Move to Jagran APP

नायब सैनी की राह में बाधा डाल रहे इंद्रजीत व अनिल विज, दावेदारी खारिज करने हरियाणा आएंगे शाह

16 अक्टूबर को भाजपा विधायकों की बैठक होनी है जिसमें विधायक दल के नेता का चयन किया जाना है। मुख्यमंत्री पद के लिए अनिल विज और राव इंद्रजीत सिंह की दावेदारी के बीच भाजपा विधायक दल की बैठक में विवाद की आशंका के चलते गृह मंत्री अमित शाह को पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। गृहमंत्री के साथ मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव को भी पर्यवेक्षक बनाया गया है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 14 Oct 2024 07:27 AM (IST)
Hero Image
विधायक दल का नेता चुनने के लिए अमित शाह को बनाया गया पर्यवेक्षक
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। भाजपा की समस्त चुनावी रणनीति बनाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को यदि विधायक दल का नेता चुनने के लिए हरियाणा का पर्यवेक्षक बनाना पड़े तो स्वाभाविक है कि यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

ऐसा पहली बार होगा, जब अमित शाह किसी राज्य में पर्यवेक्षक बनकर पहुंच रहे हैं और यह पहला राज्य कोई और नहीं, बल्कि दिल्ली से सटा हरियाणा है, जहां हाल ही में विधानसभा चुनाव के चुनाव संपन्न हुआ हैं। भाजपा की राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनी है।

पीएम मोदी ने अमित शाह को सौंपी है जिम्मेदारी

17 अक्टूबर को मुख्यमंत्री का दायित्व ग्रहण समारोह है और इससे एक दिन पहले भाजपा विधायक दल का नेता चुना जाना है, जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके पीछे मुख्यमंत्री पद के लिए पूर्व गृह मंत्री अनिल विज और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की दावेदारी को माना जा रहा है।

पार्टी हाईकमान को लगता है कि भाजपा विधायक दल की बैठक में विज और इंद्रजीत के समर्थक विधायक कोई खेला कर सकते हैं, जिन्हें सिर्फ शाह ही काबू कर पाएंगे। अमित शाह के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को भी हरियाणा का पर्यवेक्षक बनाया गया है।

अनिल विज की दावेदारी से संकट में भाजपा

चुनाव से पहले ही भाजपा ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को राज्य का अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था। उनके नाम को लेकर पार्टी में किसी तरह का विवाद अथवा संशय नहीं था, अंबाला छावनी के सातवीं बार विधायक चुने गए पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी जताकर पार्टी के सामने नया संकट खड़ा कर दिया था।

आरंभ में विज की इस दावेदारी को चुनाव जीतने की रणनीति से जोड़कर देखा गया, लेकिन चुनाव जीतने के बाद भी जब विज ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी जताई तो पार्टी ने इस दावेदारी को बिल्कुल भी हलके में नहीं लिया।

राव इंद्रजीत भी बढ़ा रहे परेशानी

भाजपा को इस चुनाव में 48 सीटें मिली हैं, जो कि बहुमत से दो अधिक हैं। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा को अपना समर्थन किया है, जिससे उसके पास 51 विधायक हो गए हैं। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की दूसरी परेशानी केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत ने बढ़ाई है, जिनकी निगाह लंबे समय से मुख्यमंत्री के पद पर टिकी हुई है।

इंद्रजीत जब भी मौका मिलता है, मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी नहीं छोड़ते। अहीरवाल में राव इंद्रजीत भाजपा का बड़ा नाम है। राव दो बार महेंद्रगढ़ व चार बार गुरुग्राम से सांसद बने हैं। इस बार उनकी बेटी आरती राव अटेली से विधायक चुनकर आई हैं। राव की पसंद के हिसाब से इस बार भाजपा ने आठ टिकट दिए हैं, जो सभी चुनाव जीतकर आए हैं।

अहीरवाल में नौ विधायकों के दम पर दावेदारी ठोंक रहे राव

इस बार अहीरवाल बेल्ट में भाजपा ने 11 में से 10 सीटें जीती हैं। दक्षिण हरियाणा में राव इंद्रजीत पिछले कई दिनों से सक्रिय हैं। राव की इस सक्रियता को अपनी बेटी आरती राव को मंत्रिमंडल में शामिल कराने की रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने में अहीरवाल बेल्ट का अहम रोल रहा है।

2019 में जहां भाजपा की झोली में यहां की आठ सीटें आई तो इस बार दो सीटों की बढ़ोतरी हुई है। सीटों के इसी बढ़े ग्राफ का श्रेय राव इंद्रजीत सिंह लेने में लगे हैं। रेवाड़ी और गुरुग्राम जिलों में पार्टी ने उम्मीद से ज्यादा अच्छा प्रदर्शन किया है।

इन दोनों ही जिलों में बादशाहपुर सीट को छोड़कर तमाम सीटों पर राव इंद्रजीत सिंह की पसंद के उम्मीदवारों को टिकट दिए गए थे। राव के पास नौ विधायकों को समर्थन है। बादशाहपुर सीट से चुनाव जीते राव नरबीर सिंह को राव इंद्रजीत के धुर विरोधियों में गिना जाता है। शनिवार को राव इंद्रजीत ने एक ट्वीट कर सफाई दी है कि उन्हें नौ विधायकों के साथ अलग गुट के रूप में पेश किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है।

यह भी पढ़ें- Haryana Result: अमित शाह और मोहन यादव की मौजूदगी में होगा CM का चयन, नई सरकार में मंत्री बनने के लिए लॉबिंग तेज

मनोहर ने पीएम को हरियाणा की राजनीति से अवगत कराया

हरियाणा की राजनीति को बहुत नजदीक से समझने वाले केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने इस बारे में प्रधानमंत्री को अवगत कराया तो उन्होंने अपने प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह को पर्यवेक्षक बनाकर हरियाणा भेज दिया। अमित शाह राजनीति के ऐसे चाणक्य है कि यदि किसी ने उनके सामने नायब सिंह सैनी के समानांतर आवाज बुलंद की अथवा मुख्यमंत्री पद की दावेदारी जताई तो वह मौके पर ही उसकी बोलती बंद करने की ताकत रखते हैं।

पार्टी का मानना है कि अमित शाह के सामने ऐसी कोई जुर्रत भी नहीं कर सकेगा। इसलिए किसी तरह का विवाद खड़ा होने से पहले ही उसको दबाने की रणनीति के तहत अमित शाह को हरियाणा भेजा गया है, ताकि बिना किसी विरोध और बिना किसी संशय के नायब सैनी को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया जाए तथा 17 अक्टूबर को प्रधानमंत्री की मौजूदगी में नायब राज्य के सीएम पद की शपथ आराम से ले सकें।

यह भी पढ़ें- Haryana Result: 16 अक्टूबर को होगी BJP की बैठक, फिर से नायब सैनी का विधायक दल का नेता चुना जाना तय; 17 को लेंगे शपथ

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।