Narnaul School Bus Accident: क्या हैं स्कूल वाहन पॉलिसी के नियम? जिनका पालन होता तो बच जाती नौनिहालों की जान
नारनौल में कनीना के गांव उन्हानी के पास बृहस्पतिवार को एक स्कूल बस पलट गई। इस दर्दनाक हादसे में अभी तक छह बच्चों की मौत और करीब 37 के घायल होने की सूचना है। गंभीर घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। रेवाड़ी जिला अस्पताल लाए गए बच्चो में से दो को पीजीआइ रोहतक के लिए रेफर किया गया। स्कूल वाहन पॉलिसी का उल्लंघन ऐसे हादसों का कारण बन रहा है।
बलवान शर्मा, नारनौल। हाई कोर्ट के आदेश पर कहने को तो शिक्षा विभाग ने स्कूल वाहन पॉलिसी बनाई हुई है, लेकिन धरातल पर शायद ही इसकी पालना हो रही है। यदि इस पॉलिसी की पालना होती तो यह हादसा नहीं होता और बच्चों की जान नहीं जाती। इसके लिए जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, जिला परिवहन प्राधीकरण सहित सभी समान जिम्मेदार हैं।
यह भी मांग उठने लगी है कि संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्रवाई की जाए। बात करें बृहस्पतिवार को हुई दुर्घटना की तो यहां दो बातें तो अभी तक स्पष्ट हो चुकी हैं कि चालक नशे में था और बस की गति बहुत तेज थी। इस बात को लेकर ग्रामीणों ने आगाह भी किया था।
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पैसा बचाने के चक्कर में रख लेते हैं अनट्रेंड चालक
आमतौर पर कुछ स्कूल पैसा बचाने के चक्कर में अनट्रेंड चालक रख लेते हैं। शायद ही किसी स्कूली वैन में महिला अटेंडेंट हो। अधिकांश स्कूल बसों में पुरुष चालक और परिचालक होते हैं। इसके साथ ही बसों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की बात भी केवल कागजी ही है। बहुत सी बसें तो खटारा हो चुकी होती हैं और इसके बाद भी वे चलती रहती हैं।ऐसे में सवाल उठता है कि संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारी आखिर कर क्या रहे हैं। क्या उनकी इस लापरवाही की वजह से हादसे होते रहेंगे और मासूम बच्चों की जान जाती रहेगी। शायद ही कोई अधिकारी इस बात का जवाब दे सके। जिला शिक्षा अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि वह मौके पर ही पहुंचे हुए हैं। अभी बात करने की स्थिति में नहीं हैं।
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- बस का मतलब एम-2 व एम.-3 कैटैगरी के वह व्हीकल, जिनकी सीटिंग क्षमता बिना ड्राइवर के 13 पैसेंजर की होती है, का ही प्रयोग किया जाए।
- स्कूल वाहन का परमिट समर्थ अधिकारी द्वारा बनाया गया होना चाहिए, सारे स्कूल वाहन पीले रंग से पेंट करवाएं होने चाहिए।
- वाहन के दोनों साइड पर स्कूल बस लिखा हो एवं यदि स्कूली वाहन स्कूल द्वारा किराए पर लिए गए है तो स्कूली वाहन के आगे एवं पीछे दोनों साइडों पर आन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।
- हर स्कूल वाहन में स्टाप सिग्नल आर्म का साइन बोर्ड लगा होना चाहिए तथा स्पीड गवर्नर लगा होना जरूरी है। इस संबंध में समर्थ अधिकारी द्वारा बनाया सर्टीफिकेट मौजूद होना चाहिए।
- स्कूली वाहन में रिटरेटिंग स्टैप का होना जरूरी है, जिसकी ऊंचाई जमीन से 220 मिलीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- सभी स्कूल बस के ऊपर स्कूल बस का सिंबल बना होना चाहिए, जिसका आकार 350 मि.मी. का होना चाहिए।
- स्कूली बस के दोनों साइडों पर सुनहरे भूरे रंग की पट्टी बनी हो, जिसका आकार 150 मिमी चौड़ा होना चाहिए एवं स्कूल का नाम इस पट्टी पर लिखा होना चाहिए।
- सभी स्कूल बस के पिछले साइड दाएं तरफ एमरजैंसी डोर एवं बस की पिछली साइड पर एमरजैंसी एग्जिट की सुविधा भी होनी चाहिए।
- सारे स्कूली वाहन की खिड़कियों पर होरीजेंटल ग्रिल लगी होनी चाहिए, सारे स्कूली वाहन के दरवाजे में भरोसे योग लाक हों।
- सभी स्कूली वाहन में सीसीटीवी कैमरे की सुविधा होनी जरूरी है।
- स्कूली बस में ड्राइवर की सीट को छोड़कर शेष सीटें के नीचे स्टोरज रैक की सुविधा होनी चाहिए, जिसमें बच्चों के स्कूल बैग, लंच बॉक्स एवं पानी की बोतलें रखी जा सकें।
- सभी स्कूली वाहनों में रजिस्ट्रर्ड समर्था के अनुसार ही बच्चे बिठाए जाएं।
- सभी स्कूल में बच्चों को स्कूली बसों में बिठाने एवं उतारते समय सारे स्कूली वाहन स्कूल वाली साइड पर ही लगे होने चाहिएं।
- बस पार्किंग एरिया स्कूल के अंदर ही हो। हर स्कूली बस के ड्राइवर का गाड़ी चलाने का कम से कम 5 वर्ष का तजुर्बा एवं पक्का ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए।
- ड्राइवर पर किसी तरह का पुलिस मामला दर्ज न हो, इसकी जांच पुलिस से करवाई जाए।
- सभी स्कूली वाहन में एक अटैंडेंट का होना जरूरी है, यदि स्कूली वाहन में लड़कियां मौजूद हैं तो महिला अटैंडेंट का होना जरूरी है।
- ड्राइवर एवं कंडक्टर की वर्दी में हों, जिन पर नाम प्लेट लगी हो एवं ड्राइविंग लाइसैंस नंबर लिखा हो।
- स्कूली वाहन की खिड़कियों पर ब्लैक फिल्म नहीं लगी होनी चाहिए।
- स्कूली वाहन में फर्स्ट ऐड बाक्स एवं आग बुझाने वाले यंत्र लगे होने चाहिएं एवं स्कूली वाहनों के ड्राइवर एवं कंडक्टरों का मेडिकल करवाया होना चाहिए।
- बस में ट्रैफिक चिन्ह के बोर्ड लगे होने चाहिएं। स्कूली स्कूलों के बाहर वाहनों की स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक न हो।
- स्कूलों के बाहर बसों की स्पीड कंट्रोल करने हेतु स्पीड बे्रकर बनाए जाएं।
- सर्दियों के मौसम दौरान धुंध के दिनों में हर स्कूली वाहन के आगे पीली लाइटें लगी होनी चाहिएं।