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Palwal News: पुराने शहर में बूंद-बूंद को तरसे लोग, 100 घंटे से पानी की आपूर्ति ठप; मचा हाहाकार

Palwal News पलवल जिले के पुराने शहर में स्थानीय निवासी बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हैं। बीते 100 घंटे से शहर में पानी की सप्लाई ठप है। सबसे ज्यादा परेशानी बुजर्गों के साथ ही छोटे बच्चों को भी हो रही है। 20 हजार से ज्यादा लोगों को पानी नहीं मिला। दुकानदार ने थोड़ी देर सबमर्सिबल पंप चलाकर लोगों को पानी भरने दिया।

By Ankur Agnihotri Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 14 Nov 2024 05:20 PM (IST)
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पानी नहीं मिलने के कारण बुजर्गों और छोटे बच्चों की हो रही बुरी हालत। फाइल फोटो
अशोक कुमार यादव, पलवल। साहब! पीने का पानी तो मिल नही रहा है। शौचालय के लिए पानी कहां से लाएं? घर में लोग शौचालय जाने से कतरा रहे हैं, क्योंकि घर में एक बूंद भी पानी नहीं है। यही नजारा पुराने शहर की ऊंची बसावट पर बसे माेहल्लों में देखने को मिला।

इन मोहल्लों में सबसे ज्यादा बुरी हालत बुजर्गों व छोटे बच्चों को हो रही है। जिस भी गली में निकलो महिलाएं, पुरुष आपस में घर में पीने के कारण हो रही समस्या को बता दिखे। कई महिलाएं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व जन नेताओं को कोसती दिखीं।

बता दें कि पुराना पलवल शहर में 100 घंटे से शहर में पानी की आपूर्ति ठप है। ऊंचाई पर बसे खैलखुर्द, खैलकलां, ढेर मोहल्ला, नीमतला,थाई मोहल्ला, काजीवाड़ा, कानूनगोयान, इंद्रपुरी, सराय पुख्ता, बलदेव गंज सहित अन्य मोहल्लों में करीब तीन सौ घर हैं और सभी घरों में पानी का कनेक्शन हैं।

पुराने शहर के 20 हजार से ज्यादा लोगों को नहीं मिला पानी 

इन मोहल्लों में चौथे दिन भी पीने के पानी की आपूर्ति नहीं हुई। इससे शहर में शुक्रवार को पानी के लिए हाहाकार मच गया। पुराने शहर के 20 हजार से ज्यादा लोगों को पानी की आपूर्ति नहीं हुई। एक-एक बाल्टी पानी के लिए लोगों को सबमर्सिबल पंप वाले घरों में कतार लगानी पड़ी। जिला उपायुक्त डा. हरीश कुमार वशिष्ठ का दावा है कि शुक्रवार दोपहर बाद तक कुछ जगह आपूर्ति शुरू हो जाएगी।

दैनिक जागरण ने सुबह साढ़े छह बजे इन मोहल्लों का दौरा किया तो देखा कि जिस भी गली में जाओं सुबह-सुबह लोग बाल्टी लेकर पानी के लिए इधर-उधर भटकते मिले। मीनार गेट पर सुबह साढ़े छह बजे जमुना कचौड़ी वाले की दुकान खुली। वैसे ही खैल खुर्द, खैलकलां से महिलाएं व पुरुष अपने हाथों में बाल्टियां, प्लास्टिक की बोतले दुकान पर पहुंच गए।

दुकानदार ने थोड़ी देर सबमर्सिबल पंप चलाकर लोगों को पानी भरने दिया। उसके बाद दुकानदार ने पंप बंद कर दिया। कई महिलाओं को दुकान से पानी न मिलता देख मायूस होकर अपने घर की ओर रवाना हो गई। मीनार गेट पर ग्राहकों के लिए वाटर कूलर से भी महिलाओं ने पानी भरने की कोशिश की। मगर वाटर कूलर से भी दो तीन ही बोतल भरी गईं। उसके बाद वाटर कूलर भी खाली हो गया।

एक-एक बाल्टी पानी के लिए लोगों को सबमर्सिबल वाले पड़ोसियों की मिन्नतें करनी पड़ीं। नीमतला, थाई मोहल्ला में महिलाएं जैन मंदिर में लगे सबमर्सिबल पंप से पानी भरने पहुंची। उन्होंने बताया कि उनके घर में एक बूंद पानी नहीं है। इसलिए सुबह पांच बजे से ही मंदिर में पानी लेने आना पड़ रहा है। स्कूली बच्चे भी पिछले तीन दिनों से बिना नहाए ही स्कूल जाने को मजबूर हैं।

सबमर्सिबल के सहारे लोग

खैल खुर्द मोहल्ले में चार से पांच फुट चौड़ी गलियों में रहने वालों को चौथे दिन भी पानी नहीं मिला। लोगों को समतल मकानों में लगे सबमर्सिबल पंप से पानी भरने के लिए पूरी गली के लोगों को मिन्नतें करनी पड़ी। तंग गली के कारण टैंकर अंदर आना मुमकिन नहीं। लोगाें को दूर दराज से पानी लाना पड़ा।

एक सांसद, एक मंत्री, चेयरमैन, चार पार्षद सब चुप

चार दिन से पानी का संकट झेल रहे पुराने शहर में चार एक सांसद कृष्णपाल गुर्जर, केबिनेट मंत्री गौरव गौतम, चेयरमैन डा. यशपाल भारद्वाज, चार पार्षद रेखा शर्मा, सुषमा शर्मा, एकता चौधरी तथा अंजू अहेरिया हैं, लेकिन पानी का संकट दूर करने के लिए किसी ने पहल नहीं की।

लोगों का कहना था कि किसी भी जन प्रतिनिधि ने आकर हमारी समस्या नहीं सुनीं। वो केवल वोट मांगने आए थे। अब इनका मतलब निकल गया है। हम उनकी तरफ से मरे य जीये।

आज चार दिन हो गए, नल से पानी की एक बूंद तक नहीं आई। यहां तो सबमर्सिबल पंप ही नहीं है जो जाकर भर लें। तंग गलियों में टैंकर आ नहीं सकता। स्कूटी पर दूर दराज से पानी लेकर आना पड़ रहा है। राम शर्मा

पीने के पानी के प्लांट से पांच बोतले मंगवाई हैं, तब जाकर रसोई का काम चला। चार दिन से पानी नहीं आ रहा। दीपक झांब

सुबह पांच बजे उठकर नीमतला मोहल्ला स्थित जैन में पानी भरने आई हूं। अभी तक अकेले पांच बाल्टी पानी घर छोड़कर आई हूं। गीता देवी

पानी भरें या फिर अपने काम के लिए घर से निकलें। दो से तीन घंटे तो पानी ढोने में बीत रहा है। ज्यादातर स्कूली बच्चे बिना नहाए ही स्कूल जाने को मजबूर हो गए है। सुभाष शर्मा

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