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मेवात और गांधी: आजादी के समय मेवात से पलायन करने रहे मुस्लिमों को रोकने के लिए आए थे गांधी

महात्मा गांधी को मेवात से पलायन कर रहे लोगों की जानकारी मिली तो उस समय 19 दिसंबर 1947 को महात्मा गांधी लोगों के पलायन को रोकने के लिए मेवात के घासेड़ा गांव पहुंचे जहां पर उनके द्वारा बड़ी पंचायत हुई।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Sat, 30 Jan 2021 08:56 AM (IST)
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Mahatma Gandhi Death Anniversary: महात्‍मा गांधी की फाइल फोटो।
पुन्हाना [योगेश सैनी]। अहिंसा के प्रतीक माने जाने वाले महात्मा गांधी का मेवात से गहरा रिश्ता रहा है। देश की आजादी के बाद भारत में से पाकिस्तान अलग हो गया। उस समय मेवात से लाखों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पाकिस्तान जाने का मन बना लिया था। महात्मा गांधी को मेवात से पलायन कर रहे लोगों की जानकारी मिली तो उस समय 19 दिसंबर, 1947 को महात्मा गांधी लोगों के पलायन को रोकने के लिए मेवात के घासेड़ा गांव पहुंचे, जहां पर उनके द्वारा बड़ी पंचायत हुई।

पंचायत में उस समय करीब 20 हजार लोग जुटे और इस दौरान महात्मा गांधी द्वारा यहां के लोगों को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद लोगों ने अपना मन बदल लिया और पाकिस्तान जाने से रूक गए। जो लोग राजस्थान तक पहुंच गए वो भी वापस मेवात लौट आए। इतिहासकार सद्दीक मेव ने बताया कि उस समय महात्मा गांधी ने यहां के लोगों से कहा था कि देश की आजादी में उनका बराबर का योगदान है। यह देश जितना दूसरे समुदायों का है उतना ही मुसलमानों का है। जो लोग ये कह रहे हैं कि ये देश उनका नहीं है वो गलत है। मेवात के लोगों ने भी देश को आजाद कराने में अपनी कुर्बानियां दी हैं, ऐसे में देश की आजादी में सबका पूरा हक है।

सरकारें बदली, लेकिन घासेड़ा गांव नहीं बन पाया गांधी ग्राम

घासेड़ा गांव को लोग गांधी के नाम से जानते और मानते हैं। महात्मा गांधी का गांव में आना ऐतिहासिक दिन था। गांव में आकर महात्मा गांधी ने एक अनूठी छाप छोड़ी थी। जिसके बाद से ही गांव को गांधी ग्राम बनाए जाने की मांग उठती रही। सरकार से लेकर प्रशासन से मेवात के लोग घासेडा गांव को गांधी ग्राम बनाए जाने की मांग करते रहे, लेकिन सरकारें तो बदली पर गांव को सरकारी कगजों में गांधी की पहचान नहीं मिल पाई।

देश को आजाद कराने में गांव के लोग हुए थे कुर्बान

1857 की क्रांति से लेकर देश को आजद कराने की लड़ाई में मेवात के सैंकड़ों लोगों ने अपनी कुर्बानी दी थी। गांव के लोगों की तरफ से 1857 के बाद से दी गई कुर्बानी को लेकर गौरव पट्ट बनवाया गया है। जिसपर गांव का पूरा इतिहास दर्ज है। गौरव पट्ट के अनुसार आठ लोग 1857 की क्रांति में शहीद हुए थे।

घासेड़ा गांव से आजादी के नायक महात्मा गांधी की यादें जुड़ी हुई हैं। आज भले ही महात्मा गांधी जिंदा ना हो, लेकिन घासेड़ा के साथ ही पूरे मेवात के लोगों के दिलों में गांधी अभी भी यादों के रूप में जिंदा हैं।

सद्दीक मेव, इतिहासकार।

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