Haryana: सच हो रहा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का सपना, दादा ने पोती को घोड़ी पर बैठाकर निकाला बनवारा
आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है...नारी शक्ति को नमन करने का दिवस बेटियों को बचाने और पढ़ाने की शपथ दोहराने का दिन। कभी कोख में बेटियों की हत्या के लिए बदनाम रहे हरियाणा में कुछ वर्षों से स्थिति तेजी से बदली है।
By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Tue, 24 Jan 2023 10:31 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नारनौल: बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को बढ़ावा देते हुए मुहल्ला मालीटीबा के सुनील खिंची ने अपनी पुत्री हिमांशी के विवाह में रविवार रात को घोड़ी पर बैठाकर बनवारा निकाला। उन्होंने बताया कि उनकी पुत्री हिमांशी का विवाह गादुवास नीमराणा के मोहित से होना तय हुआ है। विवाह अवसर पर जिस प्रकार अपने पुत्रों का बनवारा निकाला जाता है, बेटी के विवाह की खुशी भी माता पिता को समान रूप से ही होती है।
Haryana News: मंत्री संदीप की गिरफ्तारी की मांग को लेकर महिला कांग्रेस का प्रदर्शनआज के समय में बेटियां किसी भी मायने में बेटों से कम नहीं है, इसलिए बेटियों के प्रति भी समाज में जागरूकता लाने के लिए बेटी का बनवारा घोड़ी पर बैठाकर धूमधाम से निकाला गया है। यह समस्त समाज के लिए प्रेरणादायी संदेश है। हमें आज के समय में लड़का-लड़की में कोई फर्क नहीं करना चाहिए, क्योंकि वर्तमान दौर में लड़का लड़की एक समान है और लड़कियां जीवन के हर क्षेत्र में लड़कों के साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। इस अवसर पर शिव कुमार खिंची, मुंशी खिंची, बिट्टु, हर्ष, शुभम व सभी परिजन उपस्थित रहे।
बेटों से ज्यादा प्यार और दुलार पा रही बेटियां
वर्ष 2008 में पहली बार राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का दौर शुरू हुआ तो प्रदेश में प्रति हजार लड़कों के पीछे सिर्फ 854 लड़कियां जन्म ले रहीं थी। 15वां राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने जा रहे हैं तो बदली सोच के चलते यह आंकड़ा 916 पर पहुंच गया है। यानी कि 62 बेटियां ज्यादा जन्म ले रही हैं। हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
इस दिन को इसलिए चुना क्योंकि 24 जनवरी 1966 में स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। तब से लेकर बेटियों के सम्मान में इस दिन को मनाया जाता है। शहरों की तो छोड़िये, प्रदेश में बड़ी संख्या में गांव ऐसे हैं जहां बेटों से ज्यादा प्यार और दुलार बेटियों को मिल रहा है। इन गांवों में साल 2022 में बेटों से ज्यादा बेटियां जन्मी हैं।
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22 जनवरी 2015 को प्रदेश में लिंगानुपात 871 पर अटका हुआ था। दिसंबर आते-आते लिंगानुपात 876 पर पहुंच गया। सेल्फी विद डाटर अभियान चलाने वाले जींद के गांव बीबीपुर के पूर्व सरपंच सुनील जागलान कहते हैं उन्हें खुद इसकी प्रेरणा बेटी नंदिनी से मिली, जो राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन पैदा हुई थी। 24 जनवरी 2012 की बात है। अस्पताल में बेटी का जन्म हुआ तो उन्होंने नर्स को मिठाई बांटने के लिए दो हजार रुपये दिए। नर्स ने यह कहते हुए लेने से इन्कार कर दिया कि अगर बेटा होता तो हम यह ले सकते थे। आप केवल 100 रुपये ही दे दीजिए।
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