Nuh Violence: पहले उपद्रवियों ने लूटा, फिर प्रशासन ने तोड़ा ठिकाना; शहर छोड़ने को मजबूर हुए परिवार
राजस्थान अपने परिवार के लोगों के साथ जा रहे दयालु लाधू राम और मिकाना ने बताया पहले हम लोग मथुरा में रह रहे थे। दो साल से यहां नूंह में रह रहे थे। यहां पर रोजी रोटी आराम से चल रही थी। हिंसा के दौरान सारा सामान लूट लिया अगले दिन प्रशासन ने ठिकाना तोड़ दिया। अब पाली जाकर वहीं पर रहेंगे।
By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 08 Aug 2023 06:30 AM (IST)
नूंह, संजय गुलाटी: हिंसा के बाद कानून व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी है। प्रशासन भी दावा कर रहा है कि सब कुछ सामान्य हो जाएगा। लेकिन सौ से अधिक ऐसे परिवार हैं जिनके लिए वादा कोई मायना नहीं रखता है।
इनमें आधे लोग तो स्थानीय लोग हैं जो अपने गांव में चले गए लेकिन उन्हें रोजगार छीनने से आगे जिंदगी की गाड़ी चलाने के लिए नई तैयारी करनी होगी। क्योंकि जब प्रशासन का बुलडाेजर दंगाइयों के ठिकानों पर चला तो रेहड़ी लगा अस्थायी ठिकाना बना दुकान, वर्कशाप चलाने वाले लोगों के ठिकानों को भी तोड़ दिया गया।
खेड़ला चौक से लेकर घुमंतू गाड़िया लोहार परिवारों ने सड़क किनारे अपनी दुकान खोल रखी थी। गमले बनाने से लेकर मिट्टी के बर्तन तथा लोहे के उपकरण बना बेचते थे। दंगा किे दौरान हिंसक भीड़ इनका सामान लूट ले गई थी। ठिकाने को प्रशासन के तोड़फोड़ दस्ते ने हटा दिया।
बकरा भी लूट ले गए उपद्रवी
राजस्थान अपने परिवार के लोगों के साथ जा रहे दयालु, लाधू राम और मिकाना ने बताया पहले हम लोग मथुरा में रह रहे थे। दो साल से यहां नूंह में रह रहे थे। यहां पर रोजी रोटी आराम से चल रही थी। बकरी तथा बकरा भी पाल रखे थे अपने काम के अलावा उन्हें बेच लेते थे जिससे दिन अच्छी तरह से कट जाते थे।
हिंसा के दौरान सारा सामान लूट लिया फावड़े, हसिया तथा कड़ाही तक लूटी गई पांच बकरे भी लूट ले गए। अगले दिन प्रशासन ने ठिकाना तोड़ दिया। अब पाली जाकर वहीं पर रहेंगे। यहां रहकर क्या करेंगे। रहने लायक भी नहीं है। दोपहर एक बजे कड़ी धूप में खुले में बैठकर बुलडाेजर से तोड़ी गई अपनी दुकान की तरफ देखती मोहरनिशा ने बताया कि वह नल्हड़ गांव की रहने वाली है। वाहनों के सर्विस सेंटर को उनका बेटा तथा पति चला रहे थे जिसे तोड़ दिया गया। सामान भी नहीं हटाने दिया गया।
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