Haryana News: अनिश्चितकालीन हड़ताल पर NHA के 16 हजार कर्मचारी, कैशलेस इलाज और नियमित करने की उठा रहे मांग
हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों मरीजों के इलाज में व्यवधान पड़ रहा है। दरअसल राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission in Haryana) (एनएचएम) के करीब 16 हजार कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इस कारण अस्पतालों में प्रसव और जरूरी टेस्ट सेवाओं पर असर पड़ रहा है। आंदोलनकारी कर्मचारी कैशलेस इलाज और नियमित करने की मांग कर रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के करीब 16 हजार कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों के इलाज में व्यवधान पड़ गया है। अस्पतालों में टीकाकरण नहीं हो रहा है और गर्भवती महिलाओं की प्रसूती प्रभावित हो गई है।
कंप्यूटर पर भी कोई कामकाज नहीं किया जा रहा है। बेहद गंभीर मरीजों को सरकारी एंबुलेंस की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। मजबूरी में मरीजों को प्राइवेट चिकित्सा सेवाओं की तरफ भागना पड़ रहा है।
NHA के कर्मचारियों की हड़ताल पर नहीं लिया कोई संज्ञान
हरियाणा सरकार की ओर से अभी तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारियों की हड़ताल पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। प्रदेश में सरकारी डॉक्टरों ने जब हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया तो सीएम के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर और अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल ने एक के बाद एक बैठकों के कई दौर के बाद उनकी मांगों को मान लिया।
26 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर NHA कर्मचारी
सरकारी अस्पतालों में मरीजों के स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले एनएचएम कर्मचारी पिछली 26 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, लेकिन कोई उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है। एनएचएम हरियाणा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आदित्य दहिया के साथ इन कर्मचारियों की दो बार बैठक हुई, लेकिन उन्होंने समस्या का समाधान करने से हाथ खड़े कर दिए हैं।
जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के कार्यालय में चल रहा धरना
एनएचएम कर्मचारियों में डॉक्टर, आयुर्वेदिक चिकित्सक, एएनएम, स्टाफ नर्स, कंप्यूटर ऑपरेटर, कंप्यूटर सहायक और लैब टेक्निशियन हड़ताल पर चल रहे हैं। आंदोलन के तहत राज्य स्तरीय धरना पंचकूला में मिशन निदेशक के कार्यालय के बाहर दिया जा रहा है, जबकि जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के कार्यालय परिसरों में धरने चल रहे हैं।
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साल 2018 में सरकार ने तय किए सेवा नियम
स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन शर्मा और प्रदेश महामंत्री जितेंद्र वत्स के अनुसार सभी कर्मचारियों की नियुक्तियां अनुबंध पर हैं। साल 2018 में हरियाणा सरकार ने इन कर्मचारियों के सेवा नियम तैयार किए थे, जिनमें बदलाव कर अब ग्रेड-पे व्यवस्था हटाने तथा फिक्स वेतन देने का प्रविधान करने की तैयारी की जा रही है।
जितेंद्र वत्स के अनुसार एनएचएम कर्मचारी पिछले 20-27 सालों से काम कर रहे हैं। स्टेट हेल्थ सोसायटी के माध्यम से उनकी नियुक्तियां होती हैं, जिन्हें आज तक नियमित करने की दिशा में सरकार गंभीर नहीं है। केंद्र ने साल 2012-13 में सभी राज्यों को प्रस्ताव भेजा था कि एनएचएम कर्मचारियों को नियमित करने के लिए पद सृजित किए जाएं।
साल 2022 में मणिपुर में 2600 NHA कर्मचारियों को किया गया नियमित
साल 2022 में भाजपा शासित राज्य मणिपुर अकेला ऐसा स्टेट है, जहां 2600 एनएचएम कर्मचारियों को नियमित किया गया, जबकि हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है, जो कि केंद्र के प्रस्ताव और मणिपुर सरकार के तत्कालीन फैसले पर अमल करने को तैयार नहीं दिखाई दे रही है।
विपिन शर्मा और जितेंद्र वत्स ने बताया कि मरीजों का इलाज करने वाले इन एनएचएम कर्मचारियों के लिए आज तक कैशलेज इलाज की सुविधा नहीं है। आयुष्मान भारत या चिरायु योजना में केवल आपरेशन संबंधी बीमारियां कवर हैं। इसके अलावा किसी बीमारी में उपचार की सुविधा नहीं है। एनएचएम कर्मचारियों को कैशलेस मेडिकल सुविधा का लाभार्थी बनाया जाना चाहिए।
यदि हरियाणा सरकार एनएचएम कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान की दिशा में सार्थक पहल नहीं करती तो राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को बिगड़ते देर नहीं लगेगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में यह आंदोलन अधिक तेज किया जाएगा।