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Dushyant Chautala: दुष्यंत चौटाला की JJP को नहीं तोड़ पाएंगे देवेंद्र बबली, बने ये नए समीकरण

हरियाणा (Haryana News) के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की जजपा पार्टी पर मंडरा रहा खतरा ऐसा लग रहा है मानो फिलहाल टल गया है। 10 विधायकों वाली जजपा को तोड़ने के लिए सात विधायकों का समर्थन जरूरी है। 10 में से चार विधायक दुष्यंत चौटाला के साथ हैं। तीन भाजपा के और दो कांग्रेस के साथ हैं। एक विधायक रामकुमार गौतम ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

By Anurag Aggarwa Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Sun, 12 May 2024 03:45 PM (IST)
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Haryana News: दुष्यंत चौटाला की जजपा को नहीं तोड़ पाएंगे देवेंद्र बबली। फाइल फोटो
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। (Haryana hindi News) हरियाणा के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) की जननायक जनता पार्टी पर मंडरा रहा कब्जा करने का खतरा लगभग टल गया है। टोहाना के विधायक एवं पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली ( Devendra Babli) पिछले कुछ दिनों से इस प्रयासों में लगे हुए थे कि किस तरह से दुष्यंत चौटाला को जजपा के नेता पद से हटाकर वह स्वयं पार्टी पर काबिज हो जाएं।

देवेंद्र बबली के पास तीन विधायकों की संख्या 

10 विधायकों वाली जजपा (JJP News) का नेता बदलने के लिए सात विधायकों की जरूरत होती है, लेकिन देवेंद्र बबली तीन विधायकों की संख्या से अभी तक आगे नहीं बढ़ पाए हैं। दो दिन पहले शाहबाद के विधायक रामकरण काला द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) से की गई मुलाकात के बाद यह संभावना बलवती हो गई है कि देवेंद्र बबली किसी सूरत में सात विधायक नहीं जुटा सकेंगे, जिस कारण वह न तो जजपा को तोड़ पाने में कामयाब होंगे और न ही उस पर कब्जा कर सकेंगे।

कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा के बाद सियासत में मची हलचल

तीन निर्दलीय विधायकों रणधीर गोलन, धर्मपाल गोंदर और सोमवीर सांगवान द्वारा भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने और कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा के बाद प्रदेश की सियासत में हलचल बढ़ गई थी। इस दौरान हरियाणा (Haryana News) के पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली ने जननायक जनता पार्टी को विभाजित करने का बयान देकर सियासत में ज्यादा उबाल ला दिया।

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जजपा के समर्थन के बाद ही प्रदेश में बनी बीजेपी की सरकार

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) की सरकार को सियासी संकट से उबारने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जजपा के तीन विधायकों रामनिवास सुरजाखेड़ा, देवेंद्र बबली और जोगी राम सिहाग को साध लिया, लेकिन तकनीकी तौर पर यह विधायक पार्टी नहीं छोड़ सकते थे, क्योंकि उनकी विधानसभा की सदस्यता खत्म हो सकती है।

देवेंद्र बबली का जब यह बयान आया कि हम जेजेपी विधायक दल का नेता भी बदल देंगे तो सभी दल सक्रिय हो गए। कानूनी दृष्टि से बबली का यह दावा ज्यादा समय नहीं टिक पाया है। अक्टूबर 2019 में जेजेपी के 10 विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे और 40 विधायकों वाली भाजपा (Haryana BJP) को समर्थन देकर हरियाणा में साझी सरकार बनाई थी।

साढ़े चार साल तक तमाम कयासों को पार करते हुए बीजेपी-जेजेपी गठबंधन (BJP-JJP Alliance) की सरकार बिना हलचल के चली। एंटी डिफेक्शन ला के मुताबिक कम से कम दो तिहाई विधायकों का एक साथ होना जरूरी है। इस लिहाज से 10 विधायकों में से सात विधायकों का समर्थन बबली को चाहिए जो कि उन्हें मिलता दिखाई नहीं दे रहा, क्योंकि उचाना से विधायक एवं पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला, बाडढ़ा विधायक नैना सिंह चौटाला, उकलाना विधायक एवं पूर्व मंत्री अनूप धानक, जुलाना विधायक अमरजीत ढांडा पूरी तरह एकजुट है।

जजपा का व्हिप रोक रहा बागी विधायकों की राह

दूसरी और छह अन्य विधायकों में से गुहला विधायक ईश्वर सिंह के बेटे और शाहबाद से विधायक रामकरण काला के बेट कांग्रेस ज्वाइन कर चुके हैं। नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम ने अपने कोई पते नहीं खोले है। पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली, बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग, नरवाना विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा का झुकाव ही स्पष्ट रूप से बीजेपी की ओर देखा जा रहा है।

इनमें से बबली को छोड़कर दो विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों का मंच तक साझा किया है। ऐसे में यह भी बड़ा सवाल है कि कांग्रेस में जाने की चाह रखने वाले ईश्वर सिंह और रामकरण काला क्या देवेंद्र बबली का साथ देंगे। यदि भाजपा सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का सामना करना पड़ा तो जननायक जनता पार्टी के चीफ व्हिप भाजपा सरकार के खिलाफ जाने का व्हिप जारी कर मास्टर स्ट्रोक खेलेगी।

जिसे पार्टी लाइन के मुताबिक पार्टी के सभी विधायकों मानना पड़ेगा अन्यथा अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ेगा। व्हिप नहीं मानने की स्थिति में पूर्व विधायक के रूप में मिलने वाले पेंशन और भत्तों से भी उन्हें हाथ धोना पड़ सकता है।

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