जामवंत ने दिलाई हनुमान को उसकी ताकत की याद
जागरण संवाददाता, नारनौल : मोहल्ला खड़़खड़ी में श्रीराम कृष्ण मण्डल के सौजन्य से श्रीरामायणा दास जी द्व
By Edited By: Updated: Tue, 27 Sep 2016 07:15 PM (IST)
जागरण संवाददाता, नारनौल : मोहल्ला खड़़खड़ी में श्रीराम कृष्ण मण्डल के सौजन्य से श्रीरामायणा दास जी द्वारा किए जा रहे नव प्राहण पाठ के सातवें दिन मंगलवार को उन्होंने कहा कि सुग्रीव अपने बड़े भाई बाली से त्रस्त था। भगवान राम ने बाली का वध कर सुग्रीव को राज दिलाया।
उन्होंने बताया कि हनुमान जी की प्रेरणा से सुग्रीव ने बन्दर, भालुओं को सीताजी की खोज के लिए भेजा। दक्षिणी दिशा की ओर प्रमुख वीरों को श्रीराम जी ने भेजा। समुद्र को पार करने में सबने अपने को असमर्थ पाया। जामवंत जी ने राम-काज लग-तो अवतारा की प्रेरणा देकर हनुमान जी को बल याद करवाया। हनुमान जी समुद्र पार करके सीता जी को खोजा तथा लंका का दहन किया। इसी कड़ी में भक्त माल कि कथा के आज पांचवें दिन नर हरिदास जी ने कथा में बताया कि एक बार ऋषिमुक्त पर्वत पर ऋषि-मुनियों को माता सबरी से ढाह हो गया। जिस सरोवर में ऋषि-मुनि स्नान करते थे, उसी में माता सबरी ने स्नान कर लिया। महर्षियों ने कहा कि तुम शूद्र कुल की हो, तुम्हारे स्नान से सरोवर अपवित्र हो गया। माता सबरी को फटकटाते मारकर घायल कर दिया। सबरी के शरीर से खून बहने लगा, जिससे सारा सरोवर लाल हो गया। नरहरि दास जी ने बताया कि सरोवर के जल में कीड़े ही कीड़े दिखाई देने लगे। जब श्री राम माता सबरी के आश्रम से फल खाकर जाने लगे तो सारे ऋषि प्रभु के दर्शनार्थ पधारे। प्रभु श्री राम ने कहा कि हमारे लायक कोई सेवा बताइए। ऋषियों ने कहा कि इस जल में सुधार के लिए आप अपने चरण सरोवर में डाल दीजिए। भगवान बोले यह काम माता सबरी के श्री चरणकमलों से होगा। भगवान सबरी को बुलाकर लाए।
सबरी किनारे पर खड़ी थी। सबकी प्रार्थना के बाद भी माता ऐसा करना नही चाह रही थी। श्री प्रभु प्रेरणा से सरोवर में तरंग उठा। किनारे खड़ी-खड़ी माता सबरी के चरण से लहर जाने लगी। सारे सरोवर का जल हरिद्वार की गंगा की तरह दिव्य, स्वच्छ एवं निर्मल हो गया। सभी ऋषि मुनि एवं भगवान माता सबरी के चरणों में नतमस्तक हो गए। सही कहा गया है संतत दासन देहि बड़ाई।
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