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कुरुक्षेत्र में धरती का सीना चीर, ढूंढ़ेंगे महाभारत के भाला-तीर

48 कोस कुरुक्षेत्र से अभी तक महाभारतकाल के धूसर चित्रित मृदभांड और घरेलू उपयोग में आने वाली कुछ वस्तुएं मिली हैं लेकिन युद्ध के साक्ष्य अभी तक नहीं मिले हैं। युद्ध के प्रतीक तलवार भाला और रथ हैं। अब इन साक्ष्यों को जुटाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) खोदाई करने की योजना तैयार कर रहा है। पुरातत्व विभाग ने इसकी एक रिपोर्ट जारी की।

By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 10 Aug 2023 05:48 AM (IST)
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पुरातत्ववेताओं की टीम ने पुरास्थलों कि रिपोर्ट तैयार की
कुरुक्षेत्र, बृजेश द्विवेदी।  48 कोस कुरुक्षेत्र से अभी तक महाभारतकाल के धूसर चित्रित मृदभांड और घरेलू उपयोग में आने वाली कुछ वस्तुएं मिली हैं लेकिन युद्ध के साक्ष्य अभी तक नहीं मिले हैं। युद्ध के प्रतीक तलवार, भाला और रथ हैं। अब इन साक्ष्यों को जुटाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) खोदाई करने की योजना तैयार कर रहा है। पुरातत्व विभाग ने इसकी एक रिपोर्ट जिला प्रशासन से इसी वर्ष मार्च महीने में मांगी थी। जिला प्रशासन ने ऐसे स्थानों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को एक पत्र लिखा था।

कुवि प्रशासन ने पुरातत्ववेताओं की सात सदस्यों की टीम गठित कर इसकी जिम्मेदारी सौंपी। इस टीम ने पांच स्थानों का दौरा कर जो रिपोर्ट तैयार की है, कुवि कुलपति ने उसे जिला प्रशासन को सौंप दिया है। इस रिपोर्ट को भारतीय पुरातत्व विभाग को भेज दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उक्त स्थानों पर खोदाई की जाए तो बड़ी संख्या में महाभारतकालीन साक्ष्य व अवशेष मिल सकते हैं। कुछ स्थानों पर तो पूरा गांव बस चुका है। टीम में ये थे।

शामिल पुरातत्ववेताओं की टीम में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेंटर आफ एक्सिलेंस फार रिसर्च आन सरस्वती रिवर के कन्वीनर प्रो. एआर चौधरी, पुरातत्ववेता प्रो. जी खुराना, प्रो. विभा अग्रवाल, डा. योगेश्वर जोशी, श्रीकृष्ण संग्रहालय के पूर्व प्रभारी राजेंद्र सिंह राणा, असिस्टेंट प्रोफेसर मनोजकुमार व पंडित विनोद कुमार शामिल थे।

पुरातत्ववेताओं की टीम ने पुरास्थलों कि रिपोर्ट तैयार की 

किरमिच गांव, जहां पांडवों का कैंप था। यहां आज पूरा गांव बसा हुआ है। गांव भोरसैंयदा व गांधीनगर कालोनी के पास स्थित टीला दोनों ही स्थान सरस्वती नदी के किनारे हैं। खोदाई में महाभारतकाल के साक्ष्य मिलने की संभावना

गांव अभिमन्युपुर स्थित अभिमन्यु का टीला

जहां पर कौरवों ने चक्रव्यूह में घेर कर अभिमन्यु को मार दिया था। यह टीला 25 से 30 मीटर तक ऊंचा। अभिमन्युपुर गांव टीला पर ही बसा है।

दयालपुर गांव स्थित कर्ण का टीला

इस क्षेत्र का सर्वेक्षण सर्वप्रथम कनिंघम ने तथा उत्खनन डीबी स्पूनर ने 1919 में किया था। प्राप्त अवशेषों को 400 से 100 ई. पू. तक तथा 100 ई.पू. से 300 ई. तक के दो कालों में विभाजित किया गया है। अवशेषों में धूसर चित्रित मृदभाण्ड, लाल चमकीले मृदभांड तथा काली पालिश वाले मृदभांड प्राप्त हुए हैं। यहां से पत्थर के सिल और मूसल, पत्थर के मणके, पशुओं की मूर्तियां, ब्राह्मीलेख से युक्त मोहरें प्राप्त हुए। टीले की ऊंचाई 25 मीटर व क्षेत्रफल लगभग पांच एकड़ है।

कोस कुरुक्षेत्र में महाभारतकाल के युद्ध के साक्ष्य जुटाने के लिए खोदाई करेगा एएसआइ

जिला प्रशासन ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को रिपोर्ट तैयार करने के लिए लिखा पत्र, टीम ने की तैयारी एएसआइ को भेज दी रिपोर्ट जिला उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि एएसआइ ने महाभारतकालीन स्थलों की रिपोर्ट मांगी थी। वह रिपोर्ट भेज दी गई। एएसआइ हर वर्ष अपना एक शेड्यूल तैयार करता है जिसके तहत यह रिपोर्ट मांगी गई थी।

जिला प्रशासन को सौंप दी रिपोर्ट 

कुलपति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि जिला उपायुक्त शांतनु शर्मा की ओर से एक पत्र आया था जिसमें कहा गया था कि भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग महाभारत से जुड़े उन स्थलों की जानकारी मांगी है जहां पर खोदाई से महाभारत काल के साक्ष्य मिल सकें। 

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