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दुष्‍कर्म के दस साल बाद पीड़िता को मिलेगा मुआवजा, HC ने 4.5 लाख रुपये देने का किया एलान, जानिए पूरा मामला

Haryana News हाईकोर्ट ने दुष्‍कर्म पीड़िता को दस साल बाद 4.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मई 2013 में फरीदाबाद की अदालत द्वारा दोषी को जो सजा दे दी गई लेकिन निचली अदालत पीड़िता को राहत देने में विफल रही थी। आर्थिक रूप से मुआवजा दिया जाना आवश्यक था।

By Dayanand SharmaEdited By: Himani SharmaUpdated: Sat, 23 Sep 2023 01:38 PM (IST)
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दुष्‍कर्म के दस साल बाद पीड़िता को मिलेगा मुआवजा
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के 10 साल से अधिक समय बाद पीड़िता को साढ़े चार लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया है। हाई कोर्ट का यह आदेश तब आया है जब हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने दोषी को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मई 2013 में फरीदाबाद की अदालत द्वारा दोषी को जो सजा दे दी गई लेकिन निचली अदालत पीड़िता को राहत देने में विफल रही थी।

मानसिक रूप से भी हुई पीड़ा

जस्टिस बीएस वालिया और जस्टिस ललित बत्रा की पीठ ने कहा कि पीड़िता को न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी पीड़ा हुई है। ऐसे में उसे आर्थिक रूप से मुआवजा दिया जाना आवश्यक था। सीआरपीसी की धारा 357ए का हवाला देते हुए, बेंच ने कहा कि यह पीड़ित को मुआवजा योजना प्रदान करता है और यह प्रावधान 31 दिसंबर, 2009 से 2009 के अधिनियम 5 में संशोधन करके शामिल किया गया था।

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हरियाणा सरकार 2013 में लेकर आई थी हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना

इसके बाद हरियाणा सरकार 2013 में हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना लेकर आई थी। बेंच ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 357 के तहत ट्रायल कोर्ट द्वारा मुआवजा नहीं दिया गया था। जब अपील हाई कोर्ट के समक्ष सुनवाई के लिए आई, तब तक 2013 की योजना हरियाणा पीड़ित मुआवजा योजना, 2020 द्वारा निरस्त कर दी गई थी।

साढ़े चार लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश

2013 की योजना के निरस्त होने के बावजूद, लेकिन सीआरपीसी की धारा 357 ए और 2013 की योजना के तहत मुआवजा देने में ट्रायल कोर्ट की विफलता के कारण व पीड़िता की उम्र घटना के समय 14 साल से होने के कारण हम उसे साढ़े चार लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश देते है। कोर्ट ने जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, फरीदाबाद को निर्देश दिया है कि वह वह पीड़िता को तीन महीने के भीतर राशि जारी करें।

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