Move to Jagran APP

Dev Uthani Ekadashi: देवउठनी एकादशी 4 को, शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य, इन कार्यों को भूलकर भी न करें

Dev Uthani Ekadashi 2022 देवउठनी एकादशी चार नवंबर को है। इसे देवताओं की दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे। देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। एकादशी के दिन तामसिक भोजन करने से बचें।

By Vinod KumarEdited By: Anurag ShuklaUpdated: Thu, 03 Nov 2022 03:59 PM (IST)
Hero Image
चार नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत है।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। भगवान विष्णु के कार्तिक पक्ष की एकादशी के दिन चार मास बाद योग निद्रा से जागते ही देवता अपनी दीपावली मनाएंगे। चातुर्मास के समापन पर भगवान विष्णु फिर से सृष्टि के संचालन का दायित्व लेते हैं। देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं। इस दिन देवउठनी एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

ये है शुभ समय

इस बार कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि वीरवार की शाम सात बजकर 30 मिनट से हो रही है। इसी दिन चातुर्मास का समापन भी होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि देवउठनी एकादशी के नाम से ही जानी जाती है। इसे प्रबोधिनी एकादशी या देवुत्थान एकादशी भी कहते हैं।

देवउठनी एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त

शुक्रवार को देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का सही समय सुबह छह बजकर 35 मिनट से 10:42 एएम रहेगा। इस समय में भी सुबह 7:57 से 09:20 तक लाभ-उन्नति मुहूर्त और सुबह 09:20 से सुबह 10:42 बजे तक अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त है ।

एकादशी पारण समय

देवउठनी एकादशी व्रत का पारण शनिवार को किया जाएगा। व्रत पारण सुबह 06:36 से सुबह 08:47 के मध्य कर लेना चाहिए। इस दिन द्वादशी तिथि का समापन शाम 05:06 पर होगा।

एकादशी का महत्व

मांगलिक कार्यों की दृष्टि से देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। इस तिथि से विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, सगाई जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक चार माह कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इन चार माह भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है।

एकादशी पर दान का महत्व

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र कुरुक्षेत्र के संचालक डा. रामराज कौशिक ने बताया की देवउठनी एकादशी पर दान का विशेष महत्व है। इस दिन घर में गाय के गोबर का लेप कर पवित्र करने की भी परंपरा है। इस दिन नए अन्न, धान, मक्का, गेहूं, बाजरा, उड़द, गुड, वस्त्र आदि का दान दिया जाता है। इसके साथ ही सिंघाड़ा, शकरकंदी, बेर, गन्ना आदि का दान भी श्रेष्ठ माना गया है।

एकादशी पर तामसिक भोजन से बचें

देवउत्थान एकादशी व्रत के दौरान निर्जला या सिर्फ पानी पीकर ही व्रत रखना चाहिए। इस दिन तामसिक आहार (प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन) न खाएं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। इस दिन चावल खाने से व्यक्ति के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

दूसरे के घर पर न करें भोजन, नहीं काटे बाल और नाखून

एकादशी के दिन किसी दूसरे के घर का भोजन नहीं करना चाहिए। इस दिन भगवान नारायण को पान अर्पित किया जाता है, ऐसे में व्यक्ति को पान नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा एकादशी तिथि पर जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली को खाना भी वर्जित माना जाता है। इस दिन बाल, दाढ़ी व नाखून आदि काटने से परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही सूर्यास्त के बाद घर में झाड़ू कतई न लगाएं।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें