पढ़ाई के तनाव से मुक्त रखने के लिए कुरुक्षेत्र के एनआईटी में एक अनूठी सामाजिक-सांस्कृतिक पहल शुरू की गई है। एनआईटी कुरुक्षेत्र में सद्भाव और मेल-जोल बढ़ाने में विद्यार्थियों के 12 क्लब जुटे हुए हैं। साथ ही संस्थान ने इस एक्टिविटी के लिए 25 हजार रुपये का बजट आवंटित किया है। साथ ही योग ध्यान और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए विद्यार्थी संस्कृति से भी परिचित हो रहे हैं।
विनोद चौधरी, कुरुक्षेत्र। राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा हासिल कर चुके राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के विद्यार्थी छात्रावासों में अपने कमरों में बंद हो मोबाइल पर समय नहीं बिताते, बल्कि मिलजुल कर श्रद्धा और उल्लास से त्योहारों को मनाते हैं। यही नहीं, दिन भर कक्षा में पढ़ाई के बाद जब खाली समय होता है तो उसमें योग, ध्यान और सांस्कृतिक, सामाजिक व तकनीकी गतिविधियों में जुटे रहते हैं।
ये गतिविधियां युवाओं को नशे से दूर और तनाव मुक्त रखने के लिए शुरू की गई हैं। इसके लिए एनआईटी के करीब 12 क्लब सभी धर्मों के त्योहार मना रहे हैं। क्लबों की टीमें पर ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को त्योहारों पर होने वाले कार्यक्रमों से जोड़ती हैं। आयोजन के लिए एनआइटी प्रशासन की ओर से 20 से 25 हजार रुपये का बजट दिया जा रहा है और विभागाध्यक्ष भी इन कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू को भी यह योजना पसंद आई है।
एनआइटी में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेते विद्यार्थी व शिक्षकइन सबके पीछे एनआईटी का उद्देश्य विद्यार्थियों का दिल और दिमाग सकारात्मक रखना और आपसी मेल-जोल बढ़ाना है, जिससे विद्यार्थी अकेलापन महसूस न करें। साथ ही नशे जैसी की बुराइयों और तनाव से दूर रहे। विद्यार्थी कुछ खाने-पीने के लिए एनआईटी परिसर से बाहर न जाएं, इसके लिए परिसर में ही उनकी मांग के अनुसार खाने-पीने का सामान उपलब्ध करवाया जा रहा है।
एनआईटी में आयोजित उत्सव में खुशी मनाते विद्यार्थी
ऐसे हुई शुरुआत
एनआईटी में लगभग डेढ़ साल पहले तनाव के कारण एक छात्र के साथ अनहोनी हो गई थी। जब निदेशक डॉ. बीवी रमना रेड्डी ने इस घटना के बारे में सभी विद्यार्थियों से बात की तो उन्हें पता चला कि छात्र पिछले कई दिनों से गुमसुम रहता था और किसी से बात नहीं कर रहा था। इसी घटना के बाद निदेशक में इस तरह की समस्याओं का समाधान निकालने का निर्णय लिया। यह भारतीय संस्कृति में ही था।
उन्होंने प्राचीन काल में समाज में आपसी भाईचारा अधिक होने के चलते युवाओं के सामने इस तरह की समस्या न आने पर मंथन किया और विचार कर इस तरह की योजनाएं बनाई, जिससे विद्यार्थियों को आपस में मेल-जोल रहने लगा। इसके लिए सभी छात्र क्लबों के प्रतिनिधियों को एक्टिव किया। अब विद्यार्थी ज्यादातर समय मिलजुल कर रहते हैं, कोशिश करते हैं कोई विद्यार्थी ज्यादा समय अकेला न रहे और खास तौर पर गुमसुम न रहे।
कई कोर्स शुरू कर परीक्षा में जोड़े जाने लगे अंक
विद्यार्थियों का ध्यान बुराइयों से हटाने के लिए करीब नौ ऐसे आडिट कोर्स शुरू किए गए, जिनमें से कोई भी दो कोर्स सभी के लिए अनिवार्य किए गए। हर वर्ष इनके क्रेडिट अंक भी परीक्षा में जोड़े जाने लगे। इससे विद्यार्थी ज्यादा से ज्यादा इन गतिविधियों से जुड़ने लगे। इनमें योग, खेल, राष्ट्रीय सेवा योजना, राष्ट्रीय कैडेट कोर, सांस्कृतिक और तकनीकी गतिविधि, मानव मूल्य और इंडियन नॉलेज सिस्टम, गीता से संबंधित कोर्स जैसे आडिट कोर्स शुरू किए गए।
एचपी के डीजीपी को पसंद आई योजना
हिमाचल प्रदेश (एचपी) के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू को भी यह योजना पसंद आई है। इसको लेकर उन्होंने प्रदेश के सभी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पत्र जारी कर शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों की बैठक लेने और उनको इस योजना के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए हैं।
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NIT परिसर में ही अच्छे कामों में रहे व्यस्त, बुराई की तरफ न जाए ध्यान
एनआईटी के निदेशक डॉ. बीवी रमना रेड्डी ने बताया कि कई युवाओं में तनाव की जानकारी मिली तो एनआईटी में शिक्षकों और विद्यार्थियों के क्लबों को सभी धर्मों के त्योहार मनाने, योग और खेल कूद प्रतियोगिताओं में सभी विद्यार्थियों के अनिवार्य रूप से भाग लेने के निर्देश जारी किए गए। इन गतिविधियों के क्रेडिट भी दिए जाने लगे। इस तरह के प्रयास किए गए कि विद्यार्थी एनआईटी परिसर में ही रहें।
साथ ही उन्होंने कहा कि इसके लिए परिसर में युवाओं के पसंद के खाने-पीने से लेकर अन्य सामान की उपलब्धता के प्रयास किए गए। इससे विद्यार्थियों का बाहर जाना ही कम हो गया और उन्हें इस तरह के कामों में लगाया गया कि वह सदैव एक दूसरे के साथ रहें। इससे उनमें भाईचारा बढ़ने से वह नशे की सोच और तनाव से दूर रहेंगे।
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