Haryana News: नूंह में जलेबी रोग ने बढ़ाई किसानों की चिंता, हजारों एकड़ में प्याज की फसल बर्बाद होने का डर
Haryana News हरियाणा के नूंह जिले में इस बार करीब 20 हजार एकड़ में लगी प्याज की फसल में जलेबी नामक रोग लगने से किसान चिंतित हैं। बीमारी के कारण प्याज के पौध झुलसने लगे हैं जिसके कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ नजर आ रही है।
By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Thu, 06 Oct 2022 04:41 PM (IST)
मेवात, जागरण संवादादाता। हरियाणा के नूंह जिले में इस बार करीब 20 हजार एकड़ में लगी प्याज की फसल में जलेबी नामक रोग लगने से किसान चिंतित हैं। बीमारी के कारण प्याज के पौध झुलसने लगे हैं। फसल बचाने के लिए कृषि तथा बागवानी विभाग के अधिकारी समय रहते सक्रिय नहीं हुए तो प्याज का उत्पादन आधा रह जाएगा।जागरूक किसान दवा का छिड़काव कर अपनी फसल तो कुछ हद तक बचा लेंगे, लेकिन बाकी के किसानों को लाखों का नुकसान सहना पड़ सकता है।
कृषि विभाग की मानें तो बायर की अलाईट दवा भी कुछ किसानों ने डाली है, लेकिन ये दवा भी अब नाकाम साबित हो रही है। फिलहाल खराब हुई फसल को देखकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीर साफ नजर आ रही है। जीतराम, मोहम्मद सारून, इलियास सहित कई किसानों ने खराब हुई फसल का उचित मुआवजा दिलाने की भी विभाग से मांग की है। ताकि किसानों को कुछ हद तक राहत मिल सके। पहले ही वर्षा अधिक होने से फसल प्रभावित हुई। जिन खेतों में पानी भरा रह गया प्याज की पौध गल गई।
इतने एकड़ में लगी है प्याज की फसल
जिले में इस बार 20 हजार एकड़ भूमि में किसानों ने प्याज की फसल लगाई हुई है। ज्यादातर फसल में रोग लग चुका है। वैसे तो विभाग किसानों को एक एकड़ पर आठ तथा पांच एकड़ पर 40 हजार रुपये की सब्सिडी दे रहा है। लेकिन इससे नुकसान की भरपाई नहीं हो पा रही है।एक एकड़ में लागत
यहां पर ज्यादातर किसानों ने निजी किसानों से तीन हजार से सात हजार रुपये प्रति क्विंटल तक का बीज खरीदा था। एक एकड़ में 12 क्विंटल बीज लगाया गया है। जिससे जुताई व खाद को मिलाकर एक किसान का एक एकड़ में करीब 75 से 80 हजार रुपये का खर्च आता है। यदि फसल खराब हो जाती है तो एक किसान को हर एकड़ पर करीब एक लाख रुपये का नुकसान होता है।
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ऐसे करें सिंचाई
यदि दिन में धूप है तो किसान रात में सिंचाई करें। प्याज की फसल में ड्रिप सिस्टम से पानी लगाना बेहतर रहता है। क्योंकि इससे फसल का उठान अच्छा होता है और पैदावार भी बेहतर होती है। अधिक पानी देने से भी फसल प्रभावित होती है। सबसे बड़ा फायेदा पानी की बचत होती है जिससे अतिरिक्त क्षेत्र को सिंचित किया जा सकता है। कम से कम 30 प्रतिशत पानी की बचत होती है। यानि की 30 प्रतिशत क्षेत्र की अधिक सिंचाई की जा सकती है। पूरे खेत में समान पानी वितरण होता है। किसान को इस सिस्टम के सौ प्रतिशत सब्सिडी भी मिलती है। किसान को केवल उपकरण तथा पाइप के मूल्य की जीएसटी देनी पड़ती है।
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