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अभय सिंह चौटाला ने कृषि मेले को बताया बीजेपी का निजी VIP कार्यक्रम, कहा-'BJP-JJP लुटेरों की सरकार'

हरियाणा में किसान कृषि मेले (Kishan Krishi Mela) के आयोजन पर ऐलनाबाद विधायक अभय सिंह चौटाला (Abhay Singh Chautala ) ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal) ने किसान कृषि मेले को राजनीतिक प्लेटफॉर्म की तरह यूज किया है। इसके साथ ही उन्होंने कृषि मेले को बीजेपी का निजी वीआईपी कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाया है।

By Anurag AggarwaEdited By: Deepak SaxenaUpdated: Mon, 09 Oct 2023 08:10 PM (IST)
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अभय सिंह चौटाला ने कृषि मेले को बताया बीजेपी का निजी VIP कार्यक्रम (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव एवं ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने किसान कृषि मेले को राजनीतिक प्लेटफार्म के तौर पर इस्तेमाल कर ओछी राजनीति करने का उदाहरण पेश किया है। हमारे किसानों और गरीब जनता का दुर्भाग्य है कि प्रदेश में भाजपा-जजपा जैसे लुटेरों की सरकार है। भाजपा-जजपा ने अपने शासनकाल में किसानों की जमकर दुर्गति की है और इस दुर्गति का बदला किसान आने वाले चुनावों में उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा कर लेगा।

कृषि मेले को बीजेपी ने बनाया निजी वीआईपी कार्यक्रम: अभय सिंह चौटाला

अभय सिंह चौटाला ने हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) द्वारा हिसार में हर साल आयोजित किए जाने वाले कृषि मेले को भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा निजी वीआईपी कार्यक्रम बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सुबह सात बजे पहुंचे किसानों को दोपहर एक बजे तक मेले में घुसने तक नहीं दिया गया, जिस कारण दूर-दूर से आए किसानों को चिलचिलाती धूप में घंटों तक भूखा और प्यासा खड़ा रहना पड़ा।

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वीआईपी लोगों की आवभगत पर करोड़ों रुपये बहाए गए, वहीं किसानों के लिए पीने के पानी की तक की भी सुविधा नहीं की गई। प्रमुख फसलों गेंहू की डब्लूएच 1270 और सरसों की आरएच 725 का बीज पहले दिन दो घंटों में ही समाप्त हो गया, जिससे साफ पता चलता है कि मिलीभगत कर उच्च गुणवत्ता के बीजों को प्राइवेट कंपनियों को ब्लैक में बेचा गया है।

अभय सिंह चौटाला ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग

इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए अभय सिंह चौटाला ने कहा कि जांच होने से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उच्च गुणवत्ता के बीज लेने की आस में आए अधिकतर किसानों को बीज तक नहीं मिला और जो थोड़े बहुत किसानों को बीज मिला उन्हें भी 20-20 किलो ही दिया गया। जब बीज ही उपलब्ध नहीं है तो तीन दिन के कृषि मेले का औचित्य ही खत्म हो गया।

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