श्रीकाम्यकेश्वर महादेव तीर्थ पर लगा सप्तमी का मेला
गांव कामोदा स्थित महाभारतकालीन काम्यकेश्वर महादेव मंदिर एवं तीर्थ पर रविवार को शुक्ल सप्तमी मेला लगा जिसमें बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके बाद काम्यकेश्वर महादेव की पूजा की। दोपहर को विशाल भंडारा हुआ।
By JagranEdited By: Updated: Sun, 08 May 2022 05:44 PM (IST)
-भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा का इसी तीर्थ पर हुआ था पुन: मिलन संवाद सूत्र, पिहोवा :
गांव कामोदा स्थित महाभारतकालीन काम्यकेश्वर महादेव मंदिर एवं तीर्थ पर रविवार को शुक्ल सप्तमी मेला लगा, जिसमें बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इसके बाद काम्यकेश्वर महादेव की पूजा की। दोपहर को विशाल भंडारा हुआ। काम्यकेश्वर तीर्थ पर आयोजित मेले और भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया और प्रसाद ग्रहण किया। दूरदराज से आए लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए पार्किंग स्थल छोटा पड़ गया और वाहनों को सड़क पर रोकना पड़ा। अल सुबह से पूरा दिन सरोवर पर स्नान करने वालों का तांता लगा रहा। सुबह चार बजे से ही सरोवर पर श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। तत्पश्चात पूरा दिन स्नान करने वालों का आना जाना लगा रहा और भंडारा भी पूरे दिन लगाया गया। ग्रामीण सुखदेव, विष्णु व लालचंद ने बताया कि रविवारीय शुक्ल सप्तमी को इस तीर्थ में स्नान करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि शुक्ल सप्तमी पर स्नान करने के लिए पांडवों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा था उसी दिन से इस पवित्र सरोवर पर मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में लोगों ने जमकर खरीदारी भी की और पूरा दिन दुकानें सजी रही।
तीर्थ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति
पुजारी ने कहा कि धार्मिक मान्यता के अनुसार रविवारीय शुक्ल सप्तमी के दिन तीर्थ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बताया जाता है कि विद्वानों ने इस धरा को अपनी तपोस्थली बनाया था। इस दौरान उन्होंने स्नान एवं तर्पण के लिए यज्ञोपवीत नामक तीर्थ की कल्पना की लेकिन सभी ब्राह्माण उसमें स्नान न कर सके। फिर उन्होंने सरस्वती का आह्वान किया। उसके बाद सरस्वती यहां कुंज रूप में प्रकट होकर पश्चिम वाहिनी होकर बहने लगी। सूर्य भगवान इस तीर्थ पर विद्यमान रहते हैं। इसी तीर्थ पर ही सूर्य का मिलन उनकी धर्मपत्नी संज्ञा से हुआ था। केडीबी के अधीन होने के बावजूद कोई नहीं दे रहा ध्यान
गांव वासी सुखदेव शर्मा, सुमिद्र शास्त्री, लालचंद, विष्णु दत्त, बलदेव नंबरदार ने बताया कि इस तीर्थ का इतना महत्व होने और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अधीन होने के बावजूद भी इस मंदिर की ओर केडीबी का कोई ध्यान नहीं है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस तीर्थ की ओर ध्यान दिया जाए।
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