बेरोजगारों में जीवन में मिठास घोल सकती है मधुमक्खियां : भटनागर
कुरुक्षेत्र कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डा. प्रद्युम्मन भटनागर ने कहा कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय अपनाकर कोई भी बेरोजगार अपने जीवन में शहद की मिठास घोल सकता है। मधुमक्खी पालन व्यवसाय खेती के साथ भी किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डा. प्रद्युम्मन भटनागर ने कहा कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय अपनाकर कोई भी बेरोजगार अपने जीवन में शहद की मिठास घोल सकता है। मधुमक्खी पालन व्यवसाय खेती के साथ भी किया जा सकता है। यही नहीं जिन युवाओं के पास जमीन नहीं है वह भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं। उन्होंने यह बात वीरवार को विश्व मधुमक्खी दिवस पर कृषि विज्ञान केंद्र में ऑनलाइन कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन से छोटे मधुमक्खी पालकों को अंशकालिक और बड़े मधुमक्खी पालकों को पूर्णकालिक रोजगार मिलता है। डा. मनोज ने कहा कि फसल व पौधों विविधिकरण भी मधुमक्खियों के लिए महत्वपूर्ण है। आमतौर पर दिसंबर और जनवरी में सरसों पर फूल खिलते हैं और इन दिनों में मधुमक्खियां ज्यादा शहद तैयार करती हैं। किसान सरसों के पास मधुमक्खी पालन कर शहद का अच्छा उत्पादन कर सकते हैं।
डा. अश्वनी ने बताया कि इस में अतिरिक्त भूमि की जरूरत नहीं पड़ती। छोटे या भूमिहीन किसान भी इसको अपना सकते हैं। इसमें पहले साल से ही लाभ मिलने लग जाता है।
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ डा. महा सिंह ने कहा कि आजकल शहद की कीमत भी अच्छी मिल रही है और इसका उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। डा. ममता ने कहा कि गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में मधुमक्खी की सही तरह से देखभाल करना जरूरी है। गर्मियों में मधुमक्खी शहद इकट्ठा नहीं कर पाती। तापमान के 40 डिग्री के पार चले जाने पर वह अपने छत्ते का तापमान सही रखने के लिए ज्यादा पानी का इस्तेमाल करती है। ऐसे में इन दिनों में उनके छत्तों या बॉक्स के पास साफ पानी का प्रबंध करना जरूरी है।