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यहां देखने को मिलेगा पांच हजार साल पहले लड़े गए महाभारत के युद्ध की व्यूह रचना, बनाया वार मेमोरियल

चार साल बाद महाभारत वार मेमोरियल के उद्घाटन की आस जगी है। महाभारत वार मेमोरियल साल 2018 के अंत में बनकर तैयार हो गया था। मेमोरियल में 18 पटलों पर आकर्षक म्यूरल के माध्यम से युद्ध के व्यूह की रचना दिखेगी।

By Vinod KumarEdited By: Anurag ShuklaPublished: Fri, 18 Nov 2022 03:36 PM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2022 03:36 PM (IST)
महाभारत वार मेमोरियल का जल्‍द उद्घाटन हो सकता है।

कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। धर्मनगरी की पवित्र धरा पर पांच हजार साल पहले लड़े गए महाभारत के युद्ध की व्यूह रचना को दिखाने वाले महाभारत वार मेमोरियल के उद्घाटन की आस जगने लगी है। ब्रह्मसरोवर के उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर पिछले चार साल तैयार इस महाभारत वार मेमोरियल का अभी तक उद्घाटन नहीं हो पाया था। अधिकारियों की अनदेखी के चलते इस विश्व भर से आने वाले पर्यटक और श्रद्धालु भी इस भव्य मेमोरियल को देख नहीं पा रहे थे।

अब कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की ओर से इस मेमोरियल को ब्रह्मसरोवर के घाट से जोड़ने के लिए विशेष रास्ता तैयार किया जा रहा है। इस रास्ते केे खुलने के बाद अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहुंचने वाले लाखों लोग अब महाभारत वार मेमोरियल को भी देख सकेंगे।

18 पटलों पर दिखाई गई हर दिन के युद्ध की व्यूह रचना

इस वार मेमोरियल में तैयार किए गए 18 पटलों पर आकर्षक म्यूरल के माध्यम से आए दिन युद्ध के लिए रचे गए व्यूह को दिखाया गया है। महाभारत युद्ध के लिए जहां पांडवों ने पहले दिन वज्रव्यूह की रचना कर अर्जुन और भीम सेना को आगे रखा था, वहीं कौरवों ने सर्वतोमुखा व्यूह की रचना कर युद्ध की शुरुआत की थी। इस युद्ध के पहले दो दिन जहां कौरवों ने अपने व्यूह में कोई बदलाव नहीं किया था वहीं अंतिम दो दिनों में पांडवों ने भी अपनी व्यूह रचना में कोई बदलाव नहीं किया। अब इसी युद्ध के व्यूह को अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों और नई पीढी को दिखाने के लिए ब्रह्मसरोवर के उत्तरी-पश्चिमी किनारे पर भव्य वार मेमोरियल तैयार किया गया है।

हर दिन के युद्ध में भीम सेना की रही पूरी भूमिका

बेशक महाभारत का युद्ध अर्जुन पर केंद्रित रहा हो, लेकिन 18 दिन तक चले इस युद्ध में भीम सेना की भी बराबर भूमिका रही है। युद्ध के लिए हर दिन तैयार किए गए नए व्यूह में भीम सेना को सबसे आगे रखा गया है। इसी तरह कौरवों के खेमे से ज्यादातर भीष्म पितामह और गुरु द्रोणाचार्य को आगे की पंक्ति में रखा गया है। कौरवों के व्यूह को धराशायी करने के लिए पांडवों ने कई दिन शिखंडी को भीष्म पितामह के सामने खड़ा किया है।

महाभारत वार मेमोरियल कुरुक्षेत्र को देगा नई पहचान

श्रीकृष्णा सर्किट के तहत बनाए जा रहे इस भव्य मेमोरियल के तैयार होते ही कुरुक्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी। कुरुक्षेत्र की धरा पर पहुंचने वाले लाखों पर्यटक यहां पहुंचते ही महाभारत के युद्ध के बारे में जानकारी चाहते हैं। इस मेमोरियल के तैयार होते ही बहुत हद तक पर्यटकों की जिज्ञासा को शांत किया जा सकेगा।

ब्रह्मसरोवर के घाट से जुड़ने से देश पाएंगे लाखों पर्यटक

केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्रकांत कटारिया ने बताया कि महाभारत वार मेमोरियल को ब्रह्मसरोवर के घाट से जोड़ने का काम चल रहा है। मेमोरियल से घाट तक करीब 100 फुट का रास्ता बनाया जा रहा है। ब्रह्मसरोवर के साथ जुड़ने के बाद महोत्सव में पहुंचने वाले लाखों पर्यटक भी इस मेमोरियल को देख सकेंगे। रात के समय इसकी भव्यता को चार चांद लगाने के लिए आकर्षक रंग-बिरंगी लाइटें लगाई गई हैं।


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