हरियाणा ने माना NGT का सुझाव, NCR से बाहर यमुनानगर में लगेगा 900 मेगावाट क्षमता का पावर प्लांट
हरियाणा में एक नया पावर प्लांट लगने जा रहा है। यमुनानगर में 900 मेगावाट के नए पावर प्लांट की मंजूरी दे दी गई है। अब इस प्लांट के लिए जगह का चयन होगा और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाएगी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में 13 हजार 106 मेगावाट बिजली की उपलब्धता के साथ प्रदेश सरकार एक नया पावर प्लांट लगाने जा रही है। करीब 900 मेगावाट क्षमता का यह पावर प्लांट यमुनानगर में लगेगा। राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने राज्यों को निर्देशित किया था कि एनसीआर के दायरे से बाहर जाकर कोई भी पावर प्लांट अथवा ऐसी औद्योगिक इकाई लगनी चाहिए, जो प्रदूषण की कारक है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इन दिशा निर्देशों का अनुपालन करते हुए यमुनानगर में पावर प्लांट के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब इस प्लांट के लिए जगह का चयन होगा और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाएगी।
हरियाणा अपने गठन के बाद बिजली क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ा है। एक ओर जहां उस समय बिजली की उपलब्धता केवल 343 मेगावाट थी, जो आज 13 हजार 106.58 मेगावाट तक पहुंच गई है। भाजपा सरकार के पिछले आठ साल के कार्यकाल में हरियाणा बिजली उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बना है। जब मई-जून के महीनों में बिजली की सर्वाधिक आवश्यकता होती है, उस समय राज्य में बिजली की मांग 12 हजार 768 मेगावाट तक पहुंच गई थी। प्रदेश सरकार ने भले ही दूसरे राज्यों से महंगी बिजली खरीदी, लेकिन राज्य के लोगों की जरूरत को पूरा किया है।
हरियाणा बिजली उत्पादन निगम कुल 2582.40 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है, जिसमें से पानीपत थर्मल प्लांट से 710 मेगावाट बिजली, राजीव गांधी थर्मल प्लांट खेदड़ से 1200 मेगावाट, दीनबंधु छोटूराम थर्मल प्लांट यमुनानगर से 600 मेगावाट और वेस्टर्न यमुना कैनाल से 62.4 मेगावाट हाइड्रो बिजली का उत्पादन किय़ा जाता है। पानीपत पावर प्रोजेक्ट से 10 मेगावाट सोलर का बिजली उत्पादन होता है।
राज्य को खुद की बिजली का उत्पादन दूसरे राज्यों अथवा केंद्रीय पूल से खरीदने से काफी महंगा पड़ता है। इसलिए प्रदेश सरकार का जोर कम लागत पर अधिक फायदे की तरफ है, ताकि सरकारी खजाने की बचत भी होती रहे और लोगों की जरूरत भी पूरी होती रहे।
प्रदेश के 84 प्रतिशत गांवों में 24 घंटे बिजली
मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अनुसार प्रदेश में बिजली बिल न भरने की एक परिपाटी चली आ रही थी, जिसे वर्ष 2016 में गांव बाढड़ा में तोड़ा गया। वहां उन्होंने झोली फैलाकर लोगों से बिजली बिल भरने की अपील की। उसके बाद म्हारा गांव-जगमग गांव योजना की शुरुआत की गई, जिसके तहत अब इस समय प्रदेश के 5681 अर्थात 84 प्रतिशत गांवों को 24 घंटे बिजली दी जा रही है, जबकि अक्टूबर 2014 में केवल 538 गांवों में 24 घंटे बिजली दी जा रही थी। अक्टूबर 2014 में ग्रामीण क्षेत्र से बिजली बिलों की रिकवरी 50 प्रतिशत से भी कम थी, जो अब बढक़र 90 प्रतिशत से अधिक हो गई है।