भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भाई दूज
भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भाई दूज का त्योहार पूरे देश में मनाए जाने वाला पर्व है। इस त्योहार के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनके उज्जवल भविष्य और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
By JagranEdited By: Updated: Fri, 09 Nov 2018 12:15 AM (IST)
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भाई दूज का त्योहार पूरे देश में मनाए जाने वाला पर्व है। इस त्योहार के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनके उज्जवल भविष्य और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई दूज या भैया दूज का यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करेंगी। भाई दूज को भाऊ बीज और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार कार्तिक में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपराह्न यानी दिन के चौथे भाग में भाई दूज मनाई जानी चाहिए। माना जाता है कि अगर अपराह्न के वक्त द्वितीया तिथि लग जाए तो उस दिन भाई दूज नहीं मनानी चाहिए। मान्यता के अनुसार ऐसे में भाईदूज अगले दिन मनानी चाहिए। अगर ऐसा हो जाए कि अपराह्न के वक्त द्वितीया तिथि नहीं लगे तो भाई दूज या अगले दिन मनाई जाती है। वहीं, कुछ लोग कार्तिक शुक्ल पक्ष में मध्याह्न यानी दिन के तीसरे भाग में प्रतिपदा तिथि शुरू होने पर भाईदूज मनाते हैं। भैया दूज के शुभ मुहूर्त शुभ मुहूर्त शुरू- दोपहर 1-10 मिनट
शुभ मुहूर्त समाप्त- दोपहर 3-27 मिनट
शुभ मुहूर्त की अवधि- 2 घंटे 17 मिनट भाई दूज पर पूजा विधि :
पंडित सुरेश मिश्रा का कहना है कि इस दिन सबसे पहले नहा कर तैयार हो जाएं। फिर आटे का चौक तैयार कर लें। अगर आप व्रत करती हैं तो सूर्य को जल देकर व्रत शुरू करें। शुभ मुहूर्त आने पर भाई को चौक पर बिठाएं और उसके हाथों की पूजा करें। सबसे पहले भाई की हथेली में चावल का घोल लगाएं। फिर उसमें ¨सदूर, पान, सुपारी और फूल वगैरह रखें। अंत में हाथों पर पानी अर्पण कर मंत्रजाप करें। इसके बाद भाई का मुंह मीठा कराएं और खुद भी मीठा खाएं। शाम के समय यमराज के नाम का दीया जरूर जलाएं। कुछ बहनें इस दिन दोपहर तक व्रत भी रखती हैं। इस दिन दोपहर के बाद यम पूजन करने का भी प्रावधान है।
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