Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

श्रीदक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में स्वत: प्रकट हैं हनुमान

-दक्षिण मुखी होने की वजह से बढ़ जाती है मंदिर की विशेषता -हनुमान जन्मोत्सव आज जागरण

By JagranEdited By: Updated: Fri, 15 Apr 2022 04:45 PM (IST)
Hero Image
श्रीदक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में स्वत: प्रकट हैं हनुमान

-दक्षिण मुखी होने की वजह से बढ़ जाती है मंदिर की विशेषता

-हनुमान जन्मोत्सव आज जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : ब्रह्मासरोवर तट स्थित प्राचीन श्रीदक्षिणमुखी हनुमान मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां हनुमान का स्वरूप स्वत: प्रकट है। इसके साथ ही दक्षिणमुखी होना इस मंदिर के महात्म्य को और बढ़ा देता है, क्योंकि हनुमान जी ने भगवान श्रीराम के सारे काज दक्षिण दिशा में जाकर ही संवारे थे। उन्होंने सीता माता की खोज दक्षिण दिशा में जाकर की और फिर लंका का दहन भी इसी दिशा में किया। इसलिए दक्षिण मुखी होने की वजह से इस मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था और ज्यादा प्रगाढ़ हो जाती है, क्योंकि हिदू धर्म में ज्यादातर मंदिर उत्तर और पूर्व दिशा के ही होते हैं।

भाव के भूखे हैं हनुमान : हिमांशु

मंदिर पुजारी पंडित हिमांशु शर्मा ने बताया कि वैसे तो पुरातत्व के जानकारों का मानना है कि प्राचीन दक्षिणमुखी मंदिर 16वीं शताब्दी का है। मगर 25 अप्रैल 2008 को हनुमान जी स्वरूप स्वत: प्रकट हुए थे। हनुमान की प्रतिमा इस दिन अपने आप जमीन पर बिखर गई थी और उसके पीछे से हनुमान का यह स्वरूप निकल आया था। उन्होंने बताया कि भगवान महंगे वस्त्र और भोग नहीं चाहते। वे भाव के भूखे हैं। हनुमान आज भी प्रत्यक्ष भगवान हैं। सच्चे मन से की उपासना से खुश होकर इच्छा को पूर्ण करते हैं।

सुंदरकांड का पाठ होगा

प्राचीन श्रीदक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिर में सबसे पहले सुबह हनुमान जी का सिदूर और चमेली के तेल से श्रृंगार किया जाएगा। इसके बाद वस्त्र धारण करवाए जाएंगे। सुबह दस बजे ध्वजारोहण के बाद सुंदरकांड पाठ होगा और दोपहर को 12 बजे भंडारे किया जाएगा।

हनुमान जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ : 16 अप्रैल सुबह 5:55 बजे

पूर्णिमा तिथि : 16 अप्रैल 12:24 बजे तक

हनुमान की पूजन विधि

ब्रह्मामुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद हनुमान का ध्यान कर हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें। उसके बाद पूर्व दिशा की ओर भगवान हनुमान की प्रतिमा को स्थापित करें। फिर सच्चे मन से हनुमान की प्रार्थना करें। उसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा दें और इस पर हनुमान की फोटो रखें। एक पुष्प लेकर गंगाजल से अभिषेक करें। चंदन से तिलक करें। चावल चढ़ाएं और भोग लगाएं। इसके बाद दीपक और धूप जलाकर आरती करें। हनुमान के मंत्रों का जाप करें और सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ पढ़े।