डेंगू में जोड़ों और मांसपेशियों में होता है दर्द: डा. गरिमा
जागरण संवाददाता नारनौल बरसात के सीजन में जगह-जगह जलभराव गंदगी की वजह से मच्छर और बै
जागरण संवाददाता, नारनौल: बरसात के सीजन में जगह-जगह जलभराव, गंदगी की वजह से मच्छर और बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इससे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां भी बढ़ने की संभावना रहती है। डा. गरिमा ने बताया कि डेंगू, एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होता है, जिसमें मरीज को तेज बुखार होने के साथ जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। इसके साथ साथ खून में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी देखने को मिलती है। इसके अलावा कई मरीजों में जी मिचलाना, उल्टी आना, ब्लीडिग और शरीर में ऐंठन जैसी समस्याएं हो जाती हैं।
बरसात के मौसम में क्या करें :
अपने नियमित आहार में हल्के और पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करें। रोज दूध पीएं, क्योंकि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मूंग दाल का सूप पीएं। पानी की कमी से बचने के लिए नारियल पानी पीएं। इससे शरीर से विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं। लीवर की सफाई के लिए जौ का पानी पीएं। विटामिन सी के लिए रोज संतरे का जूस पीएं। घर में तुलसी, लहसुन, पुदीना, मेहंदी जैसे मच्छरों को भगाने वाले पौधे लगाएं। घर में कहीं भी पानी जमा न होने दे।
डेंगू और चिकनगुनिया से कैसे रहे सुरक्षित:
चिकनगुनिया और डेंगू के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती है, जिसकी मुख्य वजह है खान-पान और साफ-सफाई है। इससे संक्रमित व्यक्ति को जान का खतरा तो होता है, इसके अलावा घर के बाकी सदस्य भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
डेंगू फैलने के कारण:
डेंगू एक आम संक्रामक रोग है, जो वायरस के द्वारा होता है। जिसका अहम कारक है घर में या अपने आस-पास की गलियों में मच्छरों की मौजूदगी। मलेरिया की तरह डेंगू भी मच्छरों के काटने से फैलता है। भारत में डेंगू जुलाई से अक्टूबर के माह में सबसे अधिक होता है।
डेंगू के लक्षण :
भूख कम लगना, तेज ठंड लगकर बुखार आना, सिर और आंखों में दर्द होना। शरीर और जोड़ों में दर्द में होना। पेट के निचले हिस्से में दर्द होना। जी मचलाना, उल्टी और दस्त होना। गंभीर स्थिति में आंख और नाक से खून आना। शरीर में लाल निशान, धब्बे, चकत्ते और खुजली होने लगती है।
डेंगू से बचने के उपाय :
घर के अंदर और आस पड़ोस में पानी एकत्रित न होने दें। नीम की पत्तियों का धुंआ घर में फैलायें। पानी के बर्तनों को खुला न रखें। किचिन और वॉशरूम को सूखा रखें। कूलर और गमले का पानी प्रतिदिन बदलते रहें। खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवायें। शरीर पर मच्छर को दूर रखने वाली क्रीम लगायें। सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें। घर के आसपास मच्छर मारने वाली दवा का छिड़काव करवायें।