Move to Jagran APP

हरियाणा से राजस्थान तक फैला गो-तस्करों का काला धंधा, अरावली के जंगल में मारकर बाइक से करते हैं गोमांस की घर-घर डिलीवरी

गांव से सटे अरावली के जंगल में वध कर बाइक से गोमांस की डिलीवरी की जा रही है। दूसरी ओर राजस्थान के जिलाे में अभी भी सरेआम गाेवंशी काटे जा रहे थे। उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ था। भाजपा की सरकार आई तो राजस्थान के किशनगढ़ बास में सरेआम चलाई जाने वाली गोमांस मंडी पुलिस अधिकारियों को नजर आई।

By Satyendra Singh Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 20 Feb 2024 10:44 AM (IST)
Hero Image
Cow Smuggling: गो-तस्करी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे...
सत्येंद्र सिंह, नूंह। पुलिस कर्मियों की निष्क्रियता और गोतस्करों के साथ जुगलबंदी ने ही नूंह तथा नूंह से सटे राजस्थान के डीग, अलवर और भरतपुर जिला के गांवों में गोतस्करों के काले धंधे को बढ़ावा दिया है। नूंह पुलिस ने एक साल में गोतस्करों की कमर तोड़ी तो जो काम वह अपने गांव स्थित घर में सरेआम करते थे उसे वह गांव से सटे अरावली के जंगल में करने लगे हैं।

दूसरी ओर राजस्थान के जिलाे में अभी भी सरेआम गाेवंशी काटे जा रहे थे। उन्हें राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ था। भाजपा की सरकार आई तो राजस्थान के किशनगढ़ बास में सरेआम चलाई जाने वाली गोमांस मंडी पुलिस अधिकारियों को नजर आई। बताते हैं कि नूंह डीग, अलवर और भरतपुर जिला में दो सौ से अधिक गांव में पांच सौ से अधिक गोतस्कर गिरोह सक्रिय हैं। एक गिरोह में पांच से दस सदस्य हैं।

नूंह के इन गांवों में होती है गोतस्करी

जिले के टाई, जमालगढ़, लुहिंगाकला, जखोकर, झिमरावट, गोधोला, तिरवाड़ा, सिंगार, घाघस कंसाली, नांगल-मुबारिकपुर, सेखपुर, गुर्जरनंगला, अलीपुर तीगरा, उमरा, नगीना, कोटला, नई, जयसिंहपुर, जैंवत, बडेढ, तिगांव, महू सहित काफी गांवों के जंगलों में गोतस्करों द्वारा गोवध कर उनका मांस बाइकों पर होटलों से लेकर ढाबों व घरों तक में बीस से तीस किलोमीटर के क्षेत्र में बाइक तथा कार से भेजा जाता है।

नूंह पुलिस की सख्ती के बाद गांव से हटाकर गोतस्करों ने अरावली के जंगल में ठिकाना बना रखा है। हालांकि पुलिस इन ठिकानों पर भी छापेमारी कर कार्रवाई कर रही है। वहीं राजस्थान पुलिस इस मामले में अभी पीछे हैं। पहली बार पुलिस अधिकारी सोते से जागे और बीफ मंडी को तहस-नहस किया।

फरीदाबाद, गुरुग्राम से लाते गोवंशी

गोतस्कर गुरुग्राम, दिल्ली, फरीदाबाद तथा उत्तर प्रदेश के शहरों से घुमंतू गोवंशी पकड़ कर वाहन में लादकर लाते हैं। लाते समय यह इन शहरों की कानून व्यवस्था के लिए बाधा भी बने हैं। जब गोभक्त या पुलिस टीम पीछा करती है तो हमला करने से भी बाज नहीं आते हैं। चलते वाहन से गाय फेंकने तथा पत्थर बरसाने की आए दिन घटना होती रहती है। 

गोतस्करों के पसंद के लगते थे थानेदार

वोट बैंक की चाहत में गोतस्करों को राजनीतिक संरक्षण भी मिलता आया है। नूंह में दो साल में तो माहौल बदल गया जिसके चलते गोतस्करी भी कम हुई, लेकिन राजस्थान के जिलों में पुलिस अधिक रोकटोक नहीं करती थी। यहां तक कि किसी थाना प्रभारी ने दबाव बनाया तो राजनीतिक आकाओं का सहारा लेकर गोतस्कर उससे थाना से दूसरे थाने में भेजवा देते थे।

राजस्थान विधान सभा चुनाव में भाजपा ने गोतस्करी को लेकर मुद्दा भी बनाया था। उसे तिजारा तथा कामां जैसी सीट पर सफलता भी मिली। क्योंकि मुस्लिम समाज के ही युवा अब गोतस्करी पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि चंद लोगों के चलते पूरा जिला बदनाम होता है।

रोजाना पांच से छह गोवंशी चढ़ते हैं भेंट

एक गिरोह अपने ठिकाने पर रोजाना पांच से छह गोवंशी का वध कर उनका मांस बेचता है। मांस भी डेढ़ सौ से दो रुपये किलो के बीच बिकता है। ठिकाने पर पहुंचाने के लिए पचास रुपये अतिरिक्त रूप से लेते हैं। पुलिस कर्मी ही यह मानते हैं कि नूंह तथा उससे सटे राजस्थान के गांव में रोजाना सौ क्विंटल से अधिक मांस बेचा जाता है। ढाबे वाले सबसे बड़े ग्राहक होते हैं। जब कोई बड़ा जलसा होता है आर्डर के मुताबिक गोवंशी मार कर मांस भेजा जाता है।

चोरी के वाहनों से मांस भेजते हैं

गोतस्कर चोरी की गई बाइक या कार अथवा पिकअप वैन को खरीदकर उसी से मांस भेजते हैं। पुलिस जब पीछे पड़ती है तो वाहन चोरी का निकलता है। नूंह पुलिस ने गोतस्करों के कब्जे से एक साल में 56 बाइक तीन कार तथा दो वैन बरामद की गई जो दूसरे जिलों से चोरी कर यहां लाई गई थी। अधिकतर वाहनों में नंबर प्लेट भी नहीं होती है।

अप्रैल में नूंह पुलिस ने की थी बड़ी कार्रवाई

नूंह पुलिस ने 28 अप्रैल 2023 को आपरेशन प्रहार चला 156 गोतस्कर पकड़ जेल भेजा था। पुलिस की इस कार्रवाई से गोतस्कर खीज गए थे। जुलाई में हुए दंगे में भी कई गोतस्करों ने आंतक मचाया था। हालांकि उसके बाद से नूंह पुलिस ने गोतस्करों के विरुद्ध अपनी मुहिम जारी रखी और अब तक 45 गोतस्करों को पकड़ जेल भेजा।

राजस्थान के गांवों को बनाया ठिकाना

नूंह पुलिस ने शिकंजा कसना आरंभ किया और गांव के लोग विरोध करने लगे थे यहां के करीब 45 गिरोह से जुड़े सदस्यों ने राजस्थान के निकटवर्ती गांवों में अपने ठिकाने बना लिए थे। वहीं पर वध कर मांस नूंह के गांवों तथा कस्बों में लाकर बेच रहे हैं।

गोतस्करों के विरुद्ध अभियान चलता रहेगा। हमें जो इनपुट मिलता है उससे राजस्थान पुलिस से भी शेयर करते हैं। राजस्थान पुलिस भी सक्रिय होने लगी है। इससे बदमाशों के काले धंधे पर रोक लगाने में अब और भी सहूलियत रहेगी।

नरेन्द्र बिजारणियां, पुलिस अधीक्षक नूंह 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।