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पौने तीन करोड़ की आबादी वाले हरियाणा में 1.98 करोड़ लोग गरीब, कांग्रेस-BJP में बढ़ा टकराव; CBI जांच की मांग की

हरियाणा में गरीबी का आलम यह है कि दो साल में 75 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए हैं। विधानसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार राज्य की करीब 70% आबादी गरीब हो गई है। कांग्रेस ने बीपीएल श्रेणी के लोगों की बढ़ती संख्या पर सीबीआई जांच की मांग की है जबकि भाजपा इसे अपनी उपलब्धि मान रही है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Sushil Kumar Updated: Sun, 17 Nov 2024 03:25 PM (IST)
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पौने तीन करोड़ की आबादी वाले हरियाणा में 1.98 करोड़ लोग गरीब।
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा में दो साल के भीतर राज्य में गरीबों की संख्या बढ़ने पर बवाल मचा हुआ है। विधानसभा में पेश आंकड़ों के हिसाब से राज्य में दो साल के भीतर करीब 75 लाख लोग बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीतने वाले लोगों) की श्रेणी में पहुंच चुके हैं।

कांग्रेस के दावों के अनुसार राज्य की करीब 70 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गई है। ऐसे में प्रति व्यक्ति आय किस तरह से बढ़ रही है।

कांग्रेस ने बीपीएल श्रेणी के लोगों की बढ़ती संख्या पर सीबीआई जांच की मांग की है। भाजपा इसे अपनी उपलब्धि मानकर चल रही है। वह न केवल सीबीआइ जांच को तैयार है, बल्कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को चिन्हित होने के बाद कांग्रेस पर ही सवाल खड़े कर रही है।

बीपीएल श्रेणी के लोगों को मिलते हैं कई तरह के लाभ

बीपीएल श्रेणी के लोगों को सरकार की ओर से कई तरह के लाभ मिलते हैं। प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज, हर माह 40 रुपये में दो लीटर सरसों का तेल और साढ़े 13 रुपये में एक किलो चीनी देने का प्रविधान बीपीएल श्रेणी के लोगों को है।

इसके अलावा, परिवार पहचान पत्र में बीपीएल श्रेणी के लोगों को दो दर्जन से ज्यादा योजनाओं का लाभ मिलता है। दिसंबर 2022 में लगभग 1.24 करोड़ लोग (कुल आबादी का 44 प्रतिशत) को इस श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन पिछले दो वर्षों में उनकी संख्या में लगभग 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई, जिसके आधार पर राज्य के बीपीएल लोगों का आंकड़ा एक करोड़ 98 लाख तक पहुंच चुका है। राज्य की आबादी करीब पौने तीन करोड़ है।

सरकारी योजनाओं का लाभ देने के विरोध में नहीं

हरियाणा के फरीदाबाद जिले में सबसे अधिक बीपीएल यानी 14 लाख 29 हजार लाभार्थी दर्ज किये गये हैं, जबकि हिसार जिले में 13 लाख 55 हजार बीपीएल हैं। तीसरे नंबर पर नूंह जिला है, जहां 13 लाख 40 हजार बीपीएल लोग हैं।

सबसे कम पंचकूला जिले में 3.65 लाख बीपीएल हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस विधायक बीबी बतरा, आफताब अहमद और अशोक अरोड़ा का कहना है कि हम गरीब व जरूरतमंद लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ देने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इतने गरीब अगर राज्य में बढ़ रहे हैं। 

उसके बावजूद प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हो रही है तो यह दोनों एक साथ नहीं हो सकते। कहीं कुछ तो गडबड़ है। इसलिए पूरे मामले की सीबीआइ जांच कराई जानी चाहिये।

कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज

बड़खल से भाजपा विधायक धनेश अदलखा ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बीपीएल कार्ड बनाने की आय सीमा 1.20 लाख रुपये वार्षिक थी और इसके बाद भी जरूरतमंद लोगों को बीपीएल कार्ड नहीं बनाए जाते थे।

500-500 गज मकान में रहने वाले तथा बड़ी-बड़ी गाड़ियां रखने वाले लोगों के बीपीएल कार्ड बने हुए थे। भाजपा सरकार ने बीपीएल कार्ड बनाने की आय सीमा को बढ़ाकर 1.80 लाख रुपये वार्षिक किया और समस्त फर्जी कार्ड रद कर दिये, जिसके बाद वास्तविक लोग बीपीएल की श्रेणी में आए।

धनेश अदलखा ने कहा है कि इससे कांग्रेस के पेट में दर्द हुआ कि आखिरकार भाजपा ने वास्तविक जरूरतमंद लोगों को उनके हित की योजनाओं का धरातल पर लाभ देना क्यों चालू कर दिया है।

पीपीपी में स्व घोषित आय की जांच की तैयारी

हरियाणा के खाद्य एवं आपूर्ति राज्य मंत्री राजेश नागर ने परिवार पहचान पत्र को क्रिड से जोड़ा गया है, जिसमें आय के सेल्फ डिक्लरेशन (स्वयं घोषित) का प्रविधान है। कई लोग ऐसे हो सकते हैं, जिन्होंने अपनी आय 1.80 लाख रुपये वार्षिक से कम दिखा दी।

इसमें विभागीय अधिकारियों का कोई रोल नहीं है। अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलकर स्व घोषित आय की जांच का प्रविधान किया जाएगा, ताकि वास्तविक लाभार्थी ही योजना के दायरे में रह सकें।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह कहते हुए जवाब दिया कि विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए अधिक से अधिक लोगों को बीपीएल घोषित करने की राजनीतिक चाल चली गई है। 

धनेश अदलखा का कहना है कि सरकार की योजनाओं का लाभ आम लोगों को मिल रहा है तो इसमें किसी को क्या परेशानी हो सकती है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में दावा किया कि राज्य में सिर्फ चार प्रतिशत बेरोजगारी है, जो कि सामान्य से भी कम है।

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