Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Gita Jayanti Mahotsav 2022: शिल्‍प मेले में 20 राज्‍यों की कला, पर्यटकों को भा रही कश्‍मीरी शाल

शिल्प मेले में 20 राज्यों की कला का नमूना दिख रहा है। शिल्प मेले में पर्यटकों को पश्मीना शाल व बनारस जामदानी कढ़ाई की साड़ी भा रही। बनारसी प्योर सिल्क पर जामदानी कढ़ाई से तैयार लहंगा पर्यटकों को आकर्षित कर रहा।

By Vinod KumarEdited By: Anurag ShuklaUpdated: Mon, 28 Nov 2022 05:20 PM (IST)
Hero Image
Gita Jayanti Mahotsav 2022: कुरुक्षेत्र में लगा शिल्‍प मेला।

कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के शिल्प और सरस मेले में शिल्पकारों की कला का अनूठा नमूना दिख रहा है। मेले में पहुंचे पर्यटकों को जम्मू कश्मीर की प्योर पश्मीना शाल की गर्माई भा रही है तो बनारस की जामदानी कढ़ाई भी पसंद आ रही है। मेले जम्मू कश्मीर के शिल्पकार शुद्ध पश्मीना की 80 ग्राम वजन की 10 हजार रुपये तक की शाल लेकर पहुंचे हैं तो बनारस के शिल्पकार अपने साथ जामदानी कढ़ाई से तैयार 25 हजार रुपये तक की साड़ी लेकर पहुंचे हैं।

इतना ही नहीं मेले में राजस्थान के जयपुर से पहुंचे शिल्पकारों की 700 ग्राम की जयपुरी रजाई भी पर्यटकों की पहली पसंद बनी हुई है। मेले में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर सजे करीब 20 राज्यों के शिल्प को देखकर पर्यटक गदगद हैं तो अच्छी खरीदारी होने पर शिल्पकारों के चेहरे भी खिले हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव को लेकर ब्रह्मसरोवर के घाटों पर 19 नवंबर से छह दिसंबर तक शिल्प और सरस मेला लगाया गया है। इस मेले में उत्तरी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला की ओर से करीब 20 राज्यों के शिल्पकारों को बुलाया गया है। मेले में पंजाब के पटियाला से पहुंचे शिल्पकार फुलकारी से सजे सूट और दुपट्टे के साथ-साथ पंजाबी जूती लेकर पहुंचे हैं। मेले में बनारस की प्योर सिल्क में जामदानी कढ़ाई से सजी साड़ी भी मिल रही है तो आसाम के केन बैंबू से तैयार सजावटी सामान भी हैं। मेले 600 करीब स्टालों में सजे शिल्पकारों के उत्पाद पर्यटकों को अपनी ओर खींच रहे हैं।

जामदानी कढ़ाई से तीन साल में तैयार लहंगा-कुर्ती में पांच लाख में नहीं बेच रहे शिल्पकार

उत्तर प्रदेश के बनारस से आए शिल्पकार बाबू लाल पटेल को साल 2012 में एक लहंगा कुर्ती पर जामदानी कढ़ाई का बेहतरीन काम करने पर राष्ट्रीय अवार्ड मिला है। बाबू लाल पटेल को यह लहंगा-कुर्ती तैयार करने में पूरी तीन साल लगे थे। इसमें से दो साल लहंगे तो एक साल कुर्ती पर कढ़ाई करने में लगे। इस लहंगे-कुर्ती पर बाबू लाल ने जरी के धागे पर चांदी का वर्क लगाकर कढ़ाई की है। वह इस ड्रेस को प्रदर्शनी में दिखाने के लिए लेकर जाते हैं। कद्रदान बाबू लाल इस लहंगे की पांच लाख रुपये तक कीमत देने को तैयार हैं, लेकिन बाबू लाल ने इसका दूसरा पीस तैयार होने तक इसे ना बेचने का फैसला लिया है। बाबू लाल ने बताया कि वह मेले में अपने साथ शिफान साड़ी, दुपट्टा और सूट लेकर आए हैं। उसके पास काटन के धागे से जामदानी कढ़ाई की 2500 रुपये लेकर तीन हजार रुपये तक साड़ी हैं। वह मेले में 1500 रुपये लेकर 25 हजार रुपये तक की साड़ी, सूट लेकर आए हैं।

अंगूठी से आर-पार हो जाती है 80 ग्राम पश्मीना

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर से मुस्ताक अहमद मीर भी अपने साथ पश्मीना शाल और अन्य गर्म कपड़े लेकर पहुंचे हैं। मुस्ताक अहमद मीर को शिल्पगुरु अवार्ड मिला हुआ है। उनके साथ आए आसीफ ने बताया कि कुरुक्षेत्र के शिल्प मेले के साथ-साथ देश भर के शिल्प मेलों और प्रदर्शनियों में पश्मीना शाल का ही बोल-बाला रहता है। उनके पास 80 ग्राम वजन की आठ हजार रुपये की पश्मीना शाल है। यह शाल इतनी मुलायम है कि इसे एक अंगूठी के अंदर से भी आर-पार निकाला जा सकता है। उसने बताया कि इसी पश्मीना पर डिजाइनिंग और कढाई का वर्क होने पर इसकी कीमत बढ़ जाती है। उन्होंने 50 हजार से एक लाख रुपये तक पश्मीना तैयार की हैं। वह मेले में अपने साथ पहली बार पश्मीना के सूट भी लेकर आए हैं। इनकी कीमत 5500 रुपये तक है।

पर्यटकों भा रही जयपुरी रजाई

मेले में राजस्थान के जयपुर से मुकेश अपने साथ 700 ग्राम जयपुरी रजाई लेकर पहुंचे हैं। इस रजाई की खासियत है कि इसे आसानी से धोया जा सकता है। पर्यटक इस रजाई को हाथों-हाथ पसंद कर रहे हैं। उनके पास सिंगल में 550 से 1650 रुपये तक की और डबल में 1550 से 3800 रुपये तक की रजाई हैं।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें