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राजस्थान चुनाव के पहले सरकार के दबाव में हुई थी मोनू मानेसर की गिरफ्तारी, नहीं चला जुनैद-नासिर हत्याकांड का मुद्दा

चुनाव के पहले मुस्लिम बाहुल्य सीट कामां और तिजारा विधानसभा सीट को अपने कब्जे में करने के लिए कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कामां क्षेत्र के गांव घाटमिका के रहने वाले नासिर-जुनैद की हत्या के मामले को खूब उछाला गया था। क्षेत्र के स्थानीय नेताओं से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हरियाणा की मनोहर सरकार पर मोनू को संरक्षण देने का आरोप लगाया था।

By Satyendra SinghEdited By: GeetarjunUpdated: Sun, 03 Dec 2023 10:59 PM (IST)
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राजस्थान चुनाव के पहले सरकार के दबाव में हुई थी मोनू मानेसर की गिरफ्तारी, नहीं चला जुनैद-नासिर हत्याकांड का मुद्दा
सत्येंद्र सिंह, कामां (राजस्थान)। चुनाव के पहले मुस्लिम बाहुल्य सीट कामां और तिजारा विधानसभा सीट को अपने कब्जे में करने के लिए कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कामां क्षेत्र के गांव घाटमिका के रहने वाले नासिर-जुनैद की हत्या के मामले को खूब उछाला गया था। क्षेत्र के स्थानीय नेताओं से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हरियाणा की मनोहर सरकार पर मोनू को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच एक्स हैंडल पर ट्वीट वार भी हुआ था।

नूंह में जुलाई माह में हुए दंगे के बाद नूंह पुलिस ने नाटकीय अंदाज में मोनू को गिरफ्तार कर उसे राजस्थान की डीग पुलिस के हवाले कर दिया गया था। जबकि उसके पहले राजस्थान के डीजीपी तक यह कही चुके थे कि मोनू का इस हत्याकांड से सीधे जुड़ाव अब उसे ही पसंद करती जोनहीं है।

चुनाव आते ही अधिकारियों ने बदला जांच का अंदाज

चुनाव आते ही पुलिस अधिकारियों ने भी अपनी जांच का अंदाज बदल दिया और मोनू को आरोपित मान गिरफ्तार कर लिया गया था । मोनू की गिरफ्तारी कराने का श्रेय लेने के लिए शिक्षा मंत्री तथा कामां से विधायक रही जाहिदा खान घाटमिका पहुंची तो वहां पर उन्हें काले झंडे दिखाए गए थे।

दरअसल क्षेत्र के कुछ युवा समझते थे कि चुनाव के वक्त इस मामले को मुद्दा बनाया गया है। मुख्य मुद्दे तो क्षेत्र में विकास नहीं होना, रोजगार नहीं मिलने से युवा गोतस्करी साइबर ठगी तथा अन्य अपराध की ओर बढ़ रहे हैं। अवैध खनन करने वाले खनन माफिया को राजनीतिक संरक्षण दिए जाने से लेकर भाई-भतीजावाद अपनाने के थे।

युवाओं ने ही जाहिदा खान को टिकट देने का विरोध भी किया था। यही वजह रही कि उन्हें टिकट मिलने वालों की अंतिम सूची में नाम आया था। टिकट देने वालों को यकीन था कि जाहिदा सीट निकाल लेंगी।

क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों को लेकर चुनावी दंगल में उतरे मुख्तार अहमद जनता के बीच गए और भाजपा से टिकट मिलने के बाद नौक्षम ने ही विकास से लेकर रोजगार देने तथा क्षेत्र को अपराध मुक्त बनाने के दावे किए। मुख्तार तो हर गांव में सही कहते थे कि कब तक हम कुछ परिवारों की सत्ता के लिए की जाने वाली राजनीति के तीर बने रहेंगे।

क्षेत्र के युवा रोजगार चाहते हैं। वह तब मिलेगा जब शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा। जनता को दोनों यह संदेश देने में काफी सफल भी रहे। नौक्षम को जहां जीत मिली। वहीं मुख्तार हारने के बाद भी एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए हैं। दोनों की मतों की संख्या यह बता रही है कि क्षेत्र की जनता पुराने वादों पर यकीन नहीं करती और क्षेत्र का विकास चाहती है।

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