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करनाल के कारसा गांव से धर्मनगरी में पांडवों के साथ युद्ध के लिए दाखिल हुए थे श्रीकृष्ण

कुरुक्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण धर्म की रक्षा के लिए कुरुक्षेत्र की धरती पर करनाल के गांव कारसा से होकर दाखिल हुए थे। इसको महाभारत का स्वागत द्वार भी कहा जाता है।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 13 Aug 2020 07:10 AM (IST)
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करनाल के कारसा गांव से धर्मनगरी में पांडवों के साथ युद्ध के लिए दाखिल हुए थे श्रीकृष्ण

जगमहेंद्र सरोहा, कुरुक्षेत्र : भगवान श्रीकृष्ण धर्म की रक्षा के लिए कुरुक्षेत्र की धरती पर करनाल के गांव कारसा से होकर दाखिल हुए थे। इसको महाभारत का स्वागत द्वार भी कहा जाता है। बाद में यह तीर्थ कुलोतारण तीर्थ के नाम से पहचाना गया है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने हाल ही में इस तीर्थ की पहचान की है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड का ऐसा मानना है।

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने बताया कि यह तीर्थ ²श्दवति नदी की शाखा के किनारे पर है। यह नदी 48 कोस कुरुक्षेत्र के अंतर्गत आती है। माना जा रहा है कि इसी रास्ते से श्रीकृष्ण भगवान ने पांडवों के साथ कुरुक्षेत्र में प्रवेश किया था। यहां शिव मंदिर है। जो उत्तर मध्यमकालीन बताया गया है। नवरात्र के बाद आने वाली चतुर्दशी को मेले का आयोजन किया जाता है। ज्योतिसर में सौ करोड़ का प्रोजेक्ट

ज्योतिसर यहां श्रीकृष्ण भगवान ने गीता का संदेश देकर अर्जुन को युद्ध करने के लिए तैयार किया था। यहां कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अंतर्गत सौ करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। इसके मूर्त रूप लेने के बाद महाभारत की यह धरती पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बन जाएगी। पर्यटक व श्रद्धालु यहां श्रीकृष्ण, गीता और महाभारत के बारे में बहुत कुछ नया जान सकेंगे। यहां म्यूजियम के साथ श्रीकृष्ण भगवान की बड़ी मूर्ति लगाई जाएगी।

नए स्थलों की पहचान जारी

48 कोस कुरुक्षेत्र में नए तीर्थ स्थलों की पहचान की जा रही है। केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने बताया कि यहां 27 नए तीर्थ स्थलों को पहचाना गया है। अब तक 134 तीर्थ स्थलों की पहचान की गई है। यहां 367 तीर्थ स्थल हैं। इन तीर्थ स्थलों को पहचानने के लिए सर्वे किया जा रहा है। यह सर्वे 1998-99 के बाद 2019 से चल रहा है।

एक तीर्थ यह भी

केडीबी का मानना है कि विष्णु पद गरुड़ तीर्थ धराड़सी में है। यहां घटोत्कच का जन्म यहीं पर हुआ था। यहां 150 गुना 130 मीटर का घाट है। यह मध्यमकालीन घाट है और उत्तर मध्यम काल का माना जाता है।

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