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Haryana Election 2024: दिल बहलाने के लिए बगावत अच्छी नहीं! चुनाव में दलबदलुओं को नकारते आए हैं हरियाणा के वोटर

Haryana Assembly Election 2024 हरियाणा में दलबदलुओं का खेल ज्यादा नहीं चल पाता है। मतदाता न केवल अधिकतर दलबदलुओं को नकारते आए हैं बल्कि चुनाव से ठीक पहले दल और दिल बदलने वाले बागी कभी राजनीति की मुख्यधारा में नहीं लौट पाए। कई को बगावत के बाद अपनी पुरानी पार्टी में लौटना पड़ा लेकिन फिर से वो स्थान हासिल नहीं कर सके।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Sat, 14 Sep 2024 02:05 PM (IST)
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रास नहीं आते दलबदलू, बिगाड़ते रहे खेल

सुधीर तंवर, चंडीगढ़। ‘आया राम, गया राम’ की राजनीति के लिए बदनाम हरियाणा में दलबदलुओं का खेल ज्यादा नहीं चल पाया है। मतदाता न केवल अधिकतर दलबदलुओं को नकारते आए हैं, बल्कि चुनाव से ठीक पहले दल और दिल बदलने वाले बागी कभी राजनीति की मुख्यधारा में नहीं लौट पाए। कई को बगावत के बाद मूल पार्टी में लौटना पड़ा, लेकिन पुराना स्थान हासिल नहीं कर सके।

जजपा के 7 विधायकों ने बदला पाला

इस बार कई बागी अपनों का खेल बिगाड़ने को तैयार बैठे हैं। जजपा के 10 विधायकों में सात ने पाला बदला है। जजपा कोटे से मंत्री रहे देवेंद्र सिंह बबली तथा अनूप धानक, रामकुमार गौतम और जोगी राम सिहाग भाजपा तो रामकरण काला कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। ईश्वर सिंह को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। रामनिवास सुरजाखेड़ा भाजपा के संपर्क में होने के बावजूद दुष्कर्म के आरोपों के चलते टिकट नहीं पा सके।

कांग्रेस के 44 और बीजेपी के 47 नेता खफा

भाजपा-कांग्रेस के 91 बागी ऐसे हैं, जिन्होंने निर्दलीय या दूसरे दलों से इस बार के पर्चा भरा है। 31 सीटों पर कांग्रेस के 44 नेता पार्टी से बगावत कर चुनावी रण में उतरे हैं, जिनमें पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी, पूर्व मंत्री संपत सिंह, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर, पूर्व विधायक ललित नागर, रामकिशन फौजी तथा दिल्लूराम बाजीगर हैं।

इसी तरह भाजपा में टिकट नहीं मिलने से खफा होकर 34 हलकों में 47 नेता निर्दलीय या दूसरे दलों के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। इनमें पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल, बिजली मंत्री रहे रणजीत चौटाला, मार्केटिंग बोर्ड के अध्यक्ष रहे आदित्य देवीलाल, सीएम के मीडिया सलाहकार रहे राजीव जैन, पूर्व विधायक शशिरंजन परमार व पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष संतोष यादव बड़े चेहरे शामिल हैं।

पिछले चुनावों में भी दलबदल करने वालों को सिखाया सबक

पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इनेलो के चार विधायक नैना चौटाला, पिरथी नंबरदार, अनूप धानक और राजदीप फोगाट जजपा में चले गए थे, जबकि पूर्व मंत्री जाकिर हुसैन, रणबीर गंगवा और केहर सिंह रावत सहित 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। इनमें से नैना चौटाला, अनूप धानक और रणबीर गंगवा ही फिर से विधानसभा पहुंच पाए।

दलबदल में अभी तक 19 विधायकों ने गंवाए पद

हरियाणा के इतिहास में अभी तक कुल 19 विधायक दल-बदल के चलते अपनी विधायकी गंवा चुके हैं। 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सिफारिश पर विधानसभा अध्यक्ष हरमोहिंदर सिंह चट्ठा ने अपनी ही पार्टी लोकदल के तीन विधायकों वासुदेव शर्मा, अजमत खान और राम नारायण की सदस्यता रद कर दी थी।

चौटाला सरकार में ही वर्ष 2000 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष सतबीर सिंह कादियान ने आठ विधायकों आरबीआइ के करण सिंह दलाल, एनसीपी के जगजीत सिंह सांगवान के साथ ही निर्दलीय विधायकों देवराज दीवान, भीमसेन मेहता, जय प्रकाश गुप्ता, राजेंद्र बिसला, दरियाव सिंह और मूला राम को कांग्रेस में शामिल होने के चलते विधायक पद के अयोग्य करार दे दिया था।

वर्ष 2008 में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल, विधायक धर्मपाल मलिक और इंद्री के विधायक राकेश कंबोज को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रघुबीर सिंह कादियान ने दल बदल कानून के तहत दोषी ठहराते हुए विधानसभा की सदस्यता रद कर दी थी।

2011 में हजकां के पांच विधायकों सतपाल सिंह सांगवान, विनोद भ्याना, राव नरेंद्र सिंह, धर्म सिंह छौक्कर और जिले राम शर्मा को कांग्रेस में शामिल होने के बावजूद तत्कालीन स्पीकर कुलदीप शर्मा ने बचाए रखा, लेकिन हाई कोर्ट ने विधानसभा से उनकी सदस्यता रद कर दी। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा जहां इन विधायकों को राहत मिल गई।

सिर्फ दिनेश कौशिक ही दोबारा पहुंच सके विधानसभा

2005 में 10 निर्दलीय चुनाव जीते थे, जिनमें दिनेश कौशिक, तेजिंदर पाल सिंह, नरेश कुमार, बच्चन सिंह, हर्ष कुमार, हबीब उर रहमान, सुखबीर सिंह, शकुंतला भार्गव, नरेश यादव और राधेश्याम शामिल थे। 2009 के चुनाव में सिर्फ दिनेश कौशिक जीत पाए।

2009 में छह निर्दलीय विधायक सुल्तान सिंह जडौला, ओम प्रकाश जैन, प्रह्लाद खेरा, गोपाल कांडा, सुखबीर कटारिया, जलेब खान और शिवचरण लाल शर्मा बने, लेकिन 2014 के चुनाव में इनमें से कोई नहीं जीत पाया। हालांकि इनमें से गोपाल कांडा नई पार्टी बनाकर वर्ष 2019 के चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल रहे थे।

2014 के विधानसभा चुनाव में पांच निर्दलीय जय प्रकाश, दिनेश कौशिक, रविंद्र मछरौली, जसबीर और रहीस खान निर्दलीय विधायक बने, जिनमें से कोई भी 2019 के चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर सका।

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पिछला चुनाव जीते सात निर्दलीय विधायकों में से पांच फिर मैदान में

2019 में सात निर्दलीय विधायक बने थे, जिनमें छह फिर चुनावी रण में हैं। दादरी के सोमबीर सांगवान इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे, जबकि राकेश दौलताबाद का निधन हो गया है। नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर को कांग्रेस ने टिकट दिया है। रानिया से रणजीत सिंह चौटाला, महम से बलराज कुंडू, पृथला से नयन पाल रावत और पुंडरी के रणधीर गोलन फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।

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