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उज्जायी प्राणायाम से पाई जा सकती सांसों पर नियंत्रण : योगेंद्र

उज्जायी प्राणायाम का मतलब वह प्राणायाम जो बंधन से स्वतंत्रता दिलाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से वायु को जीता जाता है। यानी अपनी सांसों पर विजय पाना। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कॉलेज के योग शिक्षक योगेंद्र बताते हैं कि जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है। उज्जायी प्राणायाम को करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रणायाम का अभ्यास सर्दी को दूर करने के लिए किया जाता है।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 18 Jun 2020 08:15 AM (IST)
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उज्जायी प्राणायाम से पाई जा सकती सांसों पर नियंत्रण : योगेंद्र

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र :

उज्जायी प्राणायाम का मतलब वह प्राणायाम जो बंधन से स्वतंत्रता दिलाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से वायु को जीता जाता है। यानी अपनी सांसों पर विजय पाना। श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय कॉलेज के योग शिक्षक योगेंद्र बताते हैं कि जब इस प्राणायाम को किया जाता है तो शरीर में गर्म वायु प्रवेश करती है और दूषित वायु निकलती है। उज्जायी प्राणायाम को करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रणायाम का अभ्यास सर्दी को दूर करने के लिए किया जाता है।

उज्जायी प्राणायाम करते समय सावधानियां

यह प्राणायाम हमेशा खाली पेट करना चाहिए। इस प्राणायाम की अवधि एक साथ नहीं बढ़ानी चाहिए। इस प्राणायाम में सांसे गले की नली को छुकर जानी चाहिए। सिर दर्द व चक्कर आने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए। ज्यादा जोर लगाकर आवा•ा न करें, अन्यथा गले में खराश हो जाएगी। इस प्राणायाम का अभ्यास साफ-स्वच्छ हवा बहाव वाले स्थान पर करें। उज्जायी प्राणायाम कैसे करते हैं

इस प्राणायाम की विधि बहुत ही सरल है, आंख बंद करके पद्मासन जैसे किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठें और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। किसी भी आरामदायक आसान में बैठ जायें। पूरे शरीर को शिथिल कर लें। समान रूप से श्वास लें। थोड़ी देर बाद अपना ध्यान गले पर ले आएं। ऐसा अनुभव करें या कल्पना करें की श्वास गले से आ-जा रहा है। जब श्वास धीमा और गहरा हो जाए तो कंठ-द्वार को संकुचित करें। ऐसा करने पर आपके गले से सांस आने और जाने पर धीमी सी आवाज आनी चाहिए। जैसे हलके खर्राटों की तरह या समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है। अब सांस लंबी और गहरी होनी चाहिए। बताए गए तरीके से बाएं, दाएं और दोनों नथ्नों के माध्यम से श्वास लेना एक भास्त्रिका प्राणायाम का पूरा चक्र होता है। ऐसा 10-20 मिनट तक करें। अगर ज्यादा देर बैठने में परेशानी हो तो उज्जायी प्राणायाम लेटकर या खड़े होकर भी कर सकते हैं।

प्राणायाम के लाभ

-यह आसन शरीर में प्राण शक्ति बढ़ाता है।

-इसका अभ्यास तनाव, अस्थमा और हकलाने से संबंधित विकारों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।

-प्राणायाम से अवसाद का इलाज भी किया जा सकता है।

-इसके अभ्यास से स्थिर मन और ²ढ़ इच्छा-शक्ति प्राप्त होती है।

-नियमित रूप से इस प्राणायाम करने से लंबी आयु प्राप्त होती है।

-अगर आपकी कोई नाड़ी रुकी हुई हो तो यह प्राणायाम उसको खोल देता है।

-मन को स्पष्टता और शरीर को सेहत प्रदान करता है।

-शरीर, मन और आत्मा में प्राणायाम करने से तालमेल बनाता है।