे आने वाले दिनों में बढ़ना पड़ेगा। जिले में कुल 24 गोशालाएं रजिस्टर्ड हैं। जिनमें 17987 गोवंश है। सरसों की बढ़ी पैदावार तो गेहूं का रकबा हुआ कम

पिछले साल भी सरसों के दामों में तेजी देखने को मिली थी। अनुमान के हिसाब से इस बार भी किसान को फायदा हो रहा है। जो स्टाक करने की क्षमता रखते हैं, वे पूरी सरसों को भी अभी बाजार में नहीं लाए। जिले में 1.72 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुआई हुई थी, जबकि करीब सात हजार हेक्टेयर में सरसों की भी बुआई की गई थी। दूसरी ओर आगजनी के कारण भी काफी क्षेत्रफल में गेहूं के अवशेष जलकर राख हो गए थे, गेहूं के अवशेषों की कमी के चलते तूड़े के भाव ज्यादा बढ़ गए। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पशुपालकों और गोशाला संचालकों को चाहिए कि वे ज्वार, मक्का सहित मौसम के हिसाब से आने वाले पशु चारे का प्रयोग करें।

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