चैत्र चौदस मेले में तीन से चार लाख श्रद्धालुओं ने सरस्वती तीर्थ में लगाई श्रद्धा की डुबकी
दो साल बाद लगा तीन दिवसीय चैत्र चौदस मेला शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस विश्व प्रसिद्ध मेले में पिहोवा के सरस्वती तीर्थ तट पर तीन से चार लाख श्रद्धालुओं ने श्रद्धा की डुबकी लगाई। प्रदेश और दूसरे राज्यों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पावन सरस्वती तीर्थ में स्नान व पिडदान करके अपने पितरों के मोक्ष की कामना की है। श्रद्धालुओं ने अपने पुरोहितों से वंशावली भी देखी। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद घाटों पर दीपदान किया। अलसुबह सरस्वती तीर्थ के घाट दीयों से जगमगा उठे।
संवाद सूत्र, पिहोवा : दो साल बाद लगा तीन दिवसीय चैत्र चौदस मेला शुक्रवार को संपन्न हो गया। इस विश्व प्रसिद्ध मेले में पिहोवा के सरस्वती तीर्थ तट पर तीन से चार लाख श्रद्धालुओं ने श्रद्धा की डुबकी लगाई। प्रदेश और दूसरे राज्यों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने पावन सरस्वती तीर्थ में स्नान व पिडदान करके अपने पितरों के मोक्ष की कामना की है। श्रद्धालुओं ने अपने पुरोहितों से वंशावली भी देखी। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद घाटों पर दीपदान किया। अलसुबह सरस्वती तीर्थ के घाट दीयों से जगमगा उठे।
चैत्र चौदस का पक्ष आरंभ हुआ तो हजारों की संख्या में श्रद्धालु सरस्वती मां की जय जयकार करते हुए पावन सरस्वती तीर्थ पर स्नान के लिए पहुंचे और पावन जल में श्रद्धा की डुबकी लगा अपने पितरों को जल अर्पित किया। मान्यता है कि यहां पर जो भी श्रद्धालु अपने पितरों का पिडदान व उनको जल अर्पण करते हैं तो उनके पितर प्रसन्न होकर परिवार में सुख समृद्धि की वर्षा करते हैं। श्रद्धालुओं ने पिडदान के बाद प्रेत पीपल पर जल व स्वामी कार्तिकेय मंदिर में तेल का दीपक जलाया। वहीं दरगाही शाह पर घोड़े चढ़ाए। श्रद्धालुओं ने पावन सरस्वती तट पर दीपदान भी किया। जिससे सरोवर का ²श्य मनोहारी हो गया। चैत्र चौदस मेले में पंजाब, हिमाचल, राज्यस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़ सहित देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु यहां पहुंचे लेकिन सबसे ज्यादा संख्या पंजाब से आने वाले सिख श्रद्धालुओं की रही। श्रद्धालुओं ने विभिन्न मंदिरों व गुरुद्वारों में पूजा की।