Independence Day 2023: बाबर से लोहा लेने के साथ ही जंग-ए-आजादी में रहा है मेवात का खास योगदान, पढ़ें इतिहास
हिंसा की आग में झुलसा नूंह (मेवात) हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता रहा है। यह ऐसा प्रांत रहा है जिसके निवासियों ने बाबर से लेकर अंग्रेजों तक से लोहा लिया। इस प्रांत और यहां के लोगों का आजादी की लड़ाई में भी अहम योगदान रहा है। मेवात के मुस्लिमों को मेव मुस्लिम कहा जाता है और मेव लोग गोपालन के लिए विख्यात रहे हैं।
By Pooja TripathiEdited By: Pooja TripathiUpdated: Thu, 10 Aug 2023 11:15 AM (IST)
मेवात, ऑनलाइन डेस्क। जलती गाड़ियां-दुकानें, हथियारों से लैस लोग, एक-दूसरे पर पत्थरबाजी करती उन्मादी भीड़, एक-दूसरे की जान के दुश्मन बने लोग, सिसकियां, मातम और इन सबके बाद सड़कों पर पसरा सन्नाटा। यह हाल है हरियाणा के मेवात के नूंह का, जो 31 जुलाई को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस गया। हालांकि मेवात की ऐसी तस्वीर आजादी के बाद किसी ने नहीं देखी थी।
हिंसा की आग में झुलसा नूंह हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता रहा है। यह ऐसा प्रांत रहा है जिसके निवासियों ने बाबर से लेकर अंग्रेजों तक से लोहा लिया। इस प्रांत और यहां के लोगों का आजादी की लड़ाई में भी अहम योगदान रहा है।
मेवात के मुस्लिमों को मेव मुस्लिम कहा जाता है और मेव लोग गोपालन के लिए विख्यात रहे हैं। इन्हीं लोगों को देश के विभाजन के वक्त महात्मा गांधी ने पाकिस्तान जाने से रोक लिया था। ऐसी ही खूबसूरती और वीरता के कई कारनामों से मेवात का इतिहास भरा पड़ा है। अपनी इस स्टोरी में हम आपको आजादी की लड़ाई में मेवात की भूमिका और इसके इतिहास के बारे में बताने वाले हैं...
मेवात और गुरुग्राम में भी लड़ी गई थी ऐतिहासिक लड़ाई
हरियाणा का पूरा नूंह और राजस्थान के अलवर और भरतपुर का कुछ हिस्सा मिलकर मेवात का इलाका बनता है। यहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। इन्हें मेव मुस्लिम कहा जाता है। मेव लोगों के बारे में कहा जाता है कि ज्यादातर इसमें इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं लेकिन 40-50 साल पहले तक ये लोग हिंदुओं के तमाम रीति-रिवाजों को मानते थे।
इतिहास में यह बात दर्ज है कि अंग्रेजों द्वारा जब 1871 में पहली बार जनगणना कराई गई तब मेव को हिंदू ही गिना गया था। हालांकि 1901 की जनगणना में मुसलमानों के रूप में मेव की गिनती हुई थी। इन्हीं मेव लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई थी।
स्वतंत्रता के महासंग्राम में मेवात और गुड़गांव में भी ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी गई थी। आजादी की पहली क्रांति में मेवातियों ने अपना पूरा सहयोग दिया था। इसका जिक्र इतिहास की पुस्तकों में पढ़ने को मिलता है।
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