बघोला बन रहा है एनसीआर में आतिशबाजी आपूर्ति का केंद्र
संजय मग्गू, पलवल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट नें प्रदुषण संबंधी मामले में टिप्पणी की थी कि
संजय मग्गू, पलवल
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट नें प्रदुषण संबंधी मामले में टिप्पणी की थी कि इतना बारूद सेना में नहीं है, जितना कि एकेले एनसीआर में आतिशबाजी के रुप में जमा है। इससे पूर्व केंद्रीय प्रदुषण बोर्ड नें फरीदाबाद को देश का सर्वाधिक प्रदूषित शहर घोषित किया हुआ है। इन सब को लेकर पलवल का बघोला गांव चर्चा में आ गया है जहां कि चार गोदामों में करीब 20 लाख किलो आतिशबाजी का भंड़ारण किया जाता है। त्यौहारों के मौके पर समूचे एनसीआर में जलाई जाने वाली आतिशबाजी का यह करीब 25 फीसदी हिस्सा है। पलवल जिले के बघोला के अलावा गुरुग्राम के पटौदी (फरुखनगर) व रोहतक में बने गोदामों से आतिशबाजी की सप्लाई होती है।
पर्यावरणविदों के जागरुकता व तमाम उपायों के बावजूद भी त्यौहारों खासकर दीपावली के मौके पर आतिशबाजी के प्रयोग में कमी नहीं आ रही है। पटाखा कारोबारियों के अनुसार एनसीआर में करीब 80 से 100 लाख किलो आतिशबाजी स्वाहा कर दी जाती है। यानि कि करीब 100 करोड़ रुपयों को आग दिखा दी जाती है व उससे फैलने वाले प्रदुषण से लोग बीमारी का शिकार होते हैं वह अलग है। प्रयोग की जाने वाली आतिशबाजी का बड़ा हिस्सा गांव बघोला के चार गोदामों में भंड़राण किया जाता है। दीपावली के करीब तीन माह पूर्व ही भंड़ारण का कार्य शुरू कर दिया जाता है। पटाखा कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार यहां ज्यादातर आतिशबाजी तमिलनाडु के शिवाकाशी से आती है तथा कुछ का स्थानीय स्तर पर भी उत्पादन होता है। पटाखा कारोबारियों के अनुसार गांव बघोला के चारों गोदामों में करीब 15 करोड़ रुपये की आतिशबाजी के भंड़ारण का कार्य हो चुका है।
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आतिशबाजी में कई प्रकार के खतरनाक रसायन उपयुक्त होते हैं। जिनमें कि पोटाशियम नाइट्रेट, चारकोल तथा सल्फर मुख्य हैं। उक्त रसायन मानव शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक हैं।
- डा. अभिषेक जैन, इएनटी विशेषज्ञ।
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सरकार की तरफ से चार गोदामों को अनुमति दी गई है। उक्त गोदामों में सुरक्षा प्रबंधों की भी समीक्षा कि जाती है, ताकि आतिशबाजी बिक्री के लिए जो मानक हैं उनका पालन होता रहे।
- लेखराम, अग्निशमन अधिकारी, पलवल।
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समाप्त
संजय मग्गू
01 सितंबर-17